
यूक्रन ने रूसी सेना को जबरदस्त टक्कर दी है। ऐसे में सवाल उठता है कि रूस के खिलाफ जंग में एक महीने बाद भी यूक्रेन कैसे टिका हुआ है। आखिर वह कौन सी ताकत है जिसके बल पर यूक्रेनी सेना रूस जैसे महाशक्तिसाली सेना को जमकर टक्कर दे रही है।
नई दिल्ली जेएनएन। यूक्रेन और रूस के हमले के एक महीने पूरे हो चुके हैं। दुनिया की एक शक्तिशाली सेना के साथ यूक्रेनी सेना ने कई बाधाओं को पार किया है। हथियारों और सैन्य उपकरण के मामले में रूसी सेना के समक्ष यूक्रेन कहीं नहीं टिकता, लेकिन यूक्रेनी सेना एक महीने तक मोर्चा थामे है। यूक्रेनी सेना ने रूसी सेना को जबरदस्त टक्कर दी है। ऐसे में सवाल उठता है कि रूस के खिलाफ जंग में एक महीने बाद भी यूक्रेन कैसे टिका हुआ है। आखिर वह कौन सी ताकत है जिसके बल पर यूक्रेनी सेना रूस जैसे महाशक्तिशाली सेना को जमकर टक्कर दे रही है।
1- प्रो हर्ष वी पंत ने कहा कि निश्चित रूप से यह अन्य मुल्कों और उनकी सेना के लिए विचारणीय है। उन्होंने कहा कि रूसी सेना अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। यह दावा किया जाता है कि रूस के पास सर्वाधिक परमाणु हथियार है। यूक्रेन के साथ संघर्ष में उसने हाइपरसोनिक मिसाइल तक का इस्तेमाल किया है। टैंक, सेना, एयरक्राफ्ट समेत बाकी हर आंकड़े में रूस से कहीं पीछे होने के बावजूद यूक्रेन के आम नागरिकों ने सेना को मजबूती दी। जंग के दौरान कई जगहों पर उन्होंने रूसी सैनिकों को जबरदस्त टक्कर दी है।
2- उन्होंने कहा कि रूसी सेना का मकसद यूक्रेन की राजधानी कीव समेत दूसरे प्रमुख शहरों पर कब्जा करना है। इसके साथ वह यूक्रेन की मौजूदा सरकार को बाहर करना चाहते थे। हालांकि, रूस अभी तक अपने मकसद में सफल नहीं हो सका है। रूसी सैनिक यूक्रेन को चारों ओर से घेरे हुए हैं। यूक्रेन की सेना एंटी-टैंक, एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल जैसे हथियारों की कमी से जूझ रही है, जो लगातार बढ़ती आ रही रूस की सेना को रोकने के लिए आवश्यक है। इतना ही नहीं यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में रूसी सेना ने जबरदस्त हमला किया है। इस इलाके में सैनिकों के घिरने और मार दिए जाने का खतरा है। इन सबके बावजूद यूक्रेनी सेना ने हार नहीं मानी है। यूक्रेनी सेना कई स्तरों पर रूस की सेना से बेहतर प्रदर्शन कर रही है।
3- प्रो पंत ने कहा कि यूक्रेनी सेना प्रेरणा से लबालब है। इस जंग में दोनों ही देशों के मनोबल में बड़ा अंतर है। यूक्रेनी सेना अपने देश की रक्षा के लिए और उसके अस्तित्व के लिए रूसी सेना से मोर्चा ले रही है। वह अपने देश को एक संप्रभु राष्ट्र के तौर पर देखना चाहती है। यूक्रेनी नागरिक इस विपदा में भी अपने राष्ट्रपति के साथ खड़े हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लोगों ने अपने देश की रक्षा और सेना की मदद के लिए हथियार तक उठा लिए हैं। इसके विपरीत अधिकतर रूसी सैनिक इस तरह की जंग के लिए कतई तैयार नहीं थे। यह भी कहा जा रहा है कि रूसी सेना में शामिल अधिकतर रूसी सैनिक स्कूल से निकलकर जंग के मैदान में आ गए। इसके अलावा रूसी सेना में एक बेहतरीन समन्वय का भी अभाव दिखा है।
4 - रूसी सैनिकों की बड़ी तादाद है। सैनिकों के संख्या बल के लिहाज से देखा जाए तो यूक्रेनी सेना कहीं नहीं टिकती है। इसके बावजूद यूक्रेनी सैनिक अपने हथियारों का बेहतर इस्तेमाल कर रहे हैं। एक ओर रूसी सेना सैनिकों और सैन्य वाहनों को कतारों में रखती है और मंद गति से वह एक साथ आगे बढ़ते हैं, तो दूसरी ओर यूक्रेनी सेना छापामार तरीके से युद्ध कर रही है। इसकी खास वजह यह है कि इस जंग से पूर्व अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा के नाटो ट्रेनर्स के साथ यूक्रेनी सेना लंबा समय गुजार चुकी है। ऐसे में यूक्रेनी के सैनिक एंटी टैंक हथियारों का इस्तेमाल और एंट्री-एयरक्राफ्ट मिसाइल में महारथ हासिल कर चुके हैं।
5- यूक्रेनी सैनिक चालाक हैं। वह रूसी सेना के कमजोर बिंदुओं को खोज कर उस पर कड़ी चोट दे रहे हैं। रूस यूक्रेन जंग यह बताती है कि यूक्रेनी सेना ने जंग के दौरान अत्यधिक प्रभावी रणनीति का इस्तेमाल किया है। वह नाटो के हथियारों को अच्छी तरह से इस्तेमाल कर रहे हैं। पेंटागन के आंकड़ों के हिसाब से इस जंग में रूस के सात हजार सैनिकों ने जान गंवाई है। यह संख्या एक महीने के युद्ध के बाद आई है। अफगानिस्तान में दस वर्षों की लड़ाई में सावियत संघ के जितने लोग मारे गए थे यह संख्या उसकी आधी है।