पिछले दिनों चीनी मीडिया ने दावा किया था कि एलएसी पर उनकी सेना ने रोबोटिक सैनिकों को तैनात किया है। इस बीच भारतीय सुरक्षा बलों के शीर्ष सूत्रों ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें सीमा पर अभी तक ऐसा कोई सैनिक नहीं देखने को मिला है।
नई दिल्ली, एएनआइ। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत के साथ तनाव के बीच ठंड से चीनी सेना की हालत पस्त है। पिछले दिनों वहां कि मीडिया ने दावा किया कि बार्डर पर उनकी सेना ने रोबोटिक सैनिकों को तैनात किया है। इस बीच भारतीय सुरक्षा बलों के शीर्ष सूत्रों ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें सीमा पर अभी तक ऐसा कोई सैनिक नहीं देखने को मिला है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा करने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) को काफी मदद मिल सकती है।ड्रैगन के सैनिकों को लद्दाख की कड़ाके की ठंड से निपटने में बहुत मुश्किल हो रही है। यह लगातार दूसरा वर्ष है जब चीनी सैनिकों को उनके आलाकमान द्वारा भारतीय सीमाओं पर रहने के लिए मजबूर किया गया है, जहां तापमान शून्य से -20 से -40 डिग्री सेल्सियस के बीच है। इसे लेकर सुरक्षाबलों के सूत्रों ने कहा, 'हमें अभी तक बंदूक से लैस कोई रोबोटिक सैनिक नहीं मिला है, लेकिन अगर चीनी सेना ऐसा कर रही है, तो इससे उनके सैनिकों को मदद मिलेगी, जिन्हें वहां रहने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने यह भी बताया कि चीनी सैनिकों को कई स्थानों पर अपने बैरक से बाहर निकलना मुश्किल हो रहा है, वे बहुत कम समय के लिए ही बाहर निकलते हैं और जल्दी से अंदर आ जाते हैं। पिछले साल भी चीनी सेना को इसी तरह के परेशानी का सामना करना पड़ा था। पिछली गर्मियों में 90 प्रतिशत नए सैनिकों को लाना पड़ा था। वहां पहले से तैनात सैनिकों को ठंड के कारण गंभीर परेशानी करना पड़ा था। पैंगोंग झील क्षेत्र में तनाव के दौरान भी चीनी सैनिकों को लगभग दैनिक आधार पर बदला जाता था और उनकी आवाजाही बहुत सीमित रहती थी।
दूसरी ओर भारतीय सेनाएं ऊंचाई और पर्वतीय क्षेत्रों में युद्ध के लिए शारीरिक रूप से अभ्यस्त हैं और प्रतिकूल मौसम की स्थिति से निपट सकती हैं। भारतीय सेना दो साल की अवधि के लिए ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अपने सैनिकों को तैनात करती है और हर साल लगभग 40-50 प्रतिशत सैनिक बदले जाते हैं। इन परिस्थितियों में चीनी रोबोट सैनिक का कार्यकाल कभी-कभी दो साल से अधिक लंबा होता है।