भारत, ईरान और उजबेक के बीच 14 दिसंबर को चाबहार बंदरगाह के साझा इस्तेमाल पर होगी अहम बैठक

 भारत, ईरान और अफगानिस्तान आपसी व्यापार बढ़ाने को बना रहे बंदरगाह।


भारत ईरान और उजबेक के बीच बातचीत ऐसे समय में हो रही है जबकि भारत उज्बेकिस्तान को इंटरनेशनल उत्तर दक्षिण ट्रांसपोर्ट कोरिडोर परियोजना में शामिल करने की पुरजोर कोशिश कर रहा था। यह कोरिडोर 7200 किलोमीटर लंबा है।

नई दिल्ली, प्रेट्र। ईरान में भारत द्वारा विकसित किए जा रहे रणनीतिक रूप से अहम चाबहार बंदरगाह का उज्बेकिस्तान भी इस्तेमाल करना चाहता है। इस मुद्दे पर भारत, ईरान और उज्बेकिस्तान के बीच सोमवार को पहली बार अहम बैठक होगी। ईरान के दक्षिणी तट पर स्थित इस बंदरगाह को मध्य एशिया के लिए संपर्क के आधार के रूप में देखा जा रहा है।

भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच 14 दिसंबर को होगी वर्चुअल बैठक

विदेश मंत्रालय ने कहा कि 14 दिसंबर को तीनों देशों के बीच वर्चुअल बैठक होगी। भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच व्यापार को बढ़ावा देने के लिए इस बंदरगाह को विकसित किया जा रहा है, क्योंकि पाकिस्तान ने अपनी सीमा से भारत से ईरान और अफगानिस्तान जाने की अनुमति देने से मना कर दिया है।चाबहार बंदरगाह ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है। भारत के पश्चिमी तट से यहां तक आसानी से पहुंचा जा सकता है और इसके लिए पाकिस्तान की सीमा में जाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।

भारत का क्षेत्रीय संपर्क मजबूत करने पर जोर

तीनों देशों के बीच यह बातचीत ऐसे समय में हो रही है, जबकि भारत उज्बेकिस्तान को इंटरनेशनल उत्तर दक्षिण ट्रांसपोर्ट कोरिडोर (आइएनएसटीसी) परियोजना में शामिल करने की पुरजोर कोशिश कर रहा था। यह कोरिडोर 7,200 किलोमीटर लंबा है, जिससे भारत, ईरान, अफगानिस्तान, अर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच माल की ढुलाई में तेजी आएगी।

बंदरगाह में कई देशों की दिलचस्पी

विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि भारत चाहबार बंदरगाह का ट्रांजिट पोर्ट के रूप में इस्तेमाल करने की दिलचस्पी का स्वागत करता है। इससे क्षेत्र के व्यापारियों और व्यवसाइयों के लिए कारोबार के नए अवसर पैदा होंगे। बयान के मुताबिक उज्बेकिस्तान के अलावा मध्य एशिया के अन्य कई देशों ने भी इस बंदरगाह के इस्तेमाल में दिलचस्पी दिखाई है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शवकट मिरजियोयेव के बीच वर्चअल शिखर सम्मेलन में भी मध्य एशिया को जोड़ने वाली परियोजनाओं में तेजी लाने पर चर्चा हुई थी।