भारत में सूखे की आधी घटनाएं उत्तरी अटलांटिक वायु प्रवाह के कारण : अध्ययन

 भारत में सूखे की आधी घटनाएं उत्तरी अटलांटिक वायु प्रवाह के कारण : अध्ययन


शोध पत्रिका साइंस में प्रकाशित हुआ आइआइएससी का यह अध्ययन। नए अध्ययन में कहा गया है कि भारत में पिछली सदी में सूखा पड़ने की 23 घटनाओं में से 10 तब हुईं जब अल नीनो मौजूद नहीं था। तब सूखा पड़ने की इन घटनाओं का कारण क्या हो सकता है?

बेंगलुरु, प्रेट्र। भारत में पिछली सदी में ग्रीष्मकालीन मानसून मौसम के दौरान सूखा पड़ने की लगभग आधी घटनाएं संभवत: उत्तरी अटलांटिक क्षेत्र की वायुमंडलीय गड़बडि़यों की वजह से हुईं। यह बात भारतीय विज्ञान संस्थान (आइआइएससी) के पर्यावरणीय एवं समुद्री विज्ञान केंद्र (सीएओएस) द्वारा किए गए एक नए अध्ययन में कही गई है जो शोध पत्रिका 'साइंस' में प्रकाशित हुआ है।

वाíषक भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून पर एक अरब से अधिक आबादी निर्भर है जिसमें जून से सितंबर के बीच देश में अच्छी-खासी बारिश होती है। जब यह मानसून विफल होता है तो देश के अधिकांश हिस्सों में सूखा पड़ता है जिसकी सामान्य वजह बार-बार होने वाले जलवायु घटनाक्रम 'अल नीनो' को बताया जाता है जिसमें भूमध्यवर्ती प्रशांत महासागरीय गर्म जल नमी से लैस बादलों को भारतीय उपमहाद्वीप से दूर खींच लेता है।

नए अध्ययन में कहा गया है कि भारत में पिछली सदी में सूखा पड़ने की 23 घटनाओं में से 10 तब हुईं जब 'अल नीनो' मौजूद नहीं था। तब सूखा पड़ने की इन घटनाओं का कारण क्या हो सकता है? आइआइएससी के अध्ययन में कहा गया है कि सूखा पड़ने की ये घटनाएं अगस्त के अंत में बारिश में अचानक अत्यधिक कमी आने की वजह से हुईं। संस्थान ने कहा कि बारिश में कमी की ये घटनाएं उत्तरी अटलांटिक महासागर के ऊपर मध्य अक्षांश पर पर्यावरणीय प्रवाह बनने से जुड़ी थीं जो उपमहाद्वीप के ऊपर फैल गया और मानसून को पटरी से उतार दिया।