दिल्ली में लाकडाउन लगेगा या नहीं, पढ़िये- अरविंद केजरीवाल के मंत्री का ताजा बयान

 

Lockdown in Delhi?: दिल्ली में लाकडाउन लगेगा या नहीं, पढ़िये अरविंद केजरीवाल के मंत्री का ताजा बयान

 दिल्ली में कोरोना के 10000 से अधिक नए मामले सामने आने पर लाकडाउन की आशंका को सत्तासीन आम आदमी पार्टी सरकार ने नकार दिया है। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने साफ-साफ कहा है - राजधानी दिल्ली में नहीं लगेगा लाकडाउन।

नई दिल्ली ,surender aggarwal। दिल्ली में लाकडाउन लगेगा या नहीं? इसको लेकर कायम संशय स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने खत्म कर दिया है। उन्होंने साफ-साफ कहा है कि दिल्ली में कोरोना लगाने की संभावना नहीं है। दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी के इस फैसले से लोगों के साथ कारोबारियों ने भी राहत की सांस ली है। इस बीच  देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण की रफ्तार में हैरान करने वाली तेजी आई है। बुधवार को 24 घंटे के दौरान दिल्ली में कोरोना के 10,000 से अधिक नए मामले सामने आने पर लाकडाउन की आशंका को सत्तासीन आम आदमी पार्टी सरकार ने नकार दिया है। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बुधवार को साफ-साफ कहा है - 'राजधानी दिल्ली में नहीं लगेगा लाकडाउन'। ऐसे में माना जा रहा है कि कोरोना के मामले बढ़ने पर दिल्ली में सख्ती और बढ़ाई जाएगी, लेकिन लाकडाउन नहीं लगाया जाएगा। इसके पीछे दो वजहें हैं। पहली ओमिक्रोन वैरिएंट डेल्टा की तरह घातक नहीं है और इलाज घर पर भी हो रहा है, अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत नहीं है। वहीं, दूसरे लाकडाउन की स्थिति में दिल्ली की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी, जिसका असर आम आदमी से लेकर खास तक पड़ेगा। आखिर में दिल्ली सरकार भी प्रभावित होगी।

यहां पर बता देें कि राजधानी में कोरोना का संक्रमण हर दिन एक नए रिकार्ड स्तर पर पहुंच रहा है।  दिल्ली में 10,000 से अधिक मामले सामने आए हैं। इसके बाद स्थिति यह है कि संक्रमण दर 8.37 प्रतिशत से बढ़कर 11.88 प्रतिशत हो गई है। इस वजह से दिल्ली में करीब आठ माह बाद कोरोना के मामले 10 हजार के आंकड़े को पार कर गया। बुधवार को दिल्ली में कोरोना के 10,665 नए मामले आए। इससे पहले पिछले साल 13 मई को 10,489 मामले आए थे। इससे सक्रिय मरीजों की संख्या 23 हजार से अधिक हो गई है। पिछले 24 घंटे में 2239 मरीज ठीक हुए। वहीं आठ मरीजों की मौत हो गई। ये पिछले करीब छह माह (185 दिन) में 24 घंटे में मौत के सर्वाधिक मामले हैं।

स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो दिन में ही कोरोना से 11 मरीजों की मौत हो चुकी है व इस माह अब तक पांच दिनों में 14 मरीजों की मौत हो चुकी है। यह आंकड़े बताते हैं कि कोरोना के मौजूदा बढ़ते संक्रमण को बहुत हल्के में लेना भारी भी पड़ सकता है। पिछले साल चार जुलाई को एक दिन में सात मरीजों की मौत का मामला सामने आया था। इसके बाद अब एक दिन में सबसे अधिक मौत के मामले सामने आए हैं।

पांच दिन में आए 26,155 मामले

दिल्ली में ओमिक्रोन का पहला मामला पांच दिसंबर को आने के बाद से अब तक कुल 32,895 मामले आ चुके हैं। इस दौरान 10,063 मरीज ठीक भी हुए हैं। जिसमें से 26,155 मामले इस माह अब तक पांच दिन में ही आए हैं। दिल्ली में पिछले 24 घंटे में 89,742 सैंपल की जांच हुई। जिसमें से 11.88 प्रतिशत सैंपल पाजिटिव पाए गए।

दूसरी लहर में प्रतिदिन एक लाख सैंपल जांच करने की थी क्षमता

राजधानी दिल्ली में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर जांच बढ़ा दी गई। पहले प्रतिदिन 60 हजार सैंपल की जांच होती थी, उसे बढ़ाकर 70 हजार कर दिया गया है। बुधवार को करीब 90 हजार सैंपल की जांच हुई। मौजूदा समय में दिल्ली में प्रतिदिन तीन लाख सैंपल जांच करने की क्षमता है। दूसरी लहर के दौरान प्रतिदिन एक लाख सैंपल जांच करने की क्षमता थी। इस लिहाजा से जांच क्षमता तीन गुना बढ़ गई है।

संक्रमण रोकने के लिए दिल्ली सरकार ने बहुत ही सक्रियता से कदम उठाए। अब अस्पतालों में इलाज के लिए भी पर्याप्त तैयारी की गई है। साथ ही लोगों की भी संक्रमण रोकने की जिम्मेदारी है। उन्होंने लोगों से बचाव के नियमों का पालन करने की अपील करते हुए कहा कि घर के बाहर मास्क के बगैर ना निकलें। उन्होंने कहा कि ज्यादातर मरीजों को हल्की बीमारी हो रही है। इस वजह से अस्पतालों में अभी पांच प्रतिशत बेड पर ही मरीज भर्ती हैं। 95 प्रतिशत बेड खाली है। फिर भी निजी अस्पतालों में कोरोना के इलाज के लिए आरक्षित बेड की संख्या 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दी गई है। जिन्हें लक्षण नहीं है उन्हें ¨चता करने की जरूरत नहीं है। हल्के लक्षण वाले मरीजों को होम आइसोलेशन में रखा जा रहा है। जिनके घर मरीज को अलग कमरे में आइसोलेट करने की जगह नहीं है, उन्हें कोविड केयर सेंटर में भर्ती किया जा रहा है।

सभी मरीजों के सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग संभव नहीं

सत्येंद्र जैन ने कहा कि कोरोना के मामले जब तक 100 से 200 आ रहे थे तब तक सभी मरीजों के सैंपल की जीनोम सिक्वें¨सग की जा रही थी। अब जब 10 हजार तक मामले आने लगे हैं तो सभी मरीजों के सैंपल की जीनोम सिक्वें¨सग संभव नहीं है। हर सैंपल का जीनोम सिक्विसंग का कोई औचित्य भी नहीं है। क्योंकि उससे इलाज के प्रोटोकाल में बदलाव नहीं होता। ओमिक्रोन के अलावा कुछ मरीज डेल्टा व दूसरे स्ट्रेन के भी आ रहे हैं लेकिन अब यह बात साबित हो चुकी है कि दिल्ली सहित देश भर में ओमिक्रोन फैल चुका है।