गलवन पर प्रोपगंडा फैलाने में जुटा चीन, गलवन घाटी में झंडा फहराने का पुराना वीडियो जारी कर जताई नापाक मंशा

 

चीन भारत के साथ रिश्तों को सामान्य बनाने को लेकर अभी तैयार नहीं दिख रहा है।

चीन भारत के साथ रिश्तों को सामान्य बनाने को लेकर अभी तैयार नहीं दिख रहा है। गलवन घाटी को लेकर एक वीडियो चीनी सरकार के नियंत्रण वाली मीडिया व मीडियाकर्मियों के सोशल साइट से जारी किया गया है जो उसकी मानसिकता को बता रहा है।

 नई दिल्ली। नए साल में भी चीन भारत के साथ रिश्तों को सामान्य बनाने को लेकर अभी तैयार नहीं दिख रहा है। एक तरफ दोनो देशों की सेनाओं के बीच स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर मिठाइयों का आदान-प्रदान हुआ है लेकिन दूसरी तरफ जिस तरह से गलवन घाटी को लेकर एक वीडियो चीनी सरकार के नियंत्रण वाली मीडिया व मीडियाकर्मियों के सोशल साइट से जारी किया गया है वह उसकी मानसिकता को बता रहा है। खास तौर पर जिस तरह से चीन की मीडिया ने हांगकांग व गलवन के मुद्दे को उछालने की कोशिश की है।

भारत सरकार की तरफ से आधिकारिक तौर पर इस पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है लेकिन अधिकारी इस वीडियो की वैधता को लेकर सवाल उठा रहे हैं। सूत्रों ने चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाईम्स की तरफ से जारी वीडियो को एक सिरे से दिग्भ्रमित करने वाला करार दिया है।

इस वीडियो में जिस जगह को गलवन बताया गया है वह भी संदेहास्पद है। यह तो निश्चित तौर पर गलत है कि वीडियो 31 दिसंबर 2021 का है क्योंकि इस वक्त पूरे गलवन क्षेत्र में कई फीट ऊंची बर्फ की चादर होती है। जबकि जिस पहाड़ पर चीनी भाषा में गलवन लिखा हुआ दिखाया गया है वहां बर्फ नहीं दिख रही है।

हालांकि झील में बर्फ दिख रहा है। साथ ही चीनी सैनिकों की पोषाक भी बेहद सर्दी वाली नहीं है। वह गलवन इलाके में सामान्य तौर पर जो वर्दी पहनी जाती है वही पहने हुए हैं। यह संभव है कि यह वीडियो चीन के इलाके वाले हिस्से में पहले ही शूट किया गया हो और दबाव बनाने की रणनीति के तहत इसे साल के अंतिम जारी किया गया हो।

देश के प्रमुख रणनीतिक विश्लेषक ब्रह्मा चेलानी ने इस वीडियो को प्रोपगंडा वीडियो करार दिया है। इसके बावजूद चीन में जिस तरह से गलवन को एक बड़े एजेंडे व राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ कर प्रचारित किया जा रहा है उस पर भारत की नजर है। सनद रहे कि 31 दिसंबर को चीन सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने हांगकांग में चीन के झंडे के साथ शपथ ले रहे नए सांसदों और गलवन घाटी में झंडे फहराने वाले वीडियो तक चीन के राष्ट्रवाद से जोड़ कर प्रस्तुत किया था।

जानकार इसे चीन की शी चिनफ‍िंग सरकार की तरफ से राष्ट्रवाद को भुनाने की कवायद के तौर पर देख रहे हैं। बताते चलें कि चीन की मीडिया पूरी तरह से सरकार के नियंत्रण में है और ग्लोबल टाईम्स में जो कुछ भी छपता है उसे चीन की सरकार के बयान के तौर पर ही देखा जाता है। जब भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई संदेश देना होता है तो चीन की सरकार आधिकारिक तौर पर बयान नहीं दे कर ग्लोबल टाईम्स में खबरें या आलेख प्रकाशित करवा देती है।

अगर दोनों देशों के बीच गलवन क्षेत्र की स्थिति को देखें तो पिछले 8-9 महीनों के दौरान वार्ता तो लगातार हो रही हैं लेकिन सैनिकों को पीछे हटाने की स्थिति में कोई प्रगति नहीं हो रही है। अब सैन्य कमांडर स्तर पर और विदेश मंत्रालय के स्तर पर होने वाली वार्ता के बीच अंतराल भी काफी बढ़ गया है।

विदेश मंत्रालय के स्तर पर होने वाली अंतिम वार्ता (डब्लूएमसीसी) 18 नवंबर, 2021 को हुई थी। उसके पहले कमांडर स्तर की 13वें दौर की वार्ता हुई थी। अब दोनो पक्षों के बीच 14वें दौर की बातचीत होनी है लेकिन तिथि अभी तक तय नहीं है। हाट-स्प्रिग, गोगरा एवं डेपसांग से चीनी सैनिकों की वापसी पर सहमति नहीं बन पा रही है। अभी पूर्वी लद्दाख स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास दोनो तरफ से तैनात सैनिकों की संख्या एक लाख बताई जाती है।