नगा समस्या के स्थायी समाधान की उम्मीद बढ़ी, मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने मुइवा से की बात

 

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा। (फोटो- एएनआइ)
पिछले दो साल से अटकी बातचीत के पटरी पर आने के साथ ही नगा समस्या के स्थायी समाधान की उम्मीद फिर बढ़ गई है। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने एनएससीएन (आइएम) के प्रमुख थुइंगलेंग मुइवा से बातचीत की है।

ब्यूरो, नई दिल्ली। पिछले दो साल से अटकी बातचीत के पटरी पर आने के साथ ही नगा समस्या के स्थायी समाधान की उम्मीद फिर बढ़ गई है। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने एनएससीएन (आइएम) के प्रमुख थुइंगलेंग मुइवा से बातचीत की है। इस दौरान नगालैंड के मुख्यमंत्री निफिरियो रियो भी मौजूद थे। 1997 के संघर्ष विराम समझौते के बाद अलगाववादी नगा नेताओं के साथ राजनीतिक नेताओं की यह पहली बातचीत है। इससे पहले एनएससीएन (आइएम) के नेता केंद्र के वार्ताकारों से बात करते थे, जो सामान्य तौर पर खुफिया ब्यूरो के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी होते हैं।

हिमंता पूर्वोत्तर लोकतांत्रिक गठबंधन के प्रमुख भी हैं और असम के विभिन्न अलगाववादी संगठनों के साथ शांति वार्ताओं की सफलता में अहम भूमिका निभा चुके हैं। माना जा रहा है कि उन्हें बातचीत के लिए हरी झंडी मिली हुई है और दीमापुर में मुइवा के साथ बातचीत से पहले सोमवार को वह दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह के साथ लंबी बैठक कर चुके हैं। उस बैठक में भी नगालैंड के मुख्यमंत्री रियो मौजूद थे।

मालूम हो कि 2015 में एनएससीएन (आइएम) ने समस्या के स्थायी समाधान के लिए केंद्र के साथ फ्रेमवर्क एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए थे। इसमें आइबी के पूर्व अधिकारी एन. रवि ने अहम भूमिका निभाई थी। वार्ता सफल बनाने के लिए रवि को नगालैंड का राज्यपाल बनाकर भेजा गया था। 2019 में अंतिम शांति समझौते के पहले एन. रवि और एनएससीएन (आइएम) में तकरार शुरू हो गई थी और मुइवा अलग संविधान और अलग झंडे की मांग पर अड़ गए थे। उन्होंने आगे रवि के साथ बातचीत से इन्कार कर दिया था।

एनएससीएन (आइएम) के साथ दोबारा बातचीत शुरू करने के लिए केंद्र ने पिछले दिनों रवि को तमिलनाडु का राज्यपाल बना दिया। साथ ही आइबी के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी एके मिश्रा को नया वार्ताकार नियुक्त किया। दो साल बाद सोमवार को एके मिश्रा के साथ मुइवा की बातचीत शुरू हुई। एनएससीएन (आइएम) अब भी अलग संविधान और झंडे की मांग कर रहा है। लेकिन केंद्र ने पहले ही साफ कर दिया है कि इसे कतई स्वीकार नहीं किया जाएगा। वैसे अभी तक हिमंता और मुइवा के बीच हुई बातचीत सामने नहीं आई है और दोनों पक्ष चुप्पी साधे हुए हैं।