सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की खरीद के आरोपित की याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र व मध्य प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता ने हिरासत आदेश को चुनौती दी है।
नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की खरीद के आरोपित की याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र व मध्य प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता ने हिरासत आदेश को चुनौती दी है।
याचिका में कहा गया है कि रासुका-1980 के प्रविधानों पर लागू नहीं
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ व जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने जबलपुर निवासी देवेश चौरसिया की याचिका पर केंद्रीय गृह सचिव व राज्य सरकार के गृह विभाग को नोटिस भेजकर दो हफ्तों में पक्ष रखने को कहा है। चौरसिया की हिरासत आदेश को चुनौती देने वाली याचिका मध्य प्रदेश हाई कोर्ट खारिज कर चुका है। अधिवक्ता अश्वनी दूबे के माध्यम से दाखिल याचिका में कहा गया है कि हिरासत आदेश में उल्लिखित कथित आधार राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका)-1980 के प्रविधानों पर लागू नहीं होते। वास्तव में याचिकाकर्ता को लंबे समय तक हिरासत में रखने और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने का कोई आधार ही नहीं बनता।
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश को रद किया
इससे पहले जबलपुर के सिटी हास्पिटल के निदेशक सरबजीत सिंह मोखा की तरफ से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हिरासत में रखने संबंधी मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश को रद कर दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि सरकार अपना पक्ष रखने में नाकाम रही है। सरबजीत सिंह पर नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की खरीद में चौरसिया से साठगांठ का आरोप है।