
यूक्रेन संकट के चलते वैश्विक सियासत तेजी से बदल रही है। चीन ने दक्षिण एशिया में तेजी से सक्रियता बढ़ाई है। इसके काउंटर के तौर पर भारत ने भी अपनी कूटनीति में बदलाव किया है। पढ़ें यह रिपोर्ट...
अगले कुछ दिनों के दौरान पड़ोसी देशों के साथ भारत के संपर्क अभियान पर एक नजर डालें तो पता चलता है कि पड़ोसियों को साधने की कोशिशें कितनी तेज हैं। जयशंकर अभी मालदीव और श्रीलंका की यात्रा पर हैं। श्रीलंका में अगले तीन दिनों तक वह बिम्सटेक की तैयारियों में रहेंगे। 29 मार्च को बिम्सटेक देशों के विदेश मंत्रियों और 30 मार्च को सरकारों के प्रमुखों की शिखर बैठक होगी।
विदेश मंत्रालय का कहना है कि इस बार की बैठक में सदस्य देशों के बीच तकनीकी और आर्थिक सहयोग का मुद्दा सबसे अहम होगा। कोविड महामारी की वजह से बिम्सटेक संगठन को मजबूती से स्थापित करने की भारत की रणनीति पर असर पड़ा है। अब भारत नए वैश्विक माहौल में बिम्सटेक संगठन को ज्यादा अहम मानते हुए सदस्य देशों के साथ हर तरह के संपर्क को मजबूत करने पर ज्यादा जोर देने वाला है।
इसके अगले ही दिन नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देऊबा भारत दौर पर आने वाले हैं। देऊबा जुलाई, 2021 में सत्ता संभालने के बाद पहली बार भारत की आधिकारिक यात्रा पर आएंगे। देऊबा इसके पहले बतौर प्रधानमंत्री सितंबर, 2017 में भारत दौरे पर आए थे। यह भी ध्यान रखने वाली बात है कि चीन के विदेश मंत्री वांग यी अभी नेपाल दौरे पर हैं।
वांग यी ने चीन की मदद से तैयार न सिर्फ पोखरा एयरपोर्ट का उद्घाटन किया बल्कि नेपाल को बिजली ट्रांसमिशन में व्यापक सुधार के लिए मदद देने का एलान भी किया है। यह पहली बार है कि नेपाल अपने बिजली क्षेत्र में सुधार के लिए भारत के अलावा किसी दूसरे देश से मदद लेगा। नेपाल और चीन के बीच नौ समझौते हुए हैं।
इनमें दोनों देशों को रेल मार्ग से जोड़ने की योजना की संभाव्यता
रिपोर्ट तैयार करने संबंधी समझौता भी शामिल है। भारतीय अधिकारी नेपाल में
चीन की बढ़ती गतिविधियों से पहले से ही ¨चतित हैं और अब रेल मार्ग को लेकर
काम शुरू होने की संभावना से यह ¨चता और बढ़ेगी। माना जा रहा है कि देऊबा
और प्रधानमंत्री मोदी के बीच बैठक में भी भारत की मदद से कुछ नई परियोजनाओं
की घोषणा की जाएगी।