इस साल मानवाधिकार दिवस का विषय फिर से बेहतर-मानव अधिकारों के लिए खड़े हो जाओ है। यह विषय कोरोना महामारी के मद्देनजर रखा गया है। मानवाधिकार दिवस का उद्देश्य दुनियाभर के लोगों को मानवाधिकारों के महत्व के प्रति जागरूक करना है।
नई दिल्ली। हर साल दिसंबर महीने की 10 तारीख को दुनियाभर में मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है। लोगों का ध्यान मानवाधिकारों की तरफ आकर्षित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने 1950 में 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस के रूप में घोषित किया था। इसका उद्देश्य दुनियाभर के लोगों को मानवाधिकारों के महत्व के प्रति जागरूक करना है। 1948 में यूएन ने मानव अधिकारों की सर्वभौमिक घोषणा की जो 500 से ज्यादा भाषाओं में उपलब्ध हैं।
इस साल मानवाधिकार दिवस का विषय 'फिर से बेहतर-मानव अधिकारों के लिए खड़े हो जाओ' है। यह विषय कोरोना महामारी के मद्देनजर रखा गया है। इस मौके पर यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने एक वीडियो संदेश जारी किया है। इसमें उन्होंने कहा है कि कोरोना महामारी का मुकाबला करने के लिए प्रयासों, लैंगिक समानता, जनभागीदारी, जलवायु न्याय और टिकाऊ विकास में- मानवाधिकारों को केंद्रीय महत्व देने की आवश्यकता है।
क्यों मनाया जाता है मानवाधिकार दिवस
किसी भी व्यक्ति का जीवन, आजादी, बराबरी और सम्मान का अधिकार ही मानवाधिकार के अंतर्गत आता है, लेकिन ज्यादातर लोग अपने इन अधिकारों के बारे में अच्छे से नहीं जानते हैं। उन्हें इन अधिकारों से रूबरू कराने के लिए ही मानवाधिकार दिवस का आयोजन किया जाता है।
भारत में मानव अधिकार कानून
भारत सरकार ने 12 अक्टूबर 1993 को राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन किया था और 28 सितंबर 1993 से यह कानून अमल में आया था। आयोग के अंतर्गत नागरिक और राजनीतिक के साथ आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार भी आते हैं।
मानवाधिकार दिवस की पृष्ठभूमि
1948 में मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा को अपनाए जाने वाले दिन से ही संयुक्त राष्ट्र द्वारा मानवाधिकार दिवस को मनाया जा रहा है। पहली बार 48 देशों ने यूएन की जनरल असेंबली के साथ इस दिन को मनाया था। साल 1950 में महासभा द्वारा प्रस्ताव 423 (v) पारित करने के बाद सभी देशों एवं संस्थाओं को इसे अपनाये जाने के लिए आग्रह किया गया। यूएनजीए ने दिसंबर 1993 में इसे हर साल मनाए जाने की घोषणा की थी।