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नवजोत सिंह सिद्धू इन दिनों ट्विटर पर खूब सक्रिय हैं लेकिन उनका अंदाज बहुत शायराना हो चुका है। पंजाब के साप्ताहिक कालम बात पते की में राज्य की कुछ ऐसी ही राजनीति से जुड़ी अंदर की खबरों पर नजर डालते हैं।
चंडीगढ़। क्रिकेटर से राजनीतिज्ञ बने नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) इन दिनों मायूस मालूम पड़ते हैं। कांग्रेस की कार्यवाहक अध्यक्षा सोनिया गांधी से मुलाकात करने के बावजूद सिद्धू की मायूसी दूर नहीं हो पा रही है। इसलिए वे ट्विटर पर भी शायराना अंदाज में नजर आ रहे हैं। सोनिया से मुलाकात के बाद सिद्धू ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, 'नसीब जिनके ऊंचे और मस्त होते हैं, इम्तिहान भी उनके जबदस्त होते हैं।'
अब गुरु ही बता पाएंगे कि इम्तिहान किसका है। चर्चा है कि पार्टी हाईकमान से मुलाकात के बावजूद नवजोत सिंह सिद्धू की परेशानी कम नहीं हो पा रही है। वह लंबे समय से खुद को पंजाब कैबिनेट में शामिल होने का सपना देख रहे हैं, लेकिन बीतते समय के साथ उनका यह सपना उनसे दूर ही होता जा रहा है। बात पते की यह है कि गुरु को भरोसा तो मिलता है, लेकिन उनके हाथ में कुछ नहीं आ रहा है। ऐसे में मायूस होना तो लाजमी है।
सत्ता का स्वभाव नहीं बदलता
कहते हैं सत्ता बदलती है, लेकिन सत्ताधारी का स्वभाव कभी नहीं बदलता। निकाय चुनाव में जो घटनाक्रम चल रहा है, उससे यही प्रतीत होता है। क्योंकि 2017 से पहले जो आरोप कांग्रेस सत्ताधारी अकाली दल और भाजपा पर लगाती थी, वही आरोप अब अकाली दल व भाजपा वाले सत्ताधारी कांग्रेस पर लगा रहे हैं। पहले कांग्रेसी पिटते थे, अब अकाली दल और भाजपा वाले पिट रहे हैं। पहले नामांकन कांग्रेस के रद होते थे, अब भाजपा और अकाली दल के उम्मीदवारों के रद हो रहे हैं। बात पते की यह है कि सब कुछ वैसा ही है। पुलिस भी और अधिकारी भी। बदली है, तो केवल सत्ता। सत्ता बदलने के साथ ही पुलिस अधिकारियों व प्रशासनिक अधिकारियों की निष्ठा भी बदल जाती है। चुनाव में राजनीतिक पार्टियां केवल सूरत बदलने का ही दावा करती हैं। सीरत तो राजनीतिक पार्टियों की कभी नहीं बदलती।