संवाददाता, जयपुर। राजस्थान में पंचायत समिति और जिला परिषद सदस्यों के चुनाव में कांग्रेस की हार पर बुधवार रात मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सफाई दी है। उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव के नतीजे हमारे अनुकूल नहीं रहे। पिछले नौ माह में सरकार कोविड की रोकथाम के लिए मेहनत कर रही है। सरकार की प्राथमिकता लोगों का जीवन बचना रहा। सरकार ने प्रदेश में हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया है। सरकार का पूरा ध्यान कोरोना महामारी पर रह। जिसके चलते हम अपनी योजनाओं का प्रचार नहीं कर सके। वहीं, विपक्ष के नेताओं ने ग्रामीण क्षेत्रों में दौरे कर मतदाताओं को भृमित किया। उन्होंने कहा कि आने वाले समय मे नए सिरे से फीडबैक लेकर जनता तक सुशासन पहुंचाएंगे। विपक्ष के दुष्प्रचार का जवाब देंगे।
चुनाव परिणा कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी
राजस्थान में पंचायत चुनाव के परिणाम सत्तारू़ढ़ अशोक गहलोत सरकार और कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी है। भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं में उत्साह बढ़ाने वाले हैं। जिला परिषषद व पंचायत समिति चुनाव में एक तरफ जहां सत्ता में रहने के बावजूद कांग्रेस पिछड़ गई, वहीं भाजपा को नियोजित तरीके से चुनाव लड़ने का लाभ मिला और गांव-गांव में कमल खिला। कृषि सुधार कानूनों के विरोध के सहारे गांवों की सरकार पर कब्जा करने का कांग्रेस का मंसूबा नाकाम हो गया। हार के बाद कांग्रेस में सत्ता और संगठन के प्रति असंतोष बढ़ सकता है। मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों में देरी से विधायकों व नेताओं में पहले से ही बेचैनी है, जो अब असंतोष में बदल सकती है। सरकार के मंत्री और विधायक कोविड-19 के भय से गांवों में नहीं गए, जयपुर में ही बैठकर टिकट बांट दिए। वहीं, भाजपा ने वरिष्ठ नेताओं को भी गांवों में भेजा। भाजपा ने कार्यकर्ताओं की मंशा के अनुसार टिकट वितरित किए, जिसका नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस से अधिक सीटें मिलीं।
कांग्रेस की हार के ये हैं प्रमुख कारण
-मंत्रियों ने कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं की
-विधायकों के रिश्तेदारों को टिकट दिया गया
-छह माह से ब्लॉक स्तर तक संगठन नहीं
दिग्गजों के क्षेत्र में कांग्रेस को मिली हार
कांग्रेस के 23 विधायकों ने अपने रिश्तेदारों को चुनाव मैदान में उतारा, जिनमें अधिकांश हार गए। सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से हटाते समय प्रदेश से लेकर ब्लॉक कांग्रेस कमेटियां भंग कर दी गई थी, जिनका गठन अब तक नहीं हुआ। केवल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डोटासरा व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही मिलकर सत्ता और संगठन के फैसले कर रहे हैं। हालात यह हुए कि डोटासरा के विधानसभा क्षेत्र में पार्टी हार गई। पायलट के साथ ही वरिष्ठ मंत्रियों रघु शर्मा, महेंद्र चौधरी, उदयलाल आंजना, अशोक चांदना व हरीश चौधरी के इलाकों में कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा। टिकट बंटवारे में गड़बड़ी से कार्यकर्ताओं में नाराजगी बढ़ी।
इस तरह जीती भाजपा
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरण सिह के नेतृत्व में प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने टीम बनाकर चुनाव लड़ा। वरिष्ठ नेताओं को जिलों का प्रभारी बनाया गया। टिकट तय करने का काम कार्यकर्ताओं की राय से हुआ। अशोक गहलोत सरकार से ग्रामीणों की नाराजगी का फायदा उठाने के लिए ब्लैक पेपर जारी किया गया। ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार से लोगों की नाराजगी का असर दिखा।
निर्वाचन आयोग का प्रबंधन गड़बड़ाया
पंचायत चुनाव में इस बार राज्य निर्वाचन आयोग का चुनाव प्रबंधन पूरी तरह फेल रहा। हालात यह है कि बुधवार सुबह तक समस्त चुनाव परिणाम जारी नहीं हो सके, जबकि ईवीएम मशीन से मतदान हुआ था। मंगलवार सुबह से मतगणना शुरू हुई और बुधवार दोपहर में पूरे परिणाम आए।