छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दिया निर्देश, समान तरीके से हो वैक्सीन का वितरण


कोरोना के टीकाकरण में आरक्षण को लेकर दायर याचिका

जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने राज्य शासन द्वारा टीकाकरण में आरक्षण लागू करने के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने हाई कोर्ट में लंबित जनहित याचिका पर इसे हस्तक्षेप याचिका मानकर सुनवाई करने का आग्रह किया था।

बिलासपुर, राज्य ब्यूरो। छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को संबंधित विभागों के सचिवों के साथ चर्चा करने और टीकों के आवंटन के अनुपात को ठीक करने और टीकाकरण के तीसरे चरण में टीकों को वितरित करने (18-44 आयु वर्ग के लिए) को एक समान तरीके से वितरित करने का निर्देश दिया। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से कहा कि 'गरीबी रेखा से नीचे' अंत्योदय समूह और 'गरीबी रेखा से ऊपर' से संबंधित व्यक्तियों को सभी प्रासंगिक पहलुओं के संदर्भ में टीके आवंटन का एक उचित अनुपात तय करें।

छत्तीसगढ़ में कोरोना के टीकाकरण में आरक्षण को लेकर दायर याचिकाओं पर मंगलवार और बुधवार को हाई कोर्ट की युगलपीठ में सुनवाई हुई। इस दौरान हाई कोर्ट ने टीकाकरण में आरक्षण लागू करने पर सख्त एतराज जताया है। कोर्ट ने शासन को स्पष्ट किया है कि टीकाकरण में इस तरह का भेदभाव जायज नहीं है। हाई कोर्ट ने टीकाकरण को लेकर शासन को दो दिन में नई नीति बनाने के निर्देश दिए हैं। सरकार ने राज्य में पहले अंत्योदय कार्डधारी परिवारों के पात्र लोगों का टीकाकरण करने का फैसला किया है। इसके बाद बीपीएल और फिर एपीएल का नंबर आएगा।

हाई कोर्ट में याचिका दायर 

जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने राज्य शासन द्वारा टीकाकरण में आरक्षण लागू करने के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने हाई कोर्ट में लंबित जनहित याचिका पर इसे हस्तक्षेप याचिका मानकर सुनवाई करने का आग्रह किया था। इसी तरह टीकाकरण में आरक्षण को लेकर अलग-अलग पांच से अधिक हस्तक्षेप याचिकाएं दायर हुई हैं, जिस पर मंगलवार को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन व जस्टिस पीपी साहू की बेंच में वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये सुनवाई हुई। 

टीकाकरण को लेकर शासन द्वारा आरक्षण लागू किए जाने पर आपत्ति जताई

इस दौरान याचिकाकर्ता किशोर भादुड़ी समेत अन्य अधिवक्ताओं ने टीकाकरण को लेकर शासन द्वारा आरक्षण लागू किए जाने पर आपत्ति जताई और कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी टीकाकरण को लेकर प्राथमिकताएं तय की हैं, लेकिन उसमें आरक्षण जैसी स्थिति नहीं है। शासन ने प्रदेश की जनता के संवैधानिक अधिकारों का हनन किया है। सभी ने शासन के इस आदेश को तत्काल निरस्त करने व नई नीति बनाने की मांग की। सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा ने शासन का पक्ष रखा। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने शासन को दो दिन के भीतर टीकाकरण को लेकर स्पष्ट नीति बनाने के निर्देश दिए हैं।