कुमाऊं के प्रवेश द्वार हल्द्वानी विधानसभा क्षेत्र हमेशा से हाट सीट रही है। लंबे समय से इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है। जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव का समय नजदीक आ रहा है। कांग्रेस से ज्यादा भाजपा के दावेदारों की संख्या तेजी से बढ़ गई है।
हल्द्वानी : कुमाऊं के प्रवेश द्वार हल्द्वानी विधानसभा क्षेत्र हमेशा से हाट सीट रही है। लंबे समय से इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है। जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव का समय नजदीक आ रहा है। कांग्रेस से ज्यादा भाजपा के दावेदारों की संख्या तेजी से बढ़ गई है। शहर भर में बिजली खंभों में टंगे पोस्टरों इसके गवाह हैं। खास बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 30 दिसंबर को हल्द्वानी में हुई सभा के बाद भाजपा नेताओं के हौसले बढ़ गए हैं।
हल्द्वानी विधानसभा सीट का पिछले दो विधानसभा चुनावों का इतिहास देखें तो कांग्रेस नेता डा. इंदिरा हृदयेश ने जीत हासिल की थी। वर्ष 2012 में डा. इंदिरा हृदयेश को 43786 मत मिले थे, जबकि प्रतिद्वंद्वी रहीं भाजपा की रेनू अधिकारी को 19044 मत मिले थे। 2017 के चुनाव में भी ऐसी ही स्थिति देखने को मिली। इंदिरा ने 43786 मत हासिल किए और भाजपा के डा. जोगेन्द्र रौतेला को 37239 वोट मिले थे। अब इस हाट सीट पर सियासी माहौल बदला हुआ है।
इंदिरा हृदयेश नहीं रही। कांग्रेस से उनके पुत्र सुमित हृदयेश के अलावा कई अन्य दावेदार हैं। जबकि कुछ समय पहले तक भाजपा में दावेदार कम ही नजर आ रहे थे, लेकिन अब जैसे ही चुनाव का समय नजदीक आने लगा है। भाजपा में दावेदारों की संख्या अचानक बढ़ गई है। इनमें अधिकांश ऐसे हैं, जो जनता के बीच नजर नहीं आए। कुछ तो पार्टी गतिविधियों में सक्रिय दिखे, लेकिन अब होर्डिंग, पोस्टर, बैनर में नजर आने लगे हैं। पीएम मोदी की सभा के बाद इन नेताओं का उत्साह तब से दोगुना हो गया है।
अब तक सामने आए दावेदार
डा. जोगेन्द्र रौतेला, प्रकाश हर्बोला, शंकर कोरंगा, डा. अनिल कपूर डब्बू, निश्चल पांडे, प्रमोद तोलिया, शांति भट्ट, हरीश पांडे, रेनू अधिकारी के अलावा भी कई अन्य की दावेदारी को लेकर चर्चा है।
पार्टी के लिए भी बढ़ रहीं मुश्किलें
जिस तरीके से भाजपा में दावेदारों की फौज दिखने लगी है। ऐसे में पर्यवेक्षकों के लिए उम्मीदवार तय करना मुश्किल होने लगा है। जल्द ही फीडबैक लेने पर्यवेक्षक आएंगे। इसके लिए प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने पर्यवेक्षक के तौर पर राज्य सभा सदस्य नरेश बंसल व विनोद आर्य को जिम्मेदारी दी है। ये पर्यवेक्षक फीडबैक लेंगे। तीन नाम फाइनल कर सीलबंद लिफाफे में प्रदेश अध्यक्ष को सौंपेंगे। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस लिफाफे में खंभे पर लटके नेता शामिल होते हैं या फिर जमीनी स्तर पर काम करने वाले।