हांगकांग में लोकतंत्र खत्‍म करने के लिए चीन ने चली बड़ी चाल, अब देशभक्‍त ही लड़ सकेंगे चुनाव

 

हांगकांग में लोकतंत्र खत्‍म करने के लिए चीन ने चली बड़ी चाल। फाइल फोटो।

चीन ने हांगकांग में चुनावी प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया है। नए कानून के तहत अब सिर्फ बीजिंग के वफादार ही हांगकांग में चुनाव लड़ सकते हैं। चीन ने पहले राष्‍ट्रीय सुरक्षा कानून और इसके बाद हांगकांग की चुनावी प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया है।

बीजिंग, एजेंसियां। चीन ने हांगकांग में चुनावी प्रक्रिया में बड़े बदलाव किए हैं। नए कानून के तहत अब सिर्फ बीजिंग के वफादार ही हांगकांग में चुनाव लड़ सकते हैं। चीन ने पहले राष्‍ट्रीय सुरक्षा कानून और इसके बाद हांगकांग की चुनावी प्रक्रिया में बड़े बदलाव किए। हालांकि, चीन के इस कानून पर अमेरिका या अन्‍य यूरोपीय देशों की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन इस को लेकर इन देशों से चीन का टकराव बढ़ सकता है। मंगलवार को चीन के राष्‍ट्रपति शी चिनफ‍िंग ने चुनाव सुधार की योजना पर हस्‍ताक्षर किए। चीन के सरकारी मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हांगकांग की व्‍यवस्‍था में इस बड़े बदलाव का कारण यह है कि अब देश भक्‍त लोगों के जर‍िए ही स्‍थानीय निकायों का संचालन हो सकेगा। उधर, हांगकांग के विपक्ष का कहना है कि चीन अपनी इस नीति के जरिए हांगकांग में असंतोष को दबाने की कोशिश कर रहा है। गौरतलब है कि राष्‍ट्रीय सुरक्षा कानून लागू होने के बाद हांगकांग में 47 लोकतंत्र समर्थकों की गिरफ्तारी कर चुका है। उन पर देश विरोधी काम करने का आरोप लगाया गया है।

इस योजना के जरिए हांगकांग में विपक्ष को खत्‍म करना चाहता है चीन

इस योजना का मकसद हांगकांग की गवर्नेंस में खामियों को दूर किया जाएगा। इस योजना के तहत हांगकांग में ऐसे लोग ही चुनाव में भाग ले सकेंगे, जिनकी चीन के प्रति आस्‍था है। हांगकांग में चीन के इस फैसले का भारी विरोध हो रहा है। चीन अपनी इस योजना के जरिए हांगकांग में विपक्ष को खत्‍म करना चाहता है। इसके पूर्व चीन ने हांगकांग में नए राष्‍ट्रीय सुरक्षा कानून को लागू किया था। इस कानून का मकसद देश में लोकतंत्र समर्थकों के ऊपर नकेल कसना था। चीन अपनी इस रणनीति में काफी हद तक सफल भी रहा। चीन की चुनावी सुधार योजना का मकसद हांगकांग में लोकतंत्र के पक्ष में उठ रही आवाज को शांत करना है। चीन की इस योजना के खिलाफ हांगकांग में विरोध हो रहा है। दरअसल, हांगकांग में अपने विरोध की आवाज को दबाने के लिए चीन ने वहां के कई कानूनों में बदलाव किया है।

