नए साल में सतर्कता के साथ कोरोना महामारी के खात्मे का लें संकल्प

 

2022 को महामारी मुक्त वर्ष बनाने की ओर कदम बढ़ाएं। फाइल फोटो

यह सत्य है कि महामारी हमेशा नहीं रहेगी। यदि हम जिम्मेदारी से कदम उठाएं और साझा प्रयास करें तो इसे जल्द खत्म कर सकते हैं। नए साल में मिलकर शपथ लें कि महामारी से लड़ने की दिशा में अपने हिस्से की भूमिका का निर्वहन करेंगे।

अब जब हम नए साल में कदम रख रहे हैं कोरोना के ओमिक्रोन वैरिएंट की आहट शुरू हो गई है। दुनियाभर से संक्रमण के अब तक के सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। भारत में भी कई राज्यों में मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं। यह समय सतर्क रहने का है, लेकिन घबराने का नहीं। अभी तक की तस्वीर दिखाती है कि ओमिक्रोन के मामले बढ़ते बहुत तेजी से हैं और इनमें गिरावट भी उतनी ही तेजी से आती है। दक्षिण अफ्रीका के जिस प्रांत में इसकी सबसे पहले पहचान हुई थी, वहां दो हफ्ते में ही यह लहर खत्म हो गई। हालांकि जब मामले बढ़ते हैं, तो हमें सतर्क रहने की जरूरत होती है। हमारे यहां तेज टीकाकरण अच्छी खबर है। अभी तक देखा जा रहा है कि टीका लगवा चुके लोगों में ओमिक्रोन का संक्रमण बहुत हल्का रहता है। अभी जिन शहरों में मामले आ रहे हैं, उनमें ज्यादातर मामले हल्के हैं और अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत बहुत कम पड़ रही है।

साल की शुरुआत इस अच्छी खबर से भी हो रही है कि तीन जनवरी से 15 से 18 साल की उम्र के किशोरों का भी टीकाकरण शुरू हो रहा है। उन्हें चार से छह हफ्ते के अंतराल पर कोवैक्सीन की दो डोज लगेगी। 31 दिसंबर, 2007 के बाद जन्मा हर बच्चा टीके का पात्र होगा। वैसे तो बच्चों में संक्रमण के गंभीर होने और अस्पताल में भर्ती होने के मामले बहुत कम रहते हैं, फिर भी 15 से 18 साल के किशोरों के टीकाकरण से माता-पिता का विश्वास और बढ़ेगा। 10 जनवरी से हेल्थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स तथा 60 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए अतिरिक्त डोज भी शुरू हो रही है। इन सब कदमों से महामारी से निपटने में मदद मिलेगी। भारत में संक्रमण और टीकाकरण के कारण लोगों में बन चुकी हाइब्रिड इम्युनिटी हो देखते हुए यदि हम मास्क लगाने और शारीरिक दूरी जैसे प्रविधानों का पालन करें तो महामारी से बेहतर तरीके से लड़ सकते हैं। विज्ञानियों का कहना है कि ओमिक्रोन की लहर बहुत कम समय तक रहती है। इस दौरान सतर्कता बरत ली जाए तो यह लहर बिना ज्यादा नुकसान पहुंचाए खत्म हो जाएगी। नए साल में हमारे सामने उम्मीद के पांच कारण हैं। पहला, हमारे पास कई सुरक्षित एवं प्रभावी टीके हैं और उनकी पर्याप्त उपलब्धता है। धीरे-धीरे पूर्ण टीकाकरण करा चुके लोगों की संख्या बढ़ रही है। संक्रमित लोगों के इलाज के लिए कुछ दवाएं भी उपलब्ध होने लगी हैं। दूसरा, बच्चों में संक्रमण के लक्षण गंभीर होने की आशंका बहुत कम है। साथ ही 15 से 18 साल के किशोरों का टीकाकरण भी शुरू हो रहा है। यह उन्हें अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करेगा। तीसरी बात यह है कि अब तक के अनुभव से कम संक्रमण से बचाव के तरीके जान चुके हैं। चौथी बात यह है कि हर चुनौती का एक उजला पक्ष भी होता है। दूसरी भयावह लहर के कारण बड़ी आबादी में प्राकृतिक रूप से इम्युनिटी पैदा हो चुकी है और टीका भी लग रहा है। पांचवां कारण है हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था। अब हम पहले की तुलना में महामारी का सामा करने के लिए ज्यादा तैयार हैं।

इसी तरह इस साल से पांच उम्मीदें भी हैं। पहली उम्मीद है कि ओमिक्रोन बहुत असर नहीं डालेगी। दूसरी उम्मीद है कि लहर जल्द खत्म हो जाएगी, जैसा विज्ञानी अनुमान लगा रहे हैं। तीसरी उम्मीद है कि आर्थिक गतिविधियां सुचारु तरीके से चलती रहेंगी और लाकडाउन जैसा कदम नहीं उठाना पड़ेगा। चौथी उम्मीद है कि सरकार हर स्तर पर स्वास्थ्य के क्षेत्र में फं¨डग की व्यवस्था करेगी और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को और मजबूत किया जाएगा। पांचवीं उम्मीद यह है कि स्कूल एवं अन्य शिक्षण संस्थान खुलेंगे।

नया साल हर व्यक्ति के लिए नई शुरुआत का समय है। हम सबको कुछ शपथ लेने की जरूरत है। कोरोना महामारी ने हम सबको स्वस्थ रहने की अहमियत बता दी है। हम सबको स्वस्थ जीवनशैली अपनाने, पूरी नींद लेने, नियमित रूप से शारीरिक गतिविधियां करने, अच्छा खाने और धूमपान जैसी आदतें छोड़ने की शपथ लेनी चाहिए। वैसे तो स्वस्थ रहना हमेशा ही जरूरी है, लेकिन इस महामारी ने इसके महत्व को सबसे सामने रख दिया है। हमें अपने मानसिक और शारीरिक दोनों तरह के स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। हमें सुनिश्चित करना होगा कि बच्चों को सभी टीके नियमित तौर पर लगते रहें।