
राव मंदिर के उद्घाटन के लिए वहां पहुंच गए हैं और वहां उन्होंने पूजा अर्चना भी की। बता दें कि राव के परिवार के सदस्य मंदिर के महाकुंभ संरक्षण समारोह में शामिल होने वाले हैं और इस मौके पर पूरी कैबिनेट भी मौजूद रहेगी।
यादाद्री, एएनआइ। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव आज यादाद्री भुवनागिरी जिले में नवनिर्मित लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी मंदिर का उद्घाटन करने वाले हैं। इसके मद्देनजर चंद्रशेखर राव ने मंदिर में 'पूजा' अर्चना की। राव के परिवार के सदस्य मंदिर के 'महाकुंभ संरक्षण' समारोह में शामिल होने वाले हैं और इस मौके पर पूरी कैबिनेट भी मौजूद रहेगी। बता दें कि यह मंदिर वास्तुकला की द्रविड़ और काकतीय शैली दोनों का एक संलयन प्रदर्शित करता है।
बता दें कि तेलंगाना के गठन के बाद ही राज्य सरकार ने यादगिरिगुट्टा मंदिर विकास प्राधिकरण (YTDA) के तहत यादाद्री लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी मंदिर का पुनर्निर्माण करने का निर्णय लिया था। इस प्राधिकरण ने ही मंदिर की योजना बनाई और अप्रैल 2016 में पुनर्निर्माण शुरू किया। मंदिर के मुख्य वास्तुकार आनंद साई ने बताया कि मंदिर का भूतल क्षेत्र 11 एकड़ से बढ़ाकर 17 एकड़ कर दिया गया है। यह दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर है जिसका निर्माण पूरी तरह से पत्थर से किया गया है।
यह है इस मंदिर की खासियत
इस मंदिर की खासियत इसमें उपयुक्त वास्तुकला है, जिसकी उत्कृष्ट कृति का निर्माण 2,50,000 टन काले ग्रेनाइट से किया गया है। मंदिर का मुख्य आकर्षण 'प्रह्लाद चरित्र' है, जो जन्म से हिरण्यकश्यप की हत्या तक 'भक्त प्रह्लाद' की कहानी को मूर्तिकला के तहत दर्शाता है।
'प्रह्लाद चरित्र' का निर्माण सोने से किया गया है। इसमें हिरण्यकश्यप को मारने के लिए एक स्तंभ को तोड़ते हुए भगवान नरसिंह की एक मूर्तिकला भी है, जिसमें राक्षस राजा की छाती को चीरते हुए दिखाया गया है। भक्त हनुमानजी, नरसिम्हा स्वामी और यदा महर्षि की मूर्तियां देख सकते हैं जिन्होंने इस मंदिर में तपस्या की थी।
1,280 करोड़ से हुआ पुनर्निर्माण, 10000 भक्तों के बैठने की जगह
मंदिर काफी विशाल है क्योंकि इसमें एक बार में 10,000 भक्त बैठ सकते हैं। गौरतलब है कि मंदिर का पुनर्निर्माण पिछले साढ़े पांच साल में 1,280 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है। इसमें 2,000 से अधिक मूर्तिकार और हजारों श्रमिक लगे हुए हैं, जिसका कार्य अभी भी प्रगति पर है।
मंदिर के सात 'गोपुरम' अद्वितीय हैं क्योंकि नीचे से ऊपर तक वे पूरी तरह से पत्थर से बने हैं। महाराजा गोपुरम जो पश्चिमी प्रवेश द्वार पर स्थित है, 83 फीट लंबा है और 13,000 टन काले ग्रेनाइट से बना है, जिसे बनने में दो साल का समय लगा।