
Wildlife Day 2022 यूपी के पीलीभीत के टाइगर रिजर्व में प्रकृति का अदभुत नजारा देखने काे मिलता है। यहां के जंगल का शांत वातावरण और जवां बाघों की मस्ती हर किसी को अपनी ओर आकर्षित कर लेती है। यहां कई खूबसूरत नजारे देखने को मिलते है।
बरेली : पीलीभीत
टाइगर रिजर्व का जंगल जवां बाघों से भरा हैं। यहां अक्सर जवां बाघ मस्ती
करते दिख जाते है। या फिर उनकी मस्ती यहां लगे कैमरों में भी कैद हो जाती
है। इस जंगल में साढे़ चार साल से लेकर दस साल तक के युवा बाघ दिखाई देते
है। ये तंदरुस्त और जवां है। इनकी सेहत अच्छी होने के पीछे का राज भी इसी
अभ्यारण्य में छिपा है। विशेषज्ञों की मानें तो उन्हें यहां अच्छे भोजन के
साथ साथ छिपने का स्थान आसानी से मिल जाता है। आइए जानते है इस जंगल के
युवा बाघों के बारे में।
शावक जन्म लेने के बाद दो साल तक अपनी मां के साथ ही विचरण करतेे है और जंगल में जीवन की बारीकियां सीखते है।जिसके बाद ये मां का साथ छोड़कर अपनी अलग हद बनाने लगते है। वन्यजीव एक्सपर्ट के अनुसार शावक तीन साल की उम्र पूरी करते ही बाघ की श्रेणी में आ जाता है। जो स्वयं शिकार करने लगता है। जबकि मादा शावक को इनसे अधिक समय लगता है। यहां हुई पिछली गणना के अनुसार युवा बाघों की संख्या काफी अधिक है। जो दो तिहाई के करीब होने का अनुमान है।यहां के जंगल के बाहर कुछ बाघ दिखाई देते है।जो वृद्ध है, और नया ठिकाना तलाशते है।
यंग टाइगरों के लिए जाना जाता है यह क्षेत्र
बाघों के संरक्षण के लिए कई संस्थाएं काम कर रही है। कुछ समय पहले एक संस्था के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी का कहना है कि इस जंगल में सबसे ज्यादा युवा बाघ है।इन बाघों की संख्या अधिक होने के कारण उनकी हद बंदी में अंतर देखने को मिलता है।अमूमन एक बाघ 1200 से 1400 के क्षेत्र में अपनी हद बनाता है।लेकिन यहां के बाघों की हद 700 से 1000 वर्ग किमी के एरिये में देखने को मिलती है।इसके अलावा इनके व्यवहार में भी बदलाव हो रहा है। जो चिंतनीय है।
यहां गन्ने के खेतोंं में बाघ डाल लेते है डेरा
यहां बाघ जंगल से निकलकर गन्ने के खेतों में अपना डेरा डाल लेते है।वन्य जीव विशेषज्ञ इसकी वजह बताते है कि गन्ने के खेत में अक्सर नमीं बनी रहती है। जिस कारण वह अपने डेरा लंबे समय के लिए डाल लेते है। इसके अलावा इन बाघों को यहां अपना शिकार जैसे नीलगाय, जंगली सूअर आदि भी आसानी से मिल जाता है।
छोटा पड़ रहा 60 किमी लंबा और 15 किमी चौड़ा जंगल
बाघों की संख्या को देखते हुए 60 किमी लंबा और 15 किमी चौड़ा जंगल भी
छोटा नजर आता है।हालांकि इसका क्षेत्र फल बढ़ाकर 73 हजार हेक्टेयर कर दिया
गया है। लेकिन फिर भी यहां के जंगलों से बाघ बाहर निकल कर आ रहे है जो
चिंतनीय है। इसके अलावा वह मानव को भी अपना शिकार बना रहे है।