बाइडन ने खुलेआम किया भारत का सपोर्ट, पाक की किरकिरी, जानें- चीन, रूस और ईरान से कैसे निपटेगा

 

बाइडन ने इस मंच से खुलेआम किया भारत का सपोर्ट। एजेंसी।
दुनिया में फैल रहे आतंकवाद के खिलाफ राष्‍ट्रपति बाइडन का सख्‍ती दिखी। बाइडन ने कहा कि आतंकवाद को किसी भी रूप में स्‍वीकार नहीं किया जाएगा। उन्‍होंने पाकिस्‍तान का नाम लिए बगैर आतंकवाद को प्रश्रय देने वाले देशों को भी आगाह किया।

नई दिल्‍ली, आनलाइन डेस्‍क। अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा को पहली बार संबोधित किया। उनका यह भाषण इसलिए अहम है क्‍योंकि उन्‍होंने इसमें अमेरिकी विदेश नीति की तस्‍वीर को साफ कर दिया है। उनके भाषण में सबसे ज्‍यादा चिंता चीन की दिखी। उन्‍होंने कहा कि अमेरिका अब किसी दूसरे शीतयुद्ध का कारण नहीं बनेगा। बाइडन के पूर्ववर्ती डोनाल्‍ड ट्रंप के विपरीत उन्‍होंने चीन और रूस के साथ बढ़ते तनाव को कम करने का भी संदेश दिया है। बाइडन ने कोरोना वायरस, आतंकवाद, अफगानिस्‍तान और ईरान पर भी अपनी नीति को स्‍पष्‍ट किया है। अफगानिस्‍तान मुद्दे पर देश की नाराजगी झेल रहे बाइडन ने अमेरिकी नीति को साफ किया। आइए जानते हैं कि बाइडन के भाषण का क्‍या है निहितार्थ।

बाइडन के भाषण पर रूस और चीन की निगाह

प्रो. हर्ष वी पंत का कहना है कि अमेरिकी राष्‍ट्रपति के भाषण का इंतजार सभी को था। रूस और चीन की निगाहें भी उनके भाषण पर टिकी थी। उन्‍होंने कहा कि संयुक्‍त राष्‍ट्र में बाइडन ने एक तरह से अमेरिकी विदेश नीति का एजेंडा तय किया है। उन्‍होंने कहा कि बाइडन ने दुनिया के सभी ज्‍वलंत मुद्दों को उठाया है। उन्‍होंने सारे पहलुओं को छुआ है, जो बाइडन प्रशासन के लिए चिंता का व‍िषय है।

ट्रंप के विपरीत है बाइडन की विदेश नीति

  • प्रो. पंत ने कहा कि बाइडन की विदेश नीति अपने पूर्ववर्ती डोनाल्‍ड ट्रंप की तरह अग्रेसिव नहीं है। उसमें एक तरह की उदारता है। ट्रंप की विदेश नीति दुश्‍मन को कूटनीतिक और रणनीतिक रूप से घेरने पर केंद्रीत थी। फ‍िर वह चाहे ईरान रहा हो रूस अथवा चीन। ट्रंप की न‍ीति इन देशों के प्रति अग्रेसिव रही है। उन्‍होंने कहा कि बाइडन ने नए शीतयुद्ध का जिक्र करके यह साफ कर दिया है कि वह चीन से किसी तरह के संघर्ष की तैयारी नहीं चाहते। उनका इशारा चीन के साथ भी वार्ता या कूटनीति के जरिए समस्‍याओं के समाधान की ओर है।
  • प्रो. पंत ने कहा कि बाइडन ने राष्‍ट्रपति चुनाव के वक्‍त ही अपनी विदेश नीति की ओर इशारा करते हुए कहा था कि वह चीन के साथ सामान्‍य संबंध रखेंगे। समस्‍याओं को कूटनीति और वार्ता के जरिए समाधान करेंगे। बाइडन उस न‍ीति पर कायम है। इसके बाद बाइडन ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया कि जिससे चीन को चुनौती मिले। बाइडन ने कहा कि वह दुनिया का बंटवारा नहीं करना चाहते। इसका आशय साफ है कि वह किसी भी हाल में एक नए शीत युद्ध को प्रोत्‍साहित नहीं करेंगे।
  • प्रो. पंत का कहना है कि बाइडन ने ईरान के प्रति भी उदार दृष्टिकोण अपनाया है। हालांकि, राष्‍ट्रपति बाइडन ने सख्‍त लहजे में कहा है कि वह ईरान को किसी भी हाल में परमाणु शक्ति संपन्‍न देश नहीं बनने देंगे। प्रो. पंत ने कहा कि जब बाइडन अपने भाषण में यह कहते हैं कि अमेरिका ईरान को परमाणु हथियार पाने से रोकने को लेकर प्रतिबद्ध है तो वह अमेरिकी विदेश नीति के सैद्धांनिक नियमों का पालन करते हुए प्रतीत होते हैं। ईरान के मामले में ट्रंप की नीति काफी अग्रेसिव थी। उन्‍होंने कहा कि ईरान की तर्ज पर बाइडन कोरियाई प्राद्वीप की समस्‍या का समाधान चाहते हैं। वह कोरियाई प्रायद्वीप में भी किसी तरह के विवाद से बचना चाहते हैं। उन्‍होंने अपने भाषण में यह सकेंत दिया है क‍ि समस्‍या के समाधान के लिए कूटनीति के रास्‍ते शांति चाहते हैं।

