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पटना, बिहार ऑनलाइन डेस्क। सड़ांध भरे नाले से सटी संकरी सड़क पर आवारा कुत्तों के बीच पसरी जिंदगी और पास के स्कूल परिसर में गांव वालों की लगी बैठकी। जिस वक्त हम पटना के दानापुर स्थित जमसौत मुसहरी गांव पहुंचे, ऐसा ही नजारा था। इसी गांव में रहती है 'माइक्रोसॉफ्ट' (Microsoft) के संस्थापक अरबपति बिल गेट्स की एक बेटी। हम बात कर रहे हैं 11 साल की बच्ची रानी कुमारी की, जिसे एक दशक पहले गांव आए बिल गेट्स दंपती ने गोद में लेकर 'बेटी की तरह' बताते हुए प्यार किया था। तब गेट्स दंपती ने अपने 'बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन' के तहत रानी तथा उसके गांव के लिए कई वादे किए थे। ये वादे आज तक पूरे नहीं हो सके हैं। रानी को अपने 'धर्मपिता' का तब से इंतजार है।
दस साल पहले जमसौत गांव आए थे बिल गेट्स
पटना शहर से सटे दानापुर में सैनिक छावनी के पीछे है जमसौत पंचायत। इसी पंचायत की दलित बस्ती है जमसौत मुशहरी। बिहार में व्याप्त गरीबी देखनी हो तो यहां आइए। बिल गेट्स दंपती यहां 23 मार्च 2011 को आए थे। दरअसल, राज्य में स्वास्थ्य सुधार को लेकर बिल गेट्स फांउडेशन और बिहार सरकार के बीच साल 2010 में एक समझौते हुआ था। इसके अंतर्गत मातृ मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर, कुपोषण आदि दूर करने को लेकर काम किया जाना था। गेट्स दंपती की यात्रा इसी सिलसिले में हुई थी।

अपने जर्जर इंदिरा आवास के बाहर रानी कुमारी(तस्वीर: जागरण)
मेहनत-मजदूरी से दो वक्त की रोटी का जुगाड़
मां रुंती कभी गांव में 'दीदी जी (पद्मश्री सुधा वर्गीज) नैपकिन पैड बनाने के सेंटर में गांव की महिलाओं के साथ काम करतीं थीं। इससे कुछ पैसे मिल जाते थे। लेकिन अब वह बंद हो चुका है। ऐसे में राजगार का कोई स्थाई सहारा नहीं है। मेहनत-मजदूरी कर दो वक्त की रोटी का जुगाड़ हो जाता है।
बड़ा होकर डॉक्टर या टीचर बनना चाहती है रानी
रुंती बताती हैं कि उनकी बेटी बड़ी होकर 'डॉक्टरनी' (Doctor) या 'मास्टरनी' (Teacher) बनना चाहती है। पास खड़ी रानी भी इसपर मौन सहमति देती है। बताती है कि अभी तो वह तीसरी कक्षा में है। सफर लंबा है और ख्वाब भी बड़े हैं, लेकिन रानी हौसले कर अपनी उड़ान भरे भी तो कैसे? इसके लिए पैसों के पंख चाहिए। रुंती कहती हैं कि अपनी धर्म बेटी के लिए बिल गेट्स कुछ करते तो अरमान पूरे हो जाते। मजदूरों की निरक्षर बस्ती से एक डॉक्टर बेटी निकलती तो और बच्चों को भी पढ़ने की प्रेरणा मिलती। गांव में अपनी संतानों को पढ़ाने की ललक है, एक मध्य विद्यालय भी है, लेकिन आर्थिक मजबूरी सपनों को खाक कर दे रही है।
गांव की हालत की जानकारी देते वार्ड सदस्य दीपक मांझी (तस्वीर: जागरण)
खुले में शौच मजबूरी, पंचायत में स्वास्थ्य केंद्र नहीं
नाम नहीं बताने के आग्रह के साथ पड़ोस की एक महिला ने कहा कि बिल गेट्स ने रानी का घर बनवाने व गांव के विकास के वादे किए थे, लेकिन बड़े लोग पैसे हड़प गए। गरीबों के साथ ऐसा ही होता है। पंचायत के वार्ड सदस्य दीपक मांझी गेट्स फाउंडेशन से पैसे मिलने या उसके गोलामल से तो इनकार करते हैं, लेकिन बातों-बातों में गांव की बदहाल स्थिति जरूर बयां कर जाते हैं। दीपक मांझी कहते हैं कि गांव की करीब 80 फीसद आबादी तक हर घर नल का जल योजना के तहत स्वच्छ जल पहुंच रहा है, लेकिन यहां की करीब तीन हजार की आबादी पर उपयोग के लायक केवल 16 शौचालय ही हैं। रानी सहित करीब-करीब सभी दलितों के घर शौचालयविहीन हैं। ऐसे में खुले में शौच जाना मजबूरी है। गांव में बिजली तो है, लेकिन शायद ही किसी के घर में मीटर लगा हो। जमसौत पंचायत के मुखिया राजेंद्र बेलदार बताते हैं कि कोई बीमार पड़ जाए तो शहर का रूख करना पड़ता है। पूरे पंचायत में एक भी स्वास्थ्य केंद्र नहीं है।
विकास की प्रशासनिक पहल का जारी है इंतजार
जमसौत में पहले नैपकिन पैड निर्माण का सेंटर चलाने वाली पद्मश्री सुधा वर्गिज कहतीं हैं कि उन्होंने साल 2005 में ही गांव छोड़ दिया था, लेकिन यहां से लगाव कम नहीं हुआ है। दलितों के इस जागरूकताविहीन गांव का यह हाल था कि यहां की महिलाएं यह भी नहीं जानती थीं कि दुष्कर्म क्या होता है। सुधा वर्गिज ने बताया कि उनकी पहल पर इस गांव में दुष्कर्म का पहला मुकदमा दर्ज कराया गया था। उन्होंने बताया कि बिल गेट्स के आने पूर्व सूचना नहीं रहने के कारण वे उस वक्त वहां मौजूद नहीं थीं। वे मानती हैं कि गेट्स अपने साथ जो उम्मीदें लेकर आए थे, उन्हें पूरा कराने के लिए प्रशासनिक स्तर पर जो पहल की जान चाहिए थी, वह नहीं की जा सकी है।