पर्यावरण के लिए आक्सीजन है पूर्णिमा की हरगिला आर्मी, ऐसे बनी पक्षियों की रक्षक

 

पर्यावरण के लिए आक्सीजन है पूर्णिमा की हरगिला आर्मी

हरगिला आर्मी और नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित पूर्णिमा देवी बर्मन कहती है कि कंजरवेशन के लिए कम्युनिटी को जागरुक करना होगा। हरगिला को बचाने के लिए लोगों के बीच जाना जरूरी था। मैंने हरगिला को सांस्कृतिक गर्व के चिह्न के तौर पर पेश किया।

नई दिल्ली। मैंने हरगिला को बचाने का कैंपेन शुरु किया, लेकिन कैंपेन को शुरुआती दिनों में लोगों ने खूब ताने मारे, मजाक उड़ाया, कैंपेन को रोकने की कोशिश की लेकिन मैंने हार नहीं मानी और आगे भी नहीं मानूंगी। यह कहना है हरगिला आर्मी और नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित पूर्णिमा देवी बर्मन का। वह कहती है कि यह एक सफलता सिर्फ मेरी नहीं मेरे साथ जुड़ी महिलाओं की भी है जिन्होंने किसी हाल में हौसला नहीं छोड़ा। वह कहती है कि कंजरवेशन के लिए कम्युनिटी को जागरुक करना होगा। कंजरवेशन के लिए जरूरी है कि लोगों को पर्यावरण से जोड़ा जाए।

ऐसे शुरु हुई मुहिम

पूर्णिमा बताती है कि मैंने 2007 में काम शुरु किया। वह बताती है कि मैंने देखा कि एक आदमी पेड़ काट रहा है, उस पर घोंसला था। छोटे-छोटे हरगिला पक्षी घोंसले से गिर गए थे। कुछ वहीं मर गए। मुझे काफी दुख हुआ। मैंने उसे रोका और पूछा कि वह ऐसा कैसे कर सकता है। उसने गुस्से में कहा कि कल ये पक्षी मेरा घर गंदा करेंगे तो आप साफ करने आएंगी? ये पक्षी जिंदा रहने के लायक नहीं हैं। इस घटना ने मुझे झकझोर दिया। मैंने इसके बाद अपना अभियान शुरु करने का फैसला किया। मैंने तुरंत मुहिम शुरु कर दी। हरगिला को बचाने के लिए लोगों के बीच जाना जरूरी था। मैंने हरगिला को सांस्कृतिक गर्व के चिह्न के तौर पर पेश किया।

ऐसे किया महिलाओं को एकत्रित

वह बताती है कि मैंने लोगों को शुरुआत में समझाया और उनके प्रतिरोध का मुकाबला किया। मैंने कैंपेन के लिए पीएचडी छोड़ दी। कैंपेन शुरु करने के दौरान मैंने जाना कि महिलाएं बड़ा फर्क पैदा कर सकती है। ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को लगता था कि उनकी जिम्मेदारी घर तक सीमित है। मैंने उनसे बात कर इसके लिए जागरुक किया। मैंने जागरुक करने के लिए कुकिंग फेस्टिवल मनाए। तब मैंने उनसे इसके माध्यम से बात की। इसके लिए उन्हें प्रोत्साहित किया। धीरे-धीरे हमारा ग्रुप बनता गया। एक दिन मैंने तीस महिलाओं को 2010 में स्कूल में रविवार को बुलाया। मैं चकित थी कि 600 के करीब महिलाएं आ गई। बाद में मुझे मालूम चला कि एक राजनेता ने मीटिंग बुलाई थी वह गलती से मेरी मीटिंग में आ गई थी। पर उस दिन के बाद कारवां बढ़ता गया। उस बैठक में सकारात्मक पहलू यह था कि मैंने महसूस किया कि महिलाएं सुन और समझ रही है। मैंने शुरुआत में अपने समूह का नाम हरगिला फैमिली नाम रखा। 2014 में इसका नाम हरिगला आर्मी रखा।

वह बताती है कि मैंने कई संरक्षण अभियानों का नेतृत्व किया जो स्थानीय ग्रामीणों की संस्कृति और परंपराओं को एकीकृत करते थे। इनमें धार्मिक कार्यों, खाना पकाने की प्रतियोगिताओं, नुक्कड़ नाटकों और सामुदायिक नृत्यों के दौरान संरक्षण संदेश प्रस्तुत करना शामिल था।

शुरु किया जाल लगाना

मैंने पाया कि कई दुर्लभ चिड़ियों की प्रजातियां इसलिए खतरे में हैं, क्योंकि जिन पेड़ों पर उनके घोसले होते हैं, उन्हें काटे जाने के कारण अंडे समेत घोसले नष्ट हो जाते हैं। साथ ही पेड़ों की सूखी लकड़ियां टूटकर गिरते हुए घोसलों को नुकसान पहुंचाती हैं, जिसके लिए मैंने पेड़ों पर मौजूद घोसलों की सुरक्षा के लिए उनके नीचे एक जाल लगाना शुरू किया। महिलाओं को साथ लेकर मैंने एक टीम भी बनाई। मैंने अपना काम गर्व के साथ किया है। फिर चाहे पुलिस की मदद लेनी हो या अन्य संरक्षण प्रयासों से जुड़ने की बात हो, मेरा उत्साह हर जगह बरकरार रहा।

पक्षियों की प्रजातियों के संरक्षण के लिए इस तरह काम करना कई लोगों को भद्दा भी लगता है, लेकिन यही मेरा जुनून है और अपने काम से मैं बहुत खुश हूं। मैंने कभी हार नहीं मानी और सतत इस काम में जुटी रही। मैं गांव में थी और एक औरत की गोदभराई हो रही थी। उस औरत को उस दिन बहुत सम्मान मिल रहा था। मुझे लगा कि हरगिला का भी ऐसा ही होना चाहिए। मैंने भी हरगिला का बेबी शॉवर शुरु किया। मैंने इसे सांकेतिक तौर पर करना शुरु कर दिया।

अपनाए क्रिएटिव तरीके

मैंने महिलाओं को समझाया कि जैसे आप घर को साफ करती है वैसा ही हरगिला प्रकृति को साफ करता है। धीरे-धीरे लोगों मे जागरुकता बढ़ी। टेंट हाऊस वालों के साथ बात कर हम शादियों में हरगिला के पोस्टर लगाते थे। जागरुकता फैलाने के लिए हमने बीहू फेस्टिवल समेत हर माध्यम का उपयोग किया। बच्चों के साथ कई प्रोग्राम किए। उनके साथ हरगिला से जुड़े गेम्स खेलती थी। मैंने लोगों को पर्यावरण से कनेक्ट करने की कोशिश की।