छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले की निवासी नित्या पांडे ग्रहों में जीवन की उत्पत्ति व रहस्य के विज्ञान (प्लेनेटरी साइंस) विषय में पीएचडी करने मार्च 2021 में दक्षिणी अमेरिकी देश चिली जाएंगी। उनका चयन यूनिवर्सिटी ऑफ चिली में हुआ है।
कोंडागांव, राज्य ब्यूरो। छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले की निवासी नित्या पांडे ग्रहों में जीवन की उत्पत्ति व रहस्य के विज्ञान (प्लेनेटरी साइंस) विषय में पीएचडी करने मार्च 2021 में दक्षिणी अमेरिकी देश चिली जाएंगी। उनका चयन यूनिवर्सिटी ऑफ चिली में हुआ है। नित्या छात्र जीवन में शुरू से ही मेधावी रही हैं। नित्या ने आदिवासी बहुल नक्सल प्रभारी क्षेत्र कोंडागांव के पीजी कॉलेज से बीएससी और पं रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से वर्ष 2018 में एस्ट्रोफिजिक्स में एमएससी की है। वह इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरु और आर्यभट रिसर्च इंस्टीट्यूट आफ आब्जर्वेशनल साइंसेज नैनीताल में अध्ययन के बाद फ्रांस की इंटरनेशनल स्पेस यूनिवर्सिटी में भी कल्पना चावला स्कारशिप के तहत अध्ययन कर चुकी हैं।
कल्पना चावला को आदर्श मानती हैं नित्या पांडे
कोरोना के कारण कोंडागांव से ही अपने काम में जुटीं नित्या पांडे। कल्पना चावला को आदर्श मानने वाली नित्या के पिता बीपी पांडे स्थानीय महात्मा गांधी वार्ड स्थिति स्कूल में प्रधानपाठक हैं। नित्या की स्कूली शिक्षा बनियागांव के सरकारी स्कूल व सरस्वती शिशु मंदिर कोंडागांव में हुई हैं।
जिस पुआल ने उत्तर भारत को संकट में डाला वही बना रोजगार का जरिया
नराई (पुआल) को जलाकर निपटान करने की कुव्यवस्था ने जहां उत्तर भारत की बड़ी आबादी को प्रदूषण संकट में फंसा दिया है, उसे मुंगेली जिले के ग्राम नवरंगपुर की सुमन ने आय का जरिया बना लिया है। शहरी क्षेत्र में जब लॉकडाउन था और दूसरे राज्यों से लौटे मजदूर गांवों में आकर बेरोजगार थे, तो सुमन ने उन्हें नराई संग्रहण कर बंडल बनाने का काम दिया। फिर उसमें मशरूम लगाया। लॉकडाउन में ही 20 से 30 किलो प्रतिदिन मशरूम बिलासपुर में बेचा और चार माह में दो लाख रुपये का शुद्ध लाभ कमाया। अब सुमन ने रायपुर, कोरबा व रायगढ़ तक मशरूम पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।
40 ट्रैक्टर नराई इकठ्ठा कर उसमें मशरूम उगाए गए
बीते महीनों में 40 ट्रैक्टर नराई इकठ्ठा कर उसमें मशरूम उगाए गए हैं। सुमन ने ठा. छेदीलाल बैरिस्टर कृषि महाविद्यालय से एक साल का मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण लिया है। अब महाविद्यालय के प्रशिक्षक भी उन्हें प्रोत्साहित करने पहुंच रहे हैं।
स्वच्छता रैंकिंग में 99 फीसद लोगों की भागीदारी
अंबिकापुर नगर निगम स्वच्छता रैंकिंग में वर्ष 2017 में अपने वर्ग में प्रथम, 2018 में 11वें और 2019 में ओवरआल दूसरे स्थान पर रहा है। इस बड़ी उपलब्धि में निगम प्रबंधन व स्वच्छता दीदियों के साथ ही शहरवासियों की भी बड़ी भूमिका सामने आई है। दरअसल, शहरी विकास मंत्रालय भारत सरकार की ओर से स्वच्छता सर्वेक्षण कर रैंकिंग जारी करने के लिए जो मापदंड तय किए गए हैं उसमें डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण के बदले आम नागरिकों द्वारा किए जाने वाले भुगतान की भी समीक्षा की गई है। अंबिकापुर में वर्ष 2015 से ही इसकी शुरुआत कर दी गई थी। प्रदेश की राजधानी रायपुर में लोग भुगतान नहीं करते। भिलाई और बिलासपुर जैसे मुख्य शहरों में जहां 50 फीसद घरों से भी सफाईकर्मियों को भुगतान नहीं मिलता। वहीं अंबिकापुर में 99 फीसद लोग भागीदारी करते हैं। इसकी वजह से सफाईकर्मियों का उत्साह भी दोगुना हो जाता है।