गुरुग्राम की तर्ज पर फरीदाबाद व पंचकूला नगर निगमों में होगा भ्रष्टाचार मामलों का स्पेशल आडिट

 

गुरुग्राम नगर निगम की फाइल फोटो ।
हरियाणा विधानसभा के मानसून सत्र में कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा के साथ भाजपा के नरेंद्र गुप्ता ने नगर निगमों में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया। इस पर मंत्री ने कहा कि इसका सरकार द्वारा स्पेशल आडिट करवाया जाएगा ।

 चंडीगढ़। हरियाणा में गुरुग्राम की तर्ज पर फरीदाबाद, पंचकूला के नगर निगम में भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के लिए स्पेशल आडिट करवाया जाएगा। विधानसभा के मानसून सत्र में सोमवार कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा द्वारा प्रश्नकाल के दौरान पूछे गए सवाल के जवाब में परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा ने कहा कि फरीदाबाद नगर निगम में बिना काम ठेकेदार सतबीर सिंह को किए गए भुगतान घोटाले की जांच स्टेट विजिलेंस ब्यूरो कर रहा है। इसकी जांच रिपोर्ट के बाद आरोपित अधिकारियों, कर्मचारियों और ठेकेदारों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा के कथन को आगे बढ़ाते हुए भाजपा विधायक नरेंद्र गुप्ता ने सदन में मौजूद उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला से मांग की कि नगर निगमों में हुए भ्रष्टाचार के साथ गुड्स एवं सर्विस टैक्स (जीएसटी) की जांच भी करवाई जाए। इससे नगर निगम, ठेकेदार और उनको माल आपूर्तिकर्ताओं द्वारा अदा किए गए जीएसटी के आंकड़ों के आधार पर जांच में आसानी रहेगी।

बता दें, गुरुग्राम नगर निगम में भ्रष्टाचार के मामले सामने आने पर पिछले एक माह से स्पेशल आडिट चल रहा है। निगम द्वारा गत वर्ष करवाए गए कार्यों की फाइल खंगाली जा रही है। गुरुग्राम नगर निगम घोटालों और गड़बड़झालों के लिए अकसर चर्चा में रहता है। इसको देखते हुए शहरी स्थानीय निकाय मंत्री अनिल विज ने स्पेशल आडिट करने के आदेश दिए थे। इसके अलावा अनिल विज ने पिछले दिनों स्वयं भी गुरुग्राम निगम का औचक निरीक्षण किया था। अनियमितता पाए जाने पर कई अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई भी की थी। आडिट टीम इन दिनों की निगम की बागवानी शाखा, टैक्स, विज्ञापन शाखा सहित अन्य शाखाओं के कार्य और इससे संबंधित भुगतान का आडिट कर रही है।

फरीदाबाद में बिना काम भुगतान घोटाला के अहम तथ्य

  • सात जुलाई 2020 को फरीदाबाद नगर निगम के पार्षद महेंद्र सिंह, सुरेंद्र अग्रवाल, दीपक यादव, दीपक चौधरी ने लेखा विभाग से मिली जानकारी के आधार पर निगमायुक्त को पत्र लिखकर बताया कि जिन कार्यों की एवज में निगम ठेकेदार को भुगतान कर चुका है, वे कार्य उनके वार्ड में हुए ही नहीं हैं।
  • निगमायुक्त ने पार्षदों की इस शिकायत पर नौ जुलाई 2020 को जांच के लिए फरीदाबाद नगर निगम के संयुक्त आयुक्त, मुख्य अभियंता, क्षेत्रीय एवं कराधान अधिकारी की कमेटी गठित कर दी। बाद में पार्षदों की मांग पर इस कमेटी में उप महापौर और पार्षद अजय बैसला को भी शामिल कर लिया गया।
  • मुख्य अभियंता ने 18 नवंबर 2020 को इसकी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की, इसमें बताया गया कि जांच कमेटी को वित्त विभाग ने सतबीर सिंह ठेकेदार से संबंधित फर्मों को 388 कार्यों के लिए भुगतान किया मगर इसकी एवज में वित्त नियंत्रक ने 271 वाउचर ही उपलब्ध कराए।
  • कमेटी ने संबंधित पार्षदों के साथ 27 अक्टूबर 2020 को विकास कार्यों का मौका निरीक्षण किया तो पाया कि मौके पर जो कार्य आउटसोर्सिंग के जेई राजन तेवतिया,नलकूप सहायक, दीपक कुमार (तत्कालीन जेई) और ठेकेदार सतबीर ने दिखाए हैं वे कार्यसूची से भिन्न हैं। ठेकेदार व जेई मौके पर कार्यसूची के अनुसार कार्य दिखाने में असमर्थ रहे।
  • जांच कमेटी ने रिपोर्ट दी कि जेई दीपक कुमार ने 151 फर्जी वाउचर बनाकर ठेकेदार सतबीर के साथ मिलीभगत कर भुगतान कराने में सहयोग किया। इससे नगर निगम को 7,62,08,238 रुपये का नुकसान पहुंचाया। इसमें ठेकेदार की तत्कालीन सहायक अभियंता शेर सिंह,मुख्य अभियंता डीआर भास्कर ने भी सहयोग किया।
  • कमेटी ने इसके बाद पाया कि बकाया 113 वाउचर में 4,78,29,982 रुपये का भी फर्जी बिलों पर भुगतान किया गया है। एेसे अन्य मामलों को मिलाकर 23,79,72,990 रुपये की नगर निगम को वित्तीय हानि हुई।
  • कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर निगमायुक्त ने जेई दीपक कुमार को निलंबित कर दिया और आउटसोर्सिंग के कर्मचारी राजन तेवतिया,पंकज, तसलीम और प्रदीप की सेवाएं समाप्त कर दी।
  • निगमायुक्त ने कमेटी की रिपोर्ट पर राज्य सरकार से मुख्य अभियंता डीआर भास्कर, लेखाधिकारी विशाल कौशिक सहित ठेकेदारों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने की सिफारिश की।
  • इस रिपोर्ट में कमेटी के सदस्यों ने भी इसे बड़ा घोटाला बताते हुए कहा कि यह निगम के इतिहास में अपने तरह का पहला और अनोखा घोटाला है।
  • निगमायुक्त ने 19 मार्च 2021 को एफआइआर के लिए सरकार से सिफारिश की मगर सरकार ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया।

