दिल्ली के स्कूलों के प्रधानाचार्यों के मुताबिक छात्रों के अंक अपलोड करने में सर्वर भी एक प्रमुख समस्या थी। समय कम था और बहुत से स्कूल एक साथ छात्रों के अंक अपलोड कर रहे थे।
नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) का परिणाम बिना परीक्षा लिए सीबीएसई द्वारा तय की गई मूल्यांकन नीति के आधार पर तय करने में बहुत समस्याएं नहीं आई, क्योंकि बोर्ड ने परिणाम तैयार करने में आ रही हर समस्या को बड़ी ही सहजता से हल किया। परिणाम तैयार करने के लिए बोर्ड ने एक सॉफ्टवेयर तैयार किया था। लेकिन इस बात का मलाल है कि रिवर्स माडरेशन की वजह से योग्य छात्रों के अंक काटने पड़े। ये कहना है दिल्ली के स्कूलों की प्रधानाचार्यों का। प्रधानाचार्यों के मुताबिक छात्रों के अंक अपलोड करने में सर्वर भी एक प्रमुख समस्या थी। समय कम था और बहुत से स्कूल एक साथ छात्रों के अंक अपलोड कर रहे थे।
नीता अरोड़ा (प्रधानाचार्या, श्री वेंकटेशवर इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल, द्वारका) का कहना है किकुछ बहुत ही मेधावी छात्र जो सभी विषयों में 100 फीसद लक्ष्य कर रहे थे उन्हें नुकसान हुआ। छात्रों ने10वीं और 11वीं में समान सफलता हासिल की लेकिन 12वीं का परिणाम उनके अपने प्रदर्शन पर नहीं बल्कि रेफरेंस ईयर के टापर के प्रदर्शन पर आधारित था। दूसरा छात्रों के परिणाम तैयार करने के लिए शिक्षकों के साथ 10-15 घंटे काम करना पड़ता था।
वीना मिश्रा (प्रधानाचार्या, नेशनल विक्टर पब्लिक स्कूल, पटपड़गंज) की मानें तो बोर्ड ने संदर्भ साल (रेफरेंस ईयर) के मुताबिक ही अंक देने को कहे थे। लेकिन बाद में कहा कि इसमें रेफरेंस ईयर में जितने छात्रों के 95 फीसद से ज्यादा अंक आए थे उतने ही छात्र इस साल भी होने चाहिए। अब स्कूल में इस साल रेफरेंस ईयर से ज्यादा छात्रों के 95 फीसद अंक आ रहे थे। लेकिन बोर्ड ने नियम तय कर दिया था तो कुछ छात्रों के अंक न चाहते हुए भी काटने पड़े।प्रियंका गुलाटी (प्रधानाचार्या, एवरग्रीन पब्लिक स्कूल, मयूर विहार) का कहना है किबोर्ड का परिणाम तैयार करने के लिए समय कम था, लेकिन शिक्षकों ने दिन रात मेहनत की। त्योहारी छुट्टियों के दिन भी छात्रों का परिणाम तैयार किया।
ज्योति अरोड़ा (प्रधानाचार्या, माउंट आबू स्कूल, रोहिणी) ने बताया किसीबीेएसई ने परिणाम तैयार करने के लिए आ रही दिक्कतों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किया था। परिणाम अपलोड करने के लिए बकायदा एक साफ्टवेयर तैयार किया था। बस शिक्षकों को थोड़ी मेहनत लगी, स्कूल की यही कोशिश थी कि हर एक छात्र का परिणाम पारदर्शी हो और छात्र अपने उस परिणाम से संतुष्ट भी हो।अलका कपूर (प्रधानाचार्या, मॉडर्न पब्लिक स्कूल, शालीमार बाग) ने बताया कि कक्षा 12वीं का परिणाम तैयार करने में सबसे बड़ी चुनौती थी उनके अंक में सीबीएसई द्वारा तय परफार्मेंस रेंज में ही तैयार करना था। ये मुश्किल काम था। लेकिन सीबीेएसई ने परिणाम के लिए जो पोर्टल तैयार किया था वो काफी मददगार था।