साल 2022 में बिहार की पांच राज्यसभा सीटों पर चुनाव होने जा रहा है। इनमें एक सीट किंग महेंद्र के निधन से खाली हाे चुकी है तो मीसा भारती व आरसीपी सिंह सिंह सहित चार राज्यसभा सदस्य जल्दी ही रिटायर हाेने जा रहे हैं।
पटना, आनलाइन डेस्क। इस साल बिहार से राज्यसभा की खाली हो रहीं पांच सीटों के लिए सियासत तेज हो रही है। जनता दल यूनाइटेड कोटे से केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री आरसीपी सिंह साल के जुलाई में राज्यसभा से रिटायर हो जाएंगे। जेडीयू के राज्यसभा सासंद किंग महेंद्र का हाल ही में निधन हुआ है। राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती की राज्यसभा की सदस्यता भी समाप्त होने वाली है। भारतीय जनता पार्टी के गोपाल नारायण सिंह और सतीश चंद्र दुबे की सीटें भी खाली हो रहीं हैं। इन सीटों के लिए रिटायर हो रहे नेता दोबारा लाइन में लगे दिख रहे हैं तो नए चेहरे भी कतार में लगेंगे, यह तय है।
किंग महेंद्र वाली सीट पर चर्चा में केसी त्यागी सहित कई नाम
रसबसे पहले बात जेडीयू की दो सीटों की। इनमें एक सीट किंग महेंद्र के निधन के बाद खाली हुई है। उनकी सीट पर अभी दो साल का कार्यकाल बचा हुआ है। देखना यह है कि पार्टी इस सीट पर दो सालों के लिए किसे राज्यसभा भेजती है। इसके लिए केसी त्यागी सहित कुछ नाम चर्चा में हैं।
आरसीसी सिंह को तीसरी बार राज्यसभा भेज सकता है जेडीयू
जेडीयू कोटे की केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह की राज्यसभा की सीट जुलाई में खाली हो रही है। आरसीपी सिंह की पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह से अदावत जग-जाहिर है। लेकिन आरसीपी सिंह के केंद्र सरकार में मंत्री रहने के कारण जेडीयू कोई जोखिम उठाती नहीं दिख रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि जेडीयू उन्हें तीसरी बार राज्यसभा भेज सकती है।
मीसा भारती को राज्यसभा भेज बिहार में सेफ रहेंगे तेजस्वी!
आरजेडी कोटे से राज्यसभा सदस्य मीसा भारती का कार्यकाल भी साल 2022 में समाप्त हो रहा है। लालू प्रसाद यादव व राबड़ी देवी के बाद लालू परिवार से आरजेडी की सक्रिय राजनीति में तेजस्वी यादव के बाद मीसा भारती ही हैं। तेजस्वी यादव बिहार में अपनी राजनीति को सहज रखने के लिए मीसा भारती को फिर राज्यसभा सदस्य बनाकर दिल्ली भेज सकते हैं।
बीजेपी की दोनों सीटों पर केंद्रीय नेतृत्व करेगा अंतिम फैसला
साल 2022 में बीजेपी की दो सीटें भी खाली हो रही हैं। दोनों सवर्ण जाति की सीटें हैं। इनमें एक गोपाल नारायण सिंह क्षत्रिय तो दूसरे सतीश चंद्र दुबे ब्राह्मण हैं। गोपाल नारायण सिंह की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में अच्छी पकड़ है। साथ ही शाहाबाद क्षेत्र में बड़ा प्रभाव है। उनकी राज्यसभा के लिए दोबारा दावेदारी रहेगी। सतीश चंद्र दुबे को बीजेपी ने ने वाल्मीकिनगर से लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा आनन-फानन में राज्यसभा भेजा था। हाल ही में जीतन राम मांझी द्वारा ब्राह्मणों के खिलाफ आपत्तिजनक बयान से सतीश चंद्र दुबे की दोबारा दावेदारी को मजबूत किया है। हालांकि, बीजेपी में राज्यसभा सीटों का अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व ही करेगा।