
कर्नाटक में परिवहन निगम के कर्मचारी समान वेतन समेत अन्य मांगों को लेकर लगातार तीन दिन से हड़ताल पर है। इससे यहां लोगों को यात्रा करने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। परिवहन विभाग को इसके चलते करोड़ों का नुकसान हो चुका है।
बेंगलुरु, पीटीआइ। कर्नाटक में परिवहन निगम के कर्मचारी समान वेतन समेत अन्य मांगों को लेकर लगातार तीन दिन से हड़ताल पर है। इससे यहां लोगों को यात्रा करने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है ।बेंगलुरु मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन, कर्नाटक स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन, नॉर्थ वेस्ट कर्नाटक रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन और नॉर्थ ईस्टर्न कर्नाटक रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन के कर्मचारी गुरुवार से ही हड़ताल पर हैं। केएसआरटीसी और बीएमटीसी को छह करोड़ का नुकसान हो चुका है। वे राज्य सरकार के कर्मचारियों के समान वेतन देने की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा वे चाहते हैं कि कोरोना के कारण मरने वाले कर्मचारियों को कोरोना वॉरियर्स के समान मुआवजा मिले।
परिवहन कर्मचारियों के ड्यूटी पर न आने के कारण बीएमटीसी और राज्य परिवहन निगमों की बहुत कम बसें चल रही हैं। केएसआरटीसी के एक अधिकारी ने कहा कि सुबह 8 बजे तक मंगलुरु में 87 बसें, शिवमोग्गा में तीन, दावणगेरे में दो और चित्रदुर्ग में केवल एक बस ही चली। बेंगलुरु सहित कई अन्य डिवीजनों में एक भी बसें संचालित नहीं हुईं। बीएमटीसी के जनसंपर्क अधिकारी ने कहा कि 6,500 से अधिक बसों में केवल 94 सिटी बसें ही चल पा रही हैं।
विरोध प्रदर्शन के दौरान छिटपुट हिंसा की खबरे हैं। यात्रियों से भरी कुछ बसों पर पथराव की घटनाओं की जानकारी सामने आई है। इसके अलावा आंदोलनकारी कर्मचारियों के हितों के खिलाफ जाकर ड्यूटी में शामिल होने वाले बस ड्राइवरों और कंडक्टरों के साथ बदसलूकी की भी खबरें हैं। बेंगलुरु में केएसआरटीसी और बीएमटीसी का केंद्रीय बस स्टैंड मैजेस्टिक से कुछ आंदोलनकारियों को पुलिस ने अपनी हिरासत में ले लिया है।
राज्य सरकार ने परिवहन विभाग के कर्मचारियों से अपील की है कि वे हड़ताल खत्म करें क्योंकि यात्रियों को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, कर्मचारियों ने यह अपील नहीं मानी है। केएसआरटीसी और बीएमटीसी के अधिकारियों के अनुसार, इन निगमों को पिछले तीन दिनों में लगभग छह करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। राज्य में 8 दिसंबर से पिछले पांच दिनों से लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। पहले यह किसानों का आंदोलन और अब परिवहन कर्मचारियों की हड़ताल है।