पंजाब की सियासत में बड़ा सवाल, क्‍या होगा कैप्‍टन का अगला कदम, जानें संकेतों के अर्थ

 

पंजाब के पूर्व मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह। (फाइल फोटो)
 पंजाब के पूर्व मुख्‍यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के तेवर कई साफ संकेत दे रहे हैं। जिस तरह से वह नवजोत सिंह सिद्धू के साथ हाईकमान पर निशाना साध रहे हैं वह उनकी राह अलग होने संके‍त हैं। जानें क्‍या हो सकते हैं कैप्‍टन के कदम।

चंडीगढ़, राज्‍य ब्‍यूरो । : पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह के कड़े तेवरों को देखते हुए सियासी गलियारों में सबसे बड़ा सवाल यही उठ रहा है कि उनका अगला कदम क्या होगा? वह जिस तरह से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और हाईकमान पर जुबानी हमले कर रहे हैं, इससे एक बात तो साफ है कि खुद को कांग्रेस से अलग मान चुके हैं। उन्होंने इस्तीफा देने के बाद पहले ही दिन कहा था कि मेरे पास भविष्य में कई विकल्प खुले हैं। अब सबकी नजर उनके अगले सियासी पड़ाव पर लग गई है। 

दरअसल मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भले ही अपने लिए सारे विकल्प के खुले रखने की बात रहे हैं, लेकिन उनके लिए सीमित विकल्‍प ही ह‍ैं। वैसे कैप्‍टन अमरिंदर सिंह जिस तरह अब कांग्रेस के प्रदेश प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू के साथ कांग्रेस नेतृत्‍व पर हमले कर रहे हैं वह कई संकेत देते हैं। उनके तेवर से साफ प्रतीत होता है कि वह अगले सियासी कदम के बारे में तय कर चुके हैं या इस बारे में विचार कर रहे हैं। 79 वर्षीय कैप्टन अमरिंदर के समक्ष सबसे आसान और मजबूत विकल्प अलग फ्रंट बनाना या भारतीय जनता पार्टी के साथ जुड़ने का ही है। यह लगभग तय माना जा रहा है कि कांग्रेस जिस प्रकार से सिद्धू को तवज्जो दे रही है तो कैप्टन को बड़ा कद उठा सकते है।

कांग्रेस की चिंता इस बात को लेकर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ अच्छे संबंध रखने वाले कैप्टन कहीं कृषि सुधार कानून की समस्या को हल करवाने में कहीं महत्वपूर्ण भूमिका न अदा कर दें। अगर ऐसा होता है तो पंजाब में जहां पर किसान संगठनों के कारण भाजपा को पैर रखने का स्थान नहीं मिल पा रहा है, वहां पर उनके पैर मजबूत हो जाएंगे और अगर ऐसा कैप्टन के नेतृत्व में होता है तो इसका सारा श्रेय पूर्व मुख्यमंत्री को जाएगा। यह कांग्रेस के लिए बड़ी मुसीबत बन सकता है।

वहीं, कैप्टन को जानने वाले राजनेताओं को कहना है कि जिस प्रकार से कैप्टन सीधे-सीधे चुनौती दे रहे हैं, इसका सीधा संदेश है कि वह कुछ बड़ा कर  गुजरने की रणनीति बना चुके है। क्योंकि, आमतौर पर कैप्टन खुले मैदान में आकर चुनौती नहीं देते है।

जानकारों की मानें तो 79 वर्षीय कैप्टन के अपनी पार्टी बनाकर चुनाव मैदान में आने की संभावना कम ही दिखाई दे रही है।  इस उम्र में अपनी पार्टी बनाकर चलाना भी कैप्टन के लिए आसान नहीं होगा। ऐसे में कैप्टन के सामने भारतीय जनता पार्टी में जाना या पीछे से भाजपा को सपोर्ट करने की राह ज्यादा सुगम दिख रही है। कैप्टन अमरिंदर सिंह भी राष्ट्रवाद को लेकर प्रखर हैं और भाजपा भी राष्ट्रवाद की राजनीति करती है। ऐसे में कैप्टन के समक्ष भाजपा एक बड़ा विकल्प बन सकता है।

