2021 में दिखेगी रामराज व राम मंदिर की झांकी, शामिल होगा भव्य मंदिर का मॉडल

 दिल्ली में गणतंत्र दिवस की परेड में इस बार अयोध्या की झांकी विशेष तौर तैयार की जा रही है।


अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास समारोह में पीएम मोदी और सीएम योगी दोनों ने ही सबके हैं राम का संदेश दिया। अब सरकार दुनिया को बताना चाहती है कि अयोध्या भी सबकी है। यह सिर्फ भगवान श्रीराम का जन्मस्थान ही नहीं बल्कि सभी के लिए आस्था का केंद्र है।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या में बन रहे भव्य और दिव्य मंदिर का वैभव इस बार दिल्ली में राजपथ के जरिये पूरी दुनिया देखेगी। अयोध्या में भव्य राम मंदिर के शिलान्यास समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दोनों ने ही 'सबके हैं राम' का संदेश दिया। अब सरकार दुनिया को बताना चाहती है कि अयोध्या भी सबकी है। यह सिर्फ भगवान श्रीराम का जन्मस्थान ही नहीं, बल्कि कई संप्रदायों के लिए आस्था का केंद्र है। साथ ही सामाजिक सद्भाव और सांस्कृतिक विरासत भी सहेजे है। इसकी झांकी राम मंदिर के मॉडल के साथ इस बार गणतंत्र दिवस की परेड में नजर आएगी।

दिल्ली में 26 जनवरी, 2021 को होने वाली गणतंत्र दिवस की परेड में इस बार अयोध्या की झांकी विशेष तौर तैयार की जा रही है। इस झांकी में श्रीराम मंदिर का मॉडल प्रदर्शित किया जाएगा। 'अयोध्या : उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर' शीर्षक से प्रस्तावित इस झांकी में प्रभु श्रीराम की धरती पर बन रहे मंदिर सहित वहां की संस्कृति, परंपरा, कला और विभिन्न देशों से अयोध्या व प्रभु राम से संबंधों का चित्रण भी किया जाएगा। इसके साथ ही 2018 से योगी द्वारा शुरू किए गए भव्य दीपोत्सव को दिखाया जाएगा। रामलीला के साथ ही मृदंग सम्राट के नाम प्रसिद्ध रहे पागलदास की जीवनी भी झांकी में दिखेगी।

धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा

प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि पर सदियों से प्रतीक्षित मंदिर का निर्माण शुरू होते ही अयोध्या धार्मिक पर्यटन का बड़ा केंद्र बनता जा रहा है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भी अयोध्या को पूरी विश्व में धार्मिक पर्यटन का मुख्य केंद्र बनाना चाहती है। इसी प्रयास में इस बार दिल्ली में राजपथ पर निकलने वाली गणतंत्र दिवस की परेड में अयोध्या की झांकी को शामिल करने का फैसला किया गया है। गणतंत्र दिवस की परेड की झांकियों के संबंध में दिल्ली में हुई बैठक के दौरान उत्तर प्रदेश से भेजे गए प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई। पिछले दिनों हुई इस बैठक में प्रदेश के सूचना निदेशक शिशिर शामिल हुए थे।

यूपी की सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व

गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में राजपथ पर निकलने वाली परेड में हर वर्ष विभिन्न राज्यों के विशिष्टताओं-विविधताओं का प्रतिनिधित्व होता है। धार्मिक-सांस्कृतिक धरोहरों का धनी उत्तर प्रदेश भी इसमें सहभागिता करता है। इस बार सूचना विभाग देश का आकर्षण बनने वाली गणतंत्र दिवस की परेड में अयोध्या की झांकी सजाने जा रहा है, जो कि उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व भी करेगी।

अयोध्या में भव्य दीपोत्सव

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वैश्विक स्तर पर भारतीय संस्कृति की पुनर्स्थापना का महाभियान शुरू किया है। इसी अभियान के तहत अयोध्या का कायाकल्प किया जा रहा है।  इतिहास में पहली बार अयोध्या में भव्य और दिव्य दीपोत्सव के आयोजन वर्ष 2018 में शुरू हुआ। इस दौरान विश्व कीर्तिमान भी बने। इस बार दिल्ली में गणतंत्र दिवस की परेड में दीपोत्सव की झलक भी देखने को मिलेगी।

सामाजिक सद्भाव

मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम ने वनगमन के दौरान सामादिक सद्भाव का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया था। निषादराज को गले लगाया, केवट को आशीर्वाद दिया और शबरी के जूठे बेर खाकर उनका उद्धार किया। वनगमन के दौरान प्रभु श्रीराम ने जाति प्रथा के उन्मूलन क सूत्रपात किया। ये दृश्य भी गणतंत्र दिवस की परेड में देखने को मिलेंगे।

अनवरत रामलीला का मंचन

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में अनवरत रामलीला के मंचन को फिर से शुरू कराया है। इससे लगभग छह सौ कलाकारों को रोजगार भी मिला है। रामलीला का वर्षभर मंचन होता रहे इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने देश भर से रामलीला के मंचन से जुड़ी समितियों को आमंत्रित कर उनको अयोध्या से जुड़ने का अवसर दिया है। कोरोना काल में भी रामलीला का वर्चुअल लाइव प्रसारण किया गया, जिसे पूरी दुनिया ने देखा। गणतंत्र दिवस की परेड में रामलीला के दृश्यों को भी शामिल किया गया है।

गणतंत्र दिवस की परेड से संदेश दिया जाएगा कि अयोध्या सिर्फ सनातन ही नहीं, अन्य संप्रदायों की भी पुण्यभूमि है। अयोध्या में पांच जैन तीर्थंकरों का जन्म हुआ। चूंकि इनमें प्रथम जैन तीर्थंकर आदिनाथ ऋषभदेव भी हैं, इसलिए अनुयायी अयोध्या को जैन धर्म का प्रथम स्थान मानते हैं। महात्मा बुद्ध के शाक्य गणतंत्र का पारंपरिक संबंध अयोध्या राजतंत्र से था। बताया जाता है कि भगवान बुद्ध ने यहां छह वर्ष बिताए थे। रामनगरी में शैव परंपरा का प्रतिनिधित्व नागेश्वर मंदिर करता है। स्वामी नारायण संप्रदाय का छपिया मंदिर है। सरयू तट पर ब्रह्मकुंड गुरुद्वारा भी है। इसकी भी झांकी दिखेगी।

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