आरएन रवि ने नगा शांति वार्ता के वार्ताकार पद से दिया इस्तीफा, गृह मंत्रालय ने की पुष्टि

 

नगा शांति वार्ताकार की भूमिका से आरएन रवि का इस्तीफा।(फोटो: फाइल)

तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि (Tamil Nadu Governor RN Ravi) ने नगा शांति वार्ता के वार्ताकार पद से इस्तीफा (RN Ravi resigned as interlocutor) दे दिया है। आरएन रवि 2014 से नगा उग्रवादी संगठन एनएससीएन-आईएम के साथ शांति वार्ता कर रहे थे।

नई दिल्ली, प्रेट्र। तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने नगा शांति वार्ता के वार्ताकार पद से इस्तीफा दे दिया और उसे तत्काल प्रभाव से मंजूर कर लिया गया है। रवि 2014 से नगा उग्रवादी संगठन एनएससीएन-आइएम के साथ शांति वार्ता कर रहे थे। उन्हें जुलाई, 2019 में नगालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया था और इस माह के शुरू में तमिलनाडु के राज्यपाल के तौर पर उनका तबादला कर दिया गया।गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'नगा शांति प्रक्रिया के वार्ताकार के रूप में आरएन रवि ने बुधवार को त्यागपत्र सौंप दिया जिसे भारत सरकार ने स्वीकार कर लिया है।' केंद्र सरकार ने पहले ही खुफिया ब्यूरो के पूर्व विशेष निदेशक एके मिश्रा को नगा संगठनों के साथ शांति वार्ता में लगा दिया है। मिश्रा नगा विद्रोही संगठनों के साथ वार्ता बहाल कर चुके हैं।

एनएससीएन -आईएम ने लगाया था आर एन रवि पर वार्ता में अड़ंगा लगाने का आरोप

एनएससीएन -आईएम ने उनपर शांति वार्ता में अड़ंगा लगाने का आरोप लगाते हुए पिछले साल से उनसे वार्ता करने से इनकार कर दिया। इस महीने की शुरुआत में रवि का तमिलनाडु के राज्यपाल के तौर पर तबादला कर दिया गया।

केंद्र सरकार ने पहले ही खुफिया ब्यूरो के पूर्व विशेष निदेशक ए के मिश्रा को नगा संगठनों के साथ शांति वार्ता में लगा दिया है। मिश्रा नगा विद्रोही संगठनों के साथ वार्ता बहाल कर चुके हैं। असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व सरमा और नगालैंड के उनके समकक्ष नीफू रियो ने मंगलवार का एनएससीएन -आईएम टी मुइवा के साथ बैठक की थी।

रवि ने अंतिम विवाद समाधान की दिशा में एक बड़े कदम के तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में तीन अगस्त, 2015 को मुइवा के साथ प्रारूप समझौते पर दस्तखत किये थे। इस समझौते से पहले 18 सालों तक 80 दौर की वार्ता हुई थी और 1997 में पहली सफलता तब मिली जब नगालैंड में दशकों के उग्रवाद के बाद संघर्षविराम समझौता हुआ।

लेकिन शांति वार्ता पर प्रगति नहीं हुई क्योंकि नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड- इसाक मुइवा (एनएससीएन)-आईएम ने नगालैंड के लिए पृथक झंडे और संविधान की मांग की। केंद्र ने यह मांग ठुकरा दी।