
संवाद सहयोगी, मोदीनगर। उखरालसी श्मशान घाट की छत से लेंटर गिरने की घटना में भले ही अब कागजी कार्रवाई शुरू हाे गई हो। लेकिन, भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी 19 जिंदगियां इससे वापस नहीं आएगी। श्मशान घाट में घटिया निर्माण सामग्री लगाने को लेकर स्थानीय लोग पहले भी शिकायत कर चुके थे। यदि उस समय ही इस पर जांच बैठ जाती, तो शायद इतने लाेगों की मौत नहीं होती। अब श्मशान भवन का निर्माण करने वाले ठेकेदार, निर्माण कार्य का जांच अधिकारी, नगरपालिका ईओ और चेयरमैन कटघरे में खड़े हो गए हैं। सभी की मिलीभगत का ही परिणाम रहा कि कई लोगों ने अपनों को खो दिया।
श्मशान घाट का निर्माण ठेकेदार अजय त्यागी
द्वारा कराया गया। जो नगरपालिका चेयरमैन विकास तेवतिया को बेहद करीबी हैं।
इतना ही नहीं, अजय की नगरपालिका के अधिकारियाें से भी अच्छी पैट है।
अधिकारियाें की साठगांठ अौर चेयरमैन से अच्छे ताल्लुकात के चलते ही अजय की
फर्म को अधिकतर विकास कार्याें के ठेके मिले है। अब भी शहर में कई विकास
कार्य अजय ठेकेदार द्वारा कराए जा रहे हैं। इन्हीं में एक श्मशान घाट भी
शामिल था। करीब एक साल पहले श्मशान घाट का ठेका अजय त्यागी को मिला। जिसके
निर्माण में करीब 60 लाख लागत आई। अक्टूबर माह में श्मशान भवन पर लिंटर
डाला गया। दिसंबर माह में निर्माण पूरा हो गया।
निर्माण के बाद जांच अधिकारी ने भवन की जांच की और गुणवत्ता रिपोर्ट में
सभी मानकों को सही बताया। जब गुणवत्ता सही पाई गई तो, एक ही बरसात में
लिंटर कैसे गिर पड़ा। ये सवाल प्रत्येक शहरवासी की जुबां पर है। इतना ही
नहीं, स्थानीय लोगाें ने कुछ महीने पहले श्मशान के निर्माण में घटिया
सामग्री का इस्तेमाल होने की शिकायत भी उच्चाधिकारियों से की थी, लेकिन उस
समय किसी ने इसको गंभीरता से नहीं लिया।अब अधिकारियों व ठेकेदार की लापरवाही का खामियाजा ही शहरवासियों को
झेलना पड़ा। इतना ही नहीं, ठेकेदार अजय की अन्य विकास कार्यों में भी
परोक्ष रूप से हिस्सेदारी है। श्मशान का लिंटर गिरने के बाद अब अजय त्यागी
द्वारा कराए गए अन्य विकास कार्यों की निष्पक्ष जांच कराना जरूरी हो गया
है।