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अयोध्या में रामजन्मभूमि मामले तथा पटाखों की बिक्री पर रोक सहित कई ऐतिहासिक फैसलों में शामिल रहे देश के प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे से केंद्र सरकार ने उनसे उनके उत्तराधिकारी का नाम मांगा है। उनकी सेवानिवृत्ति में एक महीने से भी कम समय बचा है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। अयोध्या में रामजन्मभूमि मामले तथा पटाखों की बिक्री पर रोक सहित कई ऐतिहासिक फैसलों में शामिल रहे देश के प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे से केंद्र सरकार ने उनसे उनके उत्तराधिकारी का नाम मांगा है। उनकी सेवानिवृत्ति में एक महीने से भी कम समय बचा है, ऐसे में सरकार ने नए प्रधान न्यायाधीश की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सरकार ने उनसे अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश करने को कहा है।
प्रधान न्यायाधीश के उत्तराधिकारी के चयन की प्रक्रिया शुरू
सूत्रों ने शनिवार को बताया कि इस संबंध में केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने 23 अप्रैल को सेवानिवृत्त होने जा रहे न्यायमूर्ति बोबडे को शुक्रवार को एक पत्र भेजा और नए प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) के नाम की सिफारिश करने को कहा। बता दें कि मानक प्रक्रिया के तहत प्रधान न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश की होनी चाहिए।
23 अप्रैल को सेवानिवृत्त हो रहे हैं चीफ जस्टिस बोबडे
वरिष्ठता को लेकर अगर कोई दुविधा हो तो अन्य जजों से सलाह के बाद नाम तय किया जाता है। नाम की सिफारिश मिलने के बाद प्रधान न्यायाधीश की नियुक्ति की प्रक्रिया के तहत कानून मंत्री उसे प्रधानमंत्री के समक्ष रखते हैं, जो राष्ट्रपति को नियुक्ति के विषय में सलाह देते हैं।
न्यायमूर्ति एनवी रमना शीर्ष कोर्ट में वरिष्ठतम न्यायाधीश
सीजेआइ बोबडे के बाद न्यायमूर्ति एनवी रमना शीर्ष कोर्ट में वरिष्ठतम न्यायाधीश हैं। 27 अगस्त, 1957 में जन्मे न्यायमूर्ति रमना का शीर्ष कोर्ट में न्यायाधीश के तौर पर कार्यकाल 26 अगस्त, 2022 तक है। प्रधान न्यायाधीश बोबडे ने 18 नवंबर, 2019 को देश के 47वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी।