आम आदमी नहीं, बड़ी मछलियों को बचाने के लिए सरकार ने दायर की है पुनर्विचार याचिका

 अंकुर शर्मा ने कहा कि ये लोग खुद को बचाने के लिए हाईकोर्ट गए है।


रोशनी एक्ट की आड़ में जम्मू की भौगोलिक परिस्थितियों में बदलाव का आरोप लगाते हुए अंकुर शर्मा ने कहा कि जम्मू एक हिन्दू बहुल क्षेत्र था। इसलिए मुस्लिम समुदाय को यहां बसाने के लिए अलगाववादी सोच के तहत ऐसे काले कानून लाए गए।

जम्मू, संवाददाता: रोशनी एक्ट को खारिज करने व इसके तहत दी गई जमीन वापस लेने संबंधी जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग को लेकर जम्मू-कश्मीर सरकार की ओर से दायर याचिका को एक समुदाय विशेष को संरक्षण देने की साजिश करार देते हुए एडवोकेट अंकुर शर्मा ने कहा है कि सरकार आम आदमी को नहीं, बल्कि रोशनी एक्ट की आड़ में करोड़ों रुपये की सरकारी जमीनों पर कब्जा करने वाली बड़ी मछलियों को बचाना चाहती है।

रोशनी एक्ट को खारिज करवाने व इसके तहत जमीन आवंटन की सीबीआई जांच करवाने के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने वाले एडवोकेट अंकुर शर्मा ने कहा है कि सरकारी जमीन पर कब्जा रखने वाले जम्मू-कश्मीर के आम नागरिक को रोशनी एक्ट की जरूरत ही नहीं, वो तो पहले से ही एग्रेरियन एक्ट के तहत संरक्षित है। सरकार ने केवल पूर्व मंत्रियों, विधायकों, नेताओं व नौकरशाहों को बचाने के लिए यह याचिका दायर की है जिन्होंने सैंकड़ों कनाल सरकारी जमीन पर कब्जा कर रखा है।

रोशनी एक्ट को लेकर सरकार की ओर से दायर पुनर्विचार याचिका पर दैनिक जागरण से बातचीत करते हुए अंकुर शर्मा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर एग्रेरियन एक्ट की धारा 3,4,515 व 26 यह कहती है कि अगर कोई किसान सरकारी जमीन पर खेती कर रहा है तो सरकार उसे खाली नहीं करवा सकती और इस कानून के तहत उस किसान का जमीन पर मालिकाना अधिकार बनता है। धारा 26 की उप-धारा दो कहती है कि अगर किसी के पास दो कनाल तक सरकारी जमीन है और उस पर उसने घर बनाया है तो उसे एग्रेरियन एक्ट के तहत मालिकाना अधिकार दिया जा सकता है।

जम्मू में नजूल जमीन पर किसी का कब्जा है तो उसे एग्रेरियन एक्ट के तहत मालिक बनाया जा सकता है। सरकार अपनी याचिका में जिन आम लोगों की बात कर रही है, वो सब तो पहले से ही कानून के तहत संरक्षित है और सरकार उन्हें मौजूदा कानून के तहत मालिकाना अधिकार दे सकती है। सरकार ने पिछले सत्तर सालों से ऐसा नहीं किया और अब इनके नाम पर हाईकोर्ट से कोई ऐसी स्कीम शुरू करने की मांग कर रही है, जिससे आम लोगों को संरक्षित किया जा सके।

अंकुर शर्मा का कहना है कि सरकार वास्तव में उन लोगों को संरक्षित करना चाहती है जिन्होंने सैंकड़ों कनाल जमीन पर कब्जा किया और वहां प्लाट बनाकर एक समुदाय विशेष के लोगों को बसाया जा रहा है। प्रशासन में बैठे कुछ आला अधिकारियों की ओर इशारा करते हुए अंकुर शर्मा ने कहा कि ये लोग खुद को बचाने के लिए हाईकोर्ट गए है।

रोशनी एक्ट की आड़ में जम्मू की भौगोलिक परिस्थितियों में बदलाव का आरोप लगाते हुए अंकुर शर्मा ने कहा कि जम्मू एक हिन्दू बहुल क्षेत्र था। इसलिए मुस्लिम समुदाय को यहां बसाने के लिए अलगाववादी सोच के तहत ऐसे काले कानून लाए गए।जम्मू की भौगोलिक परिस्थितियां बदलने के लिए एक सोची समझी प्रदेश प्रायोजित योजना चलाई गई ताकि आने वाले समय में पूरे जम्मू-कश्मीर का इस्लामीकरण करके भारत को बर्बाद किया जा सके। अंकुर शर्मा ने कहा कि वो ऐसी मंशाओं को पूरा नहीं होने देंगे और हाईकोर्ट में सरकार की पुनर्विचार याचिका की धज्जियां उड़ा देंगे।