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भागलपुर। दक्षिण अफ्रीका के प्रथम अश्वेत भूतपूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला ने एक बार कहा था, 'शिक्षा वह सबसे शक्तिशाली अस्त्र है जिसका इस्तेमाल आप दुनिया को बदलने के लिए कर सकते हैं।' देश के जवाहर नवोदय विद्यालय (जेएनवी) भी ग्रामीण प्रतिभाओं को तराशने में ऐसी अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इन विद्यालयों में पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट हर साल जेईई मेन, जेईई एडवांस तथा नीट जैसी परीक्षाओं में भी बड़ी तादाद में अच्छी रैंक से पास होते हैं।
यहां से राष्ट्रीय स्तर पर अव्वल स्थान प्राप्त करने वाले स्टूडेंट्स विभिन्न क्षेत्रों में अपनी कामयाबी का लोहा मनवा रहे हैं। भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालाय के तहत नवोदय विद्यालय समिति द्वारा देश के विभिन्न क्षेत्रों में इन विद्यालयों का संचालन किया जाता है, जिसमें लड़कों और लड़कियों के लिए अलग-अलग छात्रावास, नि:शुल्क शिक्षा, भोजन तथा आवास की सुविधाएं होती हैं। ये विद्यालय सीबीएसई (सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन) से मान्यताप्राप्त होते हैं।
छठी से बारहवीं कक्षा तक नि:शुल्क पढ़ाई: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के द्वारा ग्रामीण क्षेत्र के प्रतिभावान विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण और आधुनिक शिक्षा देने के उद्देश्य से देश में पहली बार हरियाणा के झज्जर और महाराष्ट्र के अमरावती में जवाहर नवोदय विद्यालयों की स्थापना की गयी थी। वर्तमान में देश में ऐसे जेएनवी की कुल संख्या 661 है। इन विद्यालयों में कक्षा छठी से स्टूडेंट्स दाखिला लेकर बारहवीं कक्षा तक नि:शुल्क पढ़ाई करते हैं। छठी से लेकर बारहवीं तक की सात वर्षों की पूरी शिक्षा का खर्च भारत सरकार द्वारा वहन किया जाता है। देश के सभी 28 राज्यों और सात केंद्रशासित प्रदेशों में स्थापित इन जवाहर नवोदय विद्यालयों के संचालन के लिए आठ क्षेत्रीय कार्यालय बने हुए हैं।
जेएनवीएसटी के जरिये प्रवेश: इन विद्यालयों में छठी कक्षा में प्रवेश के लिए एक राष्ट्रीय स्तर का टेस्ट पास करना होता है, जिसे जवाहर नवोदय विद्यालय सेलेक्शन टेस्ट (जेएनवीएसटी) कहा जाता है। यह परीक्षा हर साल सीबीएसई आयोजित कराती है, जिसमें 80 सफल स्टूडेंट्स का छठी कक्षा के दो सेक्शन में नामांकन के लिए चयन किया जाता है। इस प्रवेश परीक्षा में भाग लेने के लिए इच्छुक छात्र किसी सरकारी या सरकारी सहायता प्राप्त या सरकारी मान्यताप्राप्त विद्यालय से तीसरी, चौथी और पांचवीं कक्षाओं की पढ़ाई किया हुआ होना चाहिए। इसके अलावा, परीक्षा में आवेदन के लिए स्टूडेंट की उम्र 9 वर्ष से 13 वर्ष के बीच होनी चाहिए। दो घंटे की इस प्रवेश परीक्षा में मेंटल एबिलिटी, अरिथमेटिक और लैंग्वेज से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं। पेपर में कुल 80 प्रश्न होते हैं। सभी प्रश्न ऑब्जेक्टिव होते हैं। पेपर का पूर्णांक 100 होता है। इस परीक्षा की खास बात यह है कि छात्र केवल एक बार ही इस चयन परीक्षा में हिस्सा ले सकता है। आमतौर पर सितंबर-अक्टूबर महीने में नवोदय विद्यालय समिति के एडमिशन पोर्टल से इस प्रवेश परीक्षा के लिए आनलाइन निश्शुल्क फोर्म भरे जाते हैं। प्रवेश परीक्षा में लड़कियों के लिए 33 प्रतिशत, दिव्यांग के लिए 3 प्रतिशत सीटों के आरक्षण की भी व्यवस्था है।
नौवीं कक्षा में लैटरल एंट्री: नवोदय विद्यालयों में स्टूडेंट्स को दाखिला छठी के अलावा नौवीं कक्षा में दिया जाता है। इसके लिए लैटरल एंट्री सिलेक्शन टेस्ट (लेस्ट) आयोजित होता है, जिसमें आठवीं कक्षा में अध्ययनरत स्टूडेंट्स आवेदन कर सकते हैं। इसी प्रकार ग्यारहवीं के लिए भी दाखिले होते हैं। लेकिन ये दाखिले किसी मान्यताप्राप्त विद्यालय से दसवीं पास कर चुके स्टूडेंट्स के प्राप्तांक और अन्य निर्धारित मानकों के आधार पर किये जाते हैं। ये लैटरल एंट्री टेस्ट विद्यालय की ड्रापआउट/रिक्त सीटों के आधार पर होते हैं। इसके लिए अलग से कोई सीट नहीं होती है।
नौवीं में प्रवेश के लिए आवेदन आमंत्रित: जवाहर नवोदय विद्यालयों में सत्र 2022-23 के लिए नौवीं कक्षा में रिक्त सीटों पर प्रवेश के लिए आनलाइन आवेदन मांगा गया है। इच्छुक स्टूडेंट इसके लिए 31 अक्टूबर, 2021तक आवेदन कर सकते हैं।
शैक्षिक योग्यता: शिक्षण सत्र 2021-2022 में सरकारी/सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में आठवीं की पढ़ाई कर स्टूडेंट आवेदन के पात्र हैं। लेकिन यह आवेदन उसी जिले के लिए होना चाहिए, जहां पर स्टूडेंट पढ़ाई कर रहे हैं और वहां पर स्थित नवोदय विद्यालय में ही प्रवेश चाहते हैं।
उम्र सीमा: प्रवेश चाहने वाले स्टूडेंट का जन्म 1 मई, 2006 से 30 अप्रैल, 2010 के बीच हुआ हो