मनजिंदर सिंह सिरसा का दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का अध्यक्ष बनने का सपना टूटा, अयोग्य घोषित

 

मनजिंदर सिंह सिरसा का डीएसजीएमसी का अध्यक्ष बनने का सपना टूटा

गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय ने डीएसजीएमसी चुनाव में हारे निवर्तमान अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के नामित सदस्य के रूप में डीएसजीएमसी का सदस्य बनने के लिए अयोग्य ठहराया है। सिरसा चुनाव निदेशालय में पंजाबी लिख और पढ़ नहीं पाए थे।

नई दिल्ली । शिरोमणि अकाली दल (बादल) के वरिष्ठ नेता मनजिंदर सिंह सिरसा का दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी)  अध्यक्ष पद की कुर्सी पर बैकडोर से बैठने का सपना टूट गया है। गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय ने डीएसजीएमसी चुनाव में हारे निवर्तमान अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के नामित सदस्य के रूप में डीएसजीएमसी का सदस्य बनने के लिए अयोग्य ठहराया है। सिरसा चुनाव निदेशालय में पंजाबी लिख और पढ़ नहीं पाए थे।  

बता दें कि शिरोमणि अकाली दल दिल्ली (सरना) के महासचिव हरविंदर सिंह सरना ने मनजिंदर सिंह सिरसा के पंजाबी ज्ञान पर सवाल उठाते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हरविंदर सिंह सरना ने अभी हाल में ही दावा किया था कि गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर सिरसा को पंजाबी लिखने-पढ़ने के लिए बुलाया था, लेकिन वह पंजाबी पढ़ नहीं सके और लिखने से भी इन्कार कर दिया। गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय ने इस संबंध में कोई बयान जारी नही किया था।

वहीं, सिरसा ने दावा किया था कि वह इस टेस्ट में पास हुए हैं। सरना के दावों को पूरी तरह से खारिज करते हुए सिरसा ने कहा था कि उन्हें पंजाबी अच्छे से आती है और गुरुद्वारा निदेशालय में भी उन्होंने पंजाबी पढ़ और लिखकर दिखा दी है। विरोधी दल के नेता मेरे पंजाबी ज्ञान पर निर्णय लेने वाले कौन होते हैं।

यह है पूरा मामला

हरविंदर सिंह सरना ने दिल्ली हाई कोर्ट में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) द्वारा सिरसा को नामित सदस्य मनोनित करने पर सवाल उठाते हुए कहा था कि उन्हें गुरमुखी (पंजाबी भाषा की लिपि) का ज्ञान नहीं है। कमेटी के सदस्य के लिए यह अनिवार्य होता है। उनकी शिकायत पर हाई कोर्ट ने गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय को इसकी जांच करने को कहा था। सरना ने ही सिरसा को डीएसजीएमसी चुनाव में पंजाबी बाग सीट से हराया था। चुनाव हारने के बाद सिरसा को एसजीपीसी ने डीएसजीएमसी में सदस्य के रूप में मनोनीत किया था, जिसके बाद पिछले दरवाजे से उनके अध्यक्ष बनने की राह खुल गई थी। नौ सितंबर को नामित सदस्यों के चयन की प्रक्रिया के लिए गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय ने डीएसजीएमसी के नवनिर्वाचित सदस्यों की बैठक बुलाई थी। उस दिन सरना ने निदेशक से शिकायत की थी कि सिरसा को गुरमुखी का ज्ञान नहीं है, इसलिए वह कमेटी का सदस्य नहीं बन सकते।