आतंकवाद पर रहा फोकस, सख्‍त रुख का संदेश

दुनिया में फैल रहे आतंकवाद के खिलाफ बाइडन का सख्‍ती दिखी। बाइडन ने कहा कि आतंकवाद को किसी भी रूप में स्‍वीकार नहीं किया जाएगा। उन्‍होंने पाकिस्‍तान का नाम लिए बगैर आतंकवाद को प्रश्रय देने वाले देशों को भी आगाह किया। प्रो पंत ने कहा कि बाइडन का यह स्‍टैंड भारत के हित में है। बाइडन ने साफ किया कि आतंक का सहारा लेने वाले हमारे सबसे बड़े दुश्‍मन होंगे। पंत ने कहा कि बाइडन का संकेत पाकिस्‍तान की ओर ही था, हालांकि उन्‍होंने मंच से उसका नाम नहीं लिया।

अमेरिका ने दोस्‍तों को दोस्‍ती निभाने की दी गारंटी

प्रो. पंत ने कहा कि बाइडन ने साफ किया कि वह अपने म‍ित्रों के साथ खड़ा है। उन्‍होंने कहा कि इस भाषण में बाइडन ने उस शंका को भी दूर करने की कोशिश की वह मित्रों का साथ नहीं देता। बाइडन का यह बयान इस लिहाज से उपयोगी है, क्‍योंकि अफगानिस्‍तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद चीन ने ताइवान को लेकर तंज कसा था। चीन ने अमेरिका पर तंज कसते हुए कहा था कि अफगानिस्‍तान की तरह वह ताइवान को भी धोखो देगा। बाइडन की यह नीति भारत समेत तमाम अमेरिकी मित्र राष्‍ट्रों के लिए काफी शुभ है।

जंग नहीं कूटनीति के जरिए सुलझाएंगे अफगानिस्‍तान का मसला

प्रो. पंत ने कहा कि अफगानिस्‍तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी को लेकर अमेरिकी नागर‍िकों को भी बाइडन के इस भाषण का इंतजार रहा होगा। प्रो. पंत का कहना है कि बाइडन ने अपने भाषण में यह साफ किया है कि अब वह अफगानिस्‍तान में अमेरिकी सैनिकों की कुर्बानी नहीं दे सकते। प्रो. पंत ने कहा कि अब अफगानिस्‍तान की समस्‍या का हल युद्ध के बजाए कूटनीति के जरिए होगा। उन्‍हाेंने कहा कि बाइडन के भाषण से साफ है कि अमेरिका की सैन्य शक्ति उसका अंतिम विकल्‍प होना चाहिए न कि पहला। अफगास्तिान मसले पर बाइडन ने कहा कि अमेरिका आज आतंकवाद से जूझ रहा है। बाइडन ने अपने भाषण में कहा कि उन्‍होंने अफगानिस्‍तान में 20 वर्षों के संघर्ष को समाप्‍त कर दिया है। उन्‍होंने कहा कि हमने इस जंग को बंद करके कूटनीति के नए दरवाजे खोले हैं।