इंदौर, नईदुनिया। कोरोना ने मौजूदा दौर में जिंदगी के मायने बदल दिए हैं। जो परिवार कभी मिलजुल कर रहते थे, उन्हें अलग-अलग रहना पड़ रहा है। गम भी अकेले-अकेले सहना पड़ रहा है। इंदौर के खजराना क्षेत्र के एक परिवार पर गम का ऐसा ही पहाड़ टूटा है। मां की मौत हो चुकी है। पिता अस्पताल में भर्ती हैं। क्वारंटाइन होने के कारण परिवार के लोग अपनी मां को कंधा भी नहीं दे सके। जब दैनिक जागरण के सहयोगी प्रकाशन नईदुनिया ने महिला के बेटे से बात की तो उसने दर्द कुछ इस तरह बयां किया-
हमारी अम्मी तो कहीं आती-जाती भी नहीं थी, मगर पता नहीं उनको कोरोना जैसा रोग कैसे लग गया? सात दिन पहले उन्हें बुखार आया था। एक निजी अस्पताल में भर्ती किया। जब जांच हुई तो कोरोना संक्रमित पाई गईं। इसके बाद उन्हें दूसरे अस्पताल में शिफ्ट किया गया। परिवार के सात सदस्य भी हॉस्टल में क्वारंटाइन किए गए हैं। एक दिन पहले अम्मी का इंतकाल हो गया है। हम हॉस्टल में हैं। मुझे तो पता भी नहीं कि उन्हें कैसे सुपुर्द ए खाक किया गया होगा।
ताउम्र दुख रहेगा कि हम उनके जनाजे में शामिल नहीं हो पाए। किसी और के साथ ऐसा न हो। हम तो सिर्फ सब्र कर रहे हैं। अस्पताल में भर्ती पिता की खैरियत भी नहीं पूछ पा रहे हैं। हमारी भी जांच हुई है। खुदा का शुक्र है कि हमें कोरोना का रोग नहीं लगा, मगर पूरा परिवार हॉस्टल में है। सब अलग-अलग कमरे में तन्हा हैं। मेरी इल्तजा है कि जो कोरोना से बचे हैं, वे खुद को सलामत रखें। हर हाल में घरों में रहें।