करनाल के सुरेश कुमार। बचपन में पिता की कहानी सुनकर कुदरत से नाता जुड़ गया। पौधों से विशेष लगाव हो गया। मिस्र में अंतरराष्ट्रीय मंच से इसे लेकर दुनिया से संवाद किया था। राष्ट्रीय युवा अवार्डी सुरेश कुमार ने गांव दर गांव जगाई अलख।
करनाल। बचपन से बांकपन के सफर में एक रिश्ता प्रकृति से जुड़ा था। यही रिश्ता इस युवक को अंतरराष्ट्रीय मंच पर ले गया, जहां से उसने पूरी दुनिया को पौधारोपण का महत्व समझाया। जिक्र करनाल जिले के राष्ट्रीय युवा अवार्डी एडवोकेट सुरेश कुमार का है, जो पौधारोपण अभियान और बचपन बचाने के संकल्प को लेकर इस हद तक समर्पित हैं कि पर्यावरण संरक्षण से जुड़े उनके अनवरत प्रयासों को भारत सरकार ने भी सराहा और राष्ट्रीय युवा पुरस्कार से नवाजा।
जब दुनिया को कहा, पौधे नहीं तो हम भी नहीं होंगे
वर्ष 2004 में मिस्र की राजधानी काहिरा में पर्यावरण संरक्षण पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में भारतीय दल का प्रतिनिधित्व करने की जिम्मेदारी हरियाणा के करनाल जिले के युवा
समाजसेवी सुरेश कुमार को दी गई। पर्यावरण संरक्षण पर भारतीय दृष्टिकोण को उन्होंने कई देशों के सामने रखा। उन्होंने कहा था कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर भारत जिम्मेदार नहीं है। यूरोप खुद सोचे और अन्य देश भी। यदि बड़े पैमाने पर पौधारोपण नहीं किया गया तो न हम बचेंगे और न आप। इसी साल उन्हें केंद्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय की ओर से राष्ट्रीय युवा पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
पिता की कहानी से मिली प्रेरणा
करनाल के बल्ला गांव निवासी एडवोकेट सुरेश कुमार का पर्यावरण प्रेम दरअसल उनके परिवार की कहानी को भी बयान करता है। बचपन में सुरेश को पिता पृथ्वी सिंह ने पेड़ोें व पौधों के बारे में बताना शुरू किया। उन्हें भी यह सुनना खूब भाता। अंतत: किशोर अवस्था में आते ही सुरेश ने पिता की बातों को गांठ बांध लिया कि वह दुनिया को पेड़ पौधों का महत्व बताएंगे।
गांव दर गांव किया पौधारोपण
एडवोकेट सुरेश कुमार ने वर्ष 2003 में पौधारोपण अभियान की शुरुआत की। उस समय सबसे बड़ी चुनौती थी लोगों को पर्यावरण सरंक्षण के साथ ही पौधारोपण को लेकर जागरूक करना। वह पहले खुद ही गांव दर गांव जाकर लोगों से मिलते और बातचीत करते। इसी बीच युवा साथियों की टीम बनती गई। फिर हंस एजुकेशनल एंड रूरल डवलपमेंट सोसायटी के साथ जुड़कर काम किया। इसके बाद पूरे प्रदेश में करीब 400 गांवों में जाकर पर्यावरण की अलख जगाई।
मिला रेड एंड व्हाइट ब्रेवरी अवार्ड
सामाजिक कार्याें के प्रति समर्पण की वजह से भी एडवोकेट सुरेश कुमार को कई सम्मानों से नवाजा जा चुका है। उन्हें वर्ष 2003 में चंडीगढृ में रेड एंड व्हाइट ब्रेवरी अवार्ड से सम्मानित किया गया था।यह सम्मान उन्हें पर्यावरण संरक्षण के साथ ही महिला सशक्तीकरण, सुशिक्षित समाज, स्वस्थ समाज व जनसंख्या नियोजन को लेकर योगदान के लिए दिया गया।
लोगों को समझाया, ऐसे लगाएं पौधे
अभियान के दौरान सुरेश कुमार ने ग्रामीणों को समझाया कि पौधारोपण औपचारिकता नहीं, बल्कि दुनिया के प्रति एक बड़ी जिम्मेदारी है । पौधारोपण करने से पहले जमीन में तीन फीट चौड़ा और चार फीट गहरा गड्ढा करना चाहिए। इसके बाद उसके संरक्षण के लिए कोई भी बाधा लगाई जाए। समय समय पर पानी दें। कुछ समय बाद यही पौधा बड़ा होकर आपको फल देगा।