अधिकारियों के मुताबिक पिछले पांच वर्षो के दौरान संघीय प्रणाली पर हुआ सबसे बड़ा हमला है। वहीं कइयों का मानना है कि इस साइबर हमले से राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी एजेंसियां भी प्रभावित हुई हैं। हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि सिस्टम में अति गोपनीय जानकारियां थी या नहीं। ट्रंप प्रशासन ने हैकिंग के बारे में तो सार्वजनिक रूप से बहुत कुछ नहीं कहा है, जो यह बताता है कि राष्ट्रपति चुनाव में रूसी हस्तक्षेप के बारे में चिंतित सुरक्षा एजेंसियां कुछ दिन पहले तक इससे अनजान थीं। देश की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन उलियट ने कहा कि सरकार हैकिंग की खबरों से अवगत है और इसे रोकने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। वाणिज्य विभाग ने स्वीकार किया है कि उसकी एक एजेंसी को निशाना बनाया गया है। हालांकि वाणिज्य विभाग ने उस एजेंसी का नाम नहीं बताया है।
साइबर अटैक से परिचित दो लोगों के मुताबिक वाणिज्य विभाग की एजेंसी और वित्त विभाग पर हमले का मकसद अब तक पता नहीं चला है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि यह कहना जल्दबाजी होगी कि हाल के हमले से कितना नुकसान हुआ है और कितना डाटा चोरी हुआ है। हालांकि कई कारपोरेट अधिकारियों के मुताबिक इस वर्ष बसंत से साइबर हमले शुरू हो गए थे। इसका मतलब यह हुआ कि सुरक्षा एजेंसियों को महामारी और चुनाव के दौरान भी इन हमलों का पता नहीं चला। दरअसल, कुछ समय पहले नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी ने संघीय सरकार द्वारा प्रयोग किए जाने वाले सिस्टम को रूस के लिए काम करने वाले हैकरों द्वारा निशाना बनाए जाने की चेतावनी दी थी। इसी के एक सप्ताह बाद रायटर ने सबसे पहले साइबर अटैक की खबर दी थी।