सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा के बाद आगे के कदम पर होगा फैसला, शाम तक सबकुछ होगा साफ- राकेश टिकैत

 भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत। (एएनआइ)


भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा करेंगे। चर्चा के बाद आगे क्या करना है उसपर फैसला होगा। छठे दौर की बैठक रद हो गई है। शाम चार-पांच बजे तक सबकुछ साफ होगा।

नई दिल्ली, एएनआइ। कृषि कानूनों के खिलाफ 13 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच आज सरकार के साथ होने वाली बैठक टल गई है। किसान आगे क्या करना है इसे लेकर सरकार से मिलने वाले प्रस्ताव पर चर्चा के बाद फैसला लेंगे। आज शाम तक स्थिति साफ होने की उम्मीद है। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने इसकी जानकारी दी है। उनका कहना है कि किसान आज सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा करेंगे। चर्चा के बाद आगे क्या करना है उसपर फैसला होगा। छठे दौर की बैठक रद हो गई है। शाम चार-पांच बजे तक सबकुछ साफ होगा।

इससे पहले उन्होंने कहा कि मंगलवार को गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक सकारात्मक रही। हालांकि, उन्होंने इस बात को दोहराया कि किसान चाहते हैं कि नए कृषि कानूनों को वापस ले लिया जाए, जबकि सरकार संशोधन करना चाहती है। टिकैत ने बैठक को लेकर कहा, 'मैं कहूंगा कि बैठक सकारात्मक रही। सरकार ने हमारी मांगों पर संज्ञान लिया है और हमें एक मसौदा देगी, जिस पर हम विचार-विमर्श करेंगे। अभी यह तय नहीं है कि सरकार के साथ अगली बैठक कब होगी। विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।'

किसान यूनियनों के नेताओं ने मंगलवार को अमित शाह, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के साथ कृषि कानूनों को लेकर एक बैठक की। बैठक के बाद, अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने मीडियाकर्मियों से कहा था कि केंद्र के साथ छठे दौर की बैठक रद हो गई है। यह बैठक आज होनी थी उन्हें सरकार से एक प्रस्ताव मिलेगा, जिस पर वे विचार-विमर्श करेंगे।

इस बीच, विपक्षी दलों का एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल आज शाम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करेगा, सीपीआइ (एम) के महासचिव सीताराम येचुरी ने इसकी जानकारी दी। इस प्रतिनिधिमंडल में राहुल गांधी, शरद पवार और अन्य शामिल होंगे। कोविड -19 प्रोटोकॉल के कारण, केवल 5 लोगों को उनसे मिलने की अनुमति दी गई है। दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर से विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों ने मंगलवार को भारत बंद का आह्वान किया था। इसे कई राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त था। सरकार और किसान यूनियनों ने अब तक पांच दौर की वार्ता की है।