चंबल में बागियों के खात्मे और मुख्यधारा में लौटाने की कहानी बताने के लिए बनेगा संग्रहालय

 अपराध की दुनिया में कदम रखने वालों को सबक और संदेश देने की पहल


भिंड के पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह के अनुसार संग्रहालय अपराध की दुनिया में जाने वालों को तो कड़ा सबक देगा ही यह उन्हें समाज की मुख्यधारा में लौटने का संदेश भी देगा। संग्रहालय निर्माण के लिए राशि जनभागीदारी और पुलिस फंड से जुटाई जाएगी।

ग्वालियर। चंबल में बागी दस्युओं के खात्मे और उन्हें समाज की मुख्यधारा में लौटाने की कहानी को पुलिस संग्रहालय के माध्यम से बताने की तैयारी कर रही है। मध्य प्रदेश के भिंड पुलिस ने यह पहल की है। कुख्यात दस्यु रहे मोहर सिंह के कर्म क्षेत्र भिंड के मेहगांव में ब्रिटिश काल में बने थाना भवन का चयन भी संग्रहालय के लिए कर लिया गया है। इस भवन को हेरिटेज लुक में सजाया-संवारा जा रहा है। संग्रहालय में वर्ष 1960 से 2011 तक चंबल इलाके में सक्रिय रहे दस्युओं की पूरी हिस्ट्रीशीट, फोटो, गिरोह के सदस्यों की जानकारी, उनके हथियारों को प्रदर्शित किया जाएगा। साथ ही यहां उन बलिदानी पुलिसकर्मियों, अधिकारियों के किस्से भी बताए जाएंगे, जिन्होंने खुद को आगे कर इनकी गोलियों का सामना किया।

भिंड के पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह के अनुसार संग्रहालय अपराध की दुनिया में जाने वालों को तो कड़ा सबक देगा ही, यह उन्हें समाज की मुख्यधारा में लौटने का संदेश भी देगा। संग्रहालय निर्माण के लिए राशि जनभागीदारी और पुलिस फंड से जुटाई जाएगी। 80 से ज्यादा बागियों की कहानियां, पुलिस के बहादुरी के किस्से भी संग्रहालय में 80 से ज्यादा ऐसे कुख्यात बागियों के बारे में बताया जाएगा, जिन्होंने गिरोह बनाकर बीहड़ों में खुद का कानून चलाया था। संग्रहालय में बागी के बीहड़ में उतरने से लेकर उसके मुठभेड़ में मारे जाने या फिर आत्मसमर्पण की कहानी बताई जाएगी।इन बागियों ने कई पुलिस जवानों को जांबाजी दिखाकर अधिकारी बनने का मौका भी दिया था। संग्रहालय में ऐसे ही बहादुर पुलिसकर्मियों की जानकारियां भी प्रदर्शित की जाएंगी। दस्युओं से संबंधित जानकारी, फोटो और आत्मसमर्पण के बाद जब्त हथियार आदि विभिन्न थानों के मालखाने में रखे हुए हैं। इलाके में हुए विकास के बाद अब यह संग्रहालय पर्यटन के प्रमुख स्थल का रूप भी ले सकता है।

पुनर्वास और समाज की मुख्यधारा में लौटाने के प्रयास भी दिखेंगे

1980-90 के दौर में चंबल के कई बड़े दस्युओं ने आत्मसमर्पण किया था। इनमें फूलनदेवी, घंसा बाबा, मोहर सिंह, माधौ सिंह प्रमुख हैं। समर्पण के बाद इन दस्युओं ने सजा काटी और रिहा होने के बाद समाज की मुख्यधारा में लौटे। शासन ने इन्हें खेती के लिए जमीन उपलब्ध कराई। संग्रहालय में पुलिस और शासन के इन प्रयासों को प्रदर्शित किया जाएगा।

गौरतलब है कि मुख्यधारा में लौटे इन पूर्व दस्युओं ने पंचायत और नगर परिषद के चुनाव तक जीते। इसलिए चुना गया मेहगांव को मेहगांव चंबल के सबसे कुख्यात बागी मोहर सिंह गुर्जर की कर्मस्थली रही है। समर्पण के बाद वे यहां आए थे। इसी वर्ष मई महीने में 92 वर्ष की उम्र में मोहन सिंह का निधन हुआ। उनके गिरोह में कभी 146 सदस्य भी थे। वर्ष 1960-70 के दौर में इस गिरोह पर 12 लाख रुपये का इनाम घोषित था। अकेले मोहर सिंह की गिरफ्तारी पर दो लाख रुपये का इनाम था। मोहर सिंह पर 200 से ज्यादा अपराध दर्ज थे, इनमें हत्या के 57 मामले थे। यही नहीं, तब गिरोह के लोगों के पास लाइट मशीन गन (एलएमजी), एसएलआर, सेमी ऑटोमैटिक गन सहित कई आधुनिक हथियार भी थे।

भिंड के एसपी मनोज कुमार सिंह ने बताया कि चंबल के बीहड़ में काफी बागी हुए हैं। लोगों में इनके बारे में जानने की उत्सुकता रहती है। इनका जीवन कैसा था, बीहड़ में कैसे पहुंचे। कैसे इनका अंत हुआ या फिर वे किस तरह समाज की मुख्य धारा से जुड़े, संग्रहालय में यही सब बताया जाएगा।