चीन ने मार्च में दिए थे चुनावी प्रक्रिया में बदलाव के संकेत

चीन ने मार्च में अपनी कांग्रेस की बैठक में इस योजना का खुलासा किया था। चीन ने नेशनल पीपल्‍स कांग्रेस की बैठक में यह संकेत दिया था कि हांगकांग की चुनाव व्‍यवस्‍था में व्‍यापक बदलाव किए जाएंगे। चीन ने साफ किया था कि अब हांगकांग की बागडोर चीनी देशभक्‍त के हाथों में होगी। इस बैठक में हांगकांग के संविधान में कई अहम बदलाव के संकेत मिले थे। एनपीसी उपाध्‍यक्ष वांग चेन ने संकेत दिया था कि हांगकांग की चुनावी व्‍यवस्‍था में फेरबदल किया जा सकता है। उन्‍होंने कहा था कि इसके चलते विपक्ष हांगकांग में आजादी की मांग उठाता रहा है। इस बैठक में यह कयास लगाए गए थे कि चीन इन खतरों से निजात पाने के लिए हांगकांग में आजादी की मांग करने वालों को राजनीतिक सत्‍ता से दूर करने का यत्‍न किया जा सकता है। 

हांगकांग में खत्‍म हो रहा है विपक्ष

ब्रिटेन का उपनिवेश रहा हांगकांग अब चीन का एक भाग है। यहां शासन एक देश दो, व्‍यवस्‍थाओं की नीति के तहत चलता है। हांगकांग की अपनी कानून व्‍यवस्‍था है। उसका अपना एक संविधान है। हांगकांग में अभिव्‍यक्ति और प्रेस की आजादी है। उसके लिए बाकयदा कानून है। हाल के वर्षों में हांगकांग की स्‍वतंत्रता और स्‍वायत्‍तता को भारी नुकसान हुआ है। चीन की नई राष्‍ट्रीय सुरक्षा कानून के बाद वहां के सभी लोकतंत्र समर्थक विधायकों ने त्‍यागपत्र दे दिया था। इसके साथ ही हांगकांग में विपक्ष पूरी तरह से खत्‍म हो गया है। लोकतंत्र समर्थकों को स्‍थानीय चुनावों में काफी दबदबा रहता है। यह बात चीन को शुरू से अखरती रही है।

 हांगकांग की 70 सदस्‍यीय विधायिका में आधे निर्वाचित

मौजूदा समय में हांगकांग की 70 सदस्‍यीय विधानसभा में  आधे सीधे जनता द्वारा निर्वाचित होते हैं, जबकि आधे सदस्‍य बीमा, इंजीनियरिंग और कृषि जैसे क्षेत्र से चुने जाते हैं। इसके लिए चीन समर्थित चुनाव समिति सभी उम्‍मीदवरों को नामांकित करती है, जबकि विपक्षी नेताओं को चुनाव लड़ने से रोक दिया जाता है। चीन ने संकेत दिए हैं कि समिति के आकार, संरचना और गठन की व्‍यवस्‍था में बदलाव किया जाएगा। मुख्‍य कार्यकारी की नियुक्‍त‍ि भी चुनाव समिति करेगी।

क्‍या है चीन की नेशनल पीपल्‍स कांग्रेस

चीन की नेशनल पीपल्‍स कांग्रेस देश की सबसे बड़ी और शक्तिशाली राजनीतिक संस्‍था। इसे चीन की संसद कहा जाता है। हालांकि, व्‍यवहार में यह एक रबर स्‍टांप वाली संसद है। इसका कार्य केवल चीनी सरकार की तय नीतियों और योजनाओं पर मुहर लगाने के काम तक सीम‍ित है। इस संस्‍था की सालाना बैठक प्रत्‍येक वर्ष मार्च में होती है। इसमें देशभर से करीब तीन हजार प्रतिनिधि हिस्‍सा लेते हैं। इसमें चीन के विभिन्‍न प्रांतों, हांगकांग तथा मकाऊ के विशेष प्रशासनिक क्षेत्र में प्रतिनिधि शामिल होते हैं। चीनी कांग्रेस की इस बैठक के साथ ही चीन की पीपल्‍स कंसल्‍टेटिव कॉन्‍फ्रेंस की भी बैठक होती है। यह देश की सबसे सर्वोच्‍च राजनीतिक सलाहकारी संस्‍था है।