पहले भी छोड़ चुके हैं कांग्रेस कैप्‍टन अमरिंदर

कांग्रेस छोड़ना कैप्टन के लिए कोई बड़ी समस्या नहीं है। 1984 में अमृतसर स्थित श्री हरिमंदिर साहिब पर सैन्य कार्रवाई के विरोध में भी उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद वह 13 वर्षो तक अकाली दल के साथ रहे। लेकिन कैप्टन भले ही 13 वर्षों तक शिरोमणि अकाली दल का हिस्सा रहे हो लेकिन 23 वर्षों से वह शिरोमणि अकाली दल के विरुद्ध राजनीति कर रहे है। ऐसे में अकाली दल कैप्टन के लिए विकल्प नहीं हो सकता है। जबकि, आम आदमी पार्टी के साथ जुड़ने पर कैप्टन विचार भी नहीं कर सकते हैं क्योंकि आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल के साथ पूर्व मुख्यमंत्री के विचार बिल्कुल नहीं मिलते हैं।

कैप्‍टन के लिए सियासी विकल्‍प व संभावनाएं -

  • 1. कांग्रेस में रह कर सिद्धू को चुनौती: कैप्टन की उम्र इस वक्त 79 साल हो चुकी है। उनके लिए पहला विकल्प तो यही है कि वे कांग्रेस में ही बने रहें और सिद्धू को चुनौती देते रहें। हालांकि, इसके आसार बहुत कम हैं। वह लगातार मुखर होकर सिद्धू व पार्टी अन्य नेताओं को निशाने पर ले रहे हैं। उन्होंने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को भी अनुभवहीन नेता बताया है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी उन्होंने करारा जवाब दिया है।
  • 2. नई पार्टी का गठनकैप्टन के ओएसडी रहे नरेंद्र भांबरी ने बुधवार को इंटरनेट मीडिया पर एक पोस्टर शेयर किया, जिस पर लिखा था, '2022-कैप्टन फिर लौटेंगे।' इसमें कैप्टन की बड़ी तस्वीर लगाई गई है। इसके बाद अटकलें लगाई जाने लगी कि कैप्टन जल्द किसी नई पार्टी का एलान कर सकते हैं। उनके एक अन्य पूर्व ओएसडी अंकित बांसल ने फेसबुक पर 'कैप्टन ब्रिगेड' नाम से पेज बनाया है। जानकार कहते हैं कि कैप्टन पार्टी बनाने में जल्दबाजी नहीं करेंगे।
  • 3. पांचवा फ्रंट कैप्टन के सामने सबसे आसान विकल्प पांचवा फ्रंट बनाना है। इसमें वह शिअद व आप से अलग हुए नेताओं को इकट्ठा कर एक फ्रंट बना सकते हैं। इसमें सबसे बड़ी चुनौती नेतृत्व पर आम सहमति बनने की होगी। दूसरी चुनौती फ्रंट की स्वीकार्यता की होगी। पहले पंजाब में कांग्रेस व शिअद-भाजपा में सीधा मुकाबला होता था। आप के आने से यह तिकोना हो गया। शिअद-भाजपा के अलग होने और शिअद संयुक्त बनने के बाद अब पांचवां फ्रंट कितना प्रभावी होगा, यह कहना मुश्किल है।
  • 4. भाजपा का साथप्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ कैप्टन के अच्छे संबंध हैं। कैप्टन किसान आंदोलन का समाधान निकलवाने में अहम भूमिका निभा कर भाजपा के पाले में भी जा सकते हैं। हरियाणा के मंत्री अनिल विज ने कैप्टन को भाजपा में आने का न्योता भी दिया है। राष्ट्रीय सुरक्षा व राष्ट्रवाद के मुद्दे पर कैप्टन की लाइन भाजपा से अलग नहीं है। कैप्टन के बहाने भाजपा भी पंजाब में किसानों के बीच जा सकती है।