पंचकूला नगर निगम में भ्रष्टाचार के मामले

इलेक्ट्रिक कार्ट खरीद:  पंचकूला नगर निगम ने डोर टू डोर गारबेज कलेक्शन के लिए फरवरी-2018 को 29 ई-कार्ट खरीदे थे। यह ई-कार्ट सात-आठ माह बाद ही खराब हो गए और कम्युनिटी सेंटर, सेक्टर 4 में खड़े कर दिए गए। इनमें से केवल तीन ई-कार्ट ही चल रही हैं। टेंडर की शर्तों के मुताबिक ई-कार्ट देने वाली एजेंसी को दो साल के गारंटी अवधि के लिए इनकी मरम्मत का जिम्मा भी संभालना था। नगर निगम की ओर से एजेंसी से इन खराब ई-कार्ट को ठीक कराने के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए। इसके लिए नगर निगम की ओर से 29 ड्राइवर भी रखे थे। ई-कार्ट खड़े रहे, लेकिन नगर निगम इन 29 ड्राइवर को बाद में डेढ़ साल तक सैलरी देता रही। इन ड्राइवर को हटाया नहीं गया, जिससे नगर निगम को वित्तीय नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई। मेयर व पार्षदों के चुने जाने पर इसकी जानकारी मिलने पर इनमें से 20 ड्राइवरों को हटा दिया गया है। छह ड्राइवर पहले ही छोड़ गए थे।

नाइट स्वीपिंग मशीन: शहरी स्थानीय निकाय विभाग, हरियाणा ने शहर को साफ-सुथरा रखने के लिए दो स्वीपिंग मशीन दी थी। यह स्वीपिंग मशीन चलाने के लिए नगर निगम ने आगे एजेंसी को ठेका अलाट किया हुआ है। निगम की ओर से सलेक्ट एजेंसी के मुकाबले एक अन्य एजेंसी चार लाख रुपये प्रतिमाह में काम करने के लिए तैयार थी, लेकिन निगम की ओर से उसे काम नहीं दिया गया। इस एजेंसी को ज्यादा पेमेंट के साथ डीजल के लिए अलग से भुगतान किया गया। दूसरी एजेंसी इससे आधे डीजल में काम करने के लिए तैयार थी। यह एजेंसी सफाई के लिए अपनी मशीन भी देने को तैयार थी। यह मशीन कांट्रेक्ट की शर्तों के मुताबिक सड़कों की सफाई भी नहीं कर रही है। एक मशीन करीब 76 लाख रुपये में खरीदी गई और मशीन चलाने के लिए 150 लीटर प्रतिमाह डीजल और 4.70 लाख प्रतिमाह अलग से दिया जा रहा है।

बायो मिथेनेशन: जटवाड़ में बने प्लांट में बायो मीथेन का काम शुरू होना था। यहां पंचकूला एमसी एरिया से निकले कचरे से गैस बननी थी। यह गैस शहर के रेस्टोरेंट को सप्लाई कर कमाई की जानी थी। मेयर कुलभूषण गोयल ने पार्षद सुरेश वर्मा, जय कौशिक, सीएसआई के साथ प्लांट का विजिट किया था। यह प्लांट बंद पड़ा था, जबकि निगम अफसरों की मिलीभगत से प्लांट चलाने वाली एजेंसी को पेमेंट होती रही। प्लांट में प्रॉपर रिकॉर्ड भी मेनटेन नहीं था।

गुरुग्राम नगर निगम में भ्रष्टाचार के मामले

स्पेशल आडिट कराने की घोषणा सरकार पहले भी कर चुकी है। कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा ने कहा कि विधानसभा में मेरे इस सवाल का जवाब नहीं दिया गया कि बिना काम भुगतान घोटाले के अलावा अन्य भ्रष्टाचार के मामलों को रोकने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है। नगर निगम के आयुक्त ने घोटाले में लिप्त तीन अधिकारियों पर एफआइआर दर्ज कराने की संस्तुति की गई है, मगर अभी तक सरकार ने सुनवाई नहीं की है। इसके अलावा बिना काम घोटाले की जांच स्टेट विजिलेंस ब्यूरो भी कब तक पूरी कर लेगा, यह भी जवाब नहीं दिया गया। यदि जांच में ज्यादा देर की गई तो फिर घोटाले के साक्ष्य ही नहीं रहेंगे।