नई दिल्ली। प्रदूषण का संकट समय चक्र के साथ कम होने के बजाय व्यापक स्तर पर हानि पहुंचाने वाला साबित हो रहा है। प्रदूषण सीमाओं में बंधा नहीं है। घर के भीतर हो या बाहर, हर स्तर पर इसका दुष्प्रभाव दिख रहा है। हर साल बड़ी तादाद में लोग प्रदूषण की वजह से अस्थमा, सांस समेत गंभीर बीमारियों का दंश झेलने को मजबूर हैं। इसका एक बड़ा कारण, घर व दफ्तरों के अंदर का प्रदूषण भी है। बड़ी आबादी को प्रभावित करती इस समस्या को ध्यान में रखते हुए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी), दिल्ली ने एक खास किस्म का पाल्यूशन प्रूफ कपड़ा तैयार किया है, जो हवा में मौजूद प्रदूषित तत्वों को अवशोषित कर लेता है।
आइआइटी कराएगा पेटेंट
यदि इस कपड़े का खिड़कियों, दरवाजे पर पर्दे के रूप में इस्तेमाल किया जाए तो बाहर का प्रदूषण कमरे में प्रवेश नहीं कर पाएगा। आइआइटी ने इस कपड़े के पेटेंट के लिए आवेदन कर दिया है। टेक्सटाइल और फाइबर इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. अश्विनी अग्रवाल ने बताया कि पर्टिकुलेट मैटर, नाइट्रस आक्साइड, सल्फर आक्साइड, कार्बन आक्साइड और अन्य जहरीले वाष्पशील कार्बनिक कंपाउंड (वीओसी) के बढ़ते स्तर के परिणामस्वरूप वायु प्रदूषण खतरनाक बन जाता है। इन रसायनों के प्रति मिलियन के कुछ हिस्सों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से भी स्वास्थ्य पर बेहद प्रतिकूल असर पड़ता है और इससे अस्थमा, आंख और गले में जलन आदि हो सकती है। व्यक्ति सबसे अधिक समय इमारत के भीतर समय गुजारता है, इसी को ध्यान में रखकर यह कपड़ा तैयार किया गया है।
छह सौ गुना अधिक टाक्सिक करेगा अवशोषित
विज्ञानियों ने बताया कि सूती कपड़े को उन्नत बनाया गया है। रसायनों की मदद से सामान्य सूती कपड़े के मुकाबले विकसित कपड़ा 600 गुना से भी अधिक टाक्सिक अवशोषित करेगा। कपड़ा तैयार करने में जिंक नाइट्रेट हेक्साहाइड्रेट, मिथाइलिमिडाजोल, कोबाल्ट नाइट्रेट हेक्साहाइड्रेट, सोडियम हाइड्राक्साइड, मेंथाल समेत कई अन्य रसायनों का प्रयोग किया गया है। प्रत्येक रसायन के उपयोग के बाद इसके परीक्षण का दौर चला। आइआइटी ने फिलहाल दो प्रकार का कपड़ा तैयार किया है जिसे रसायनों के आधार पर जेडआइएफ-67 एवं जेडआइएफ- आठ नाम दिया गया है। एक कपड़े का रंग सफेद जबकि दूसरे का बैंगनी है।
तीन प्रदूषण तत्वों पर परीक्षण
समय : प्रदूषक तत्व : अवशोषित मात्रा (मिग्रा में)
30 मिनट : एनिलिन : 11.27
20 मिनट : बेंजीन : 12.4
एक घंटा : स्टाइरीन : 6.24
(नोट : कपड़ा प्रति ग्राम रहेगा)
तीन से अधिक बार प्रयोग
स्कालर हरदीप सिंह ने बताया कि यह कपड़ा 120 डिग्री तापमान पर धोकर दोबारा प्रयोग किया जा सकेगा। कपड़े को तीन बार धोकर परीक्षण किया गया था, जिसके परिणाम सकारात्मक रहे। स्कूल, घर, आफिस ही नहीं थियेटर, कार, हवाई जहाज समेत अन्य परिवहन के साधनों में इसका प्रयोग किया जा सकता है। यह सोफा कवर, कारपेट, पर्दा समेत कई अन्य तरीके से उपयोग में लाया जा सकेगा। पेटेंट मिलने के बाद उत्पाद को बाजार में लाने की योजना पर काम किया जाएगा।
सेहत के लिए ऐसे हानिकारक बन रहा प्रदूषण
- एनिलिन से हीमोग्लोबिन को नुकसान पहुंचता है।
- एनिलिन के सीधे संपर्क से त्वचा और आंखों में जलन होती है।
- बेंजीन से सिरदर्द, भ्रम, कंपकंपी और चेतना की हानि होती है।
- बेंजीन कैंसर का भी कारण बन सकता है।
- स्टाइरीन से नाक और गले में जलन आदि हो सकती है।
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का हाल
- कालेजों में पीएम 2.5 एवं 10 का स्तर तय मात्रा से 8 गुना अधिक
- स्कूलों में पीएम 2.5 एवं 10 तय मात्रा से 15 गुना अधिक
- स्कूलों में दोपहर 12 से दो बजे के बीच प्रदूषण का स्तर अधिक
- अस्पतालों में भी पॢटकुलेट मैटर अधिक पाया गया