विदेशी गणमान्य व्यक्तियों से मिले उपहार अब अपने पास रख सकेंगे अधिकारी, सरकार ने करीब 50 साल पुराने नियम में किया संशोधन

 

विदेशी गणमान्य व्यक्तियों से मिले उपहार अब अपने पास रख सकेंगे अधिकारी। फाइल फोटो।

केंद्र ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) भारतीय पुलिस सेवा (आइपीएस) और भारतीय वन सेवा (आइएफओएस) अधिकारियों को भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के तौर पर विदेशी गणमान्य व्यक्तियों से मिले उपहारों को अपने पास रखने की अनुमति प्रदान कर दी है।

नई दिल्ली, एजेंसी। केंद्र ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आइपीएस) और भारतीय वन सेवा (आइएफओएस) अधिकारियों को भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के तौर पर विदेशी गणमान्य व्यक्तियों से मिले उपहारों को अपने पास रखने की अनुमति प्रदान कर दी है। इसके लिए करीब 50 साल पुराने नियम में संशोधन किया गया है।

एक आधिकारिक आदेश में यह कहा गया है। मौजूदा नियमों के तहत अगर उपहार देना प्रचलित धार्मिक और सामाजिक प्रथा के अनुरूप हो तो इन अधिकारियों को शादी, वर्षगांठ, अंत्येष्टि और धार्मिक समारोहों जैसे अवसरों पर अपने करीबी रिश्तेदारों या मित्रों से उपहार स्वीकार करने की अनुमति दी गई है। लेकिन, अगर इस तरह के उपहार का मूल्य 25,000 रुपये से अधिक है तो सरकार को इस बारे में सूचित करना पड़ता है। आइएएस, आइपीएस और आइएफओएस अधिकारियों के लिए लागू अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम, 1968 के अनुसार, 'सेवा का कोई भी सदस्य सरकार की मंजूरी के बिना कोई उपहार स्वीकार नहीं करेगा, यदि उपहार का मूल्य 5,000 रुपये से अधिक है।'

इन नियमों में कहा गया है कि सेवा के सदस्य को उनके साथ आधिकारिक व्यवहार करने वाले या औद्योगिक अथवा वाणिज्यिक कंपनियों या अन्य संगठनों से महंगा आतिथ्य या बार-बार आतिथ्य स्वीकार करने से बचना चाहिए। कार्मिक मंत्रालय ने अब इन नियमों में संशोधन किया है और अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम, 1968 की धारा-11 के तहत एक नया उप-नियम शामिल किया है। हालिया संशोधित नियम में कहा गया है कि सेवा का कोई सदस्य, भारतीय प्रतिनिधिमंडल का सदस्य होने के नाते या अन्यथा, विदेशी योगदान (उपहार या भेंट को स्वीकार करने या रखने संबंधी) नियम, 2012 के प्रविधानों के अनुसार विदेशी गणमान्य व्यक्तियों से उपहार प्राप्त कर सकता है और अपने रख सकता है।

कार्मिक मंत्रालय ने पिछले साल मार्च में प्रस्तावित नियमों पर राज्य सरकारों से टिप्पणियां मांगी थीं। राज्यों से 31 मार्च, 2020 तक जवाब भेजने के लिए कहा गया था और ऐसा नहीं होने पर यह माना गया कि राज्य सरकार को प्रस्तावित संशोधनों पर कोई आपत्ति नहीं है। ज्ञात या अज्ञात स्त्रोतों से, विदेशी गणमान्य व्यक्तियों से प्राप्त उपहार, आमतौर पर विदेश मंत्रालय के तोशखाना में जमा किए जाते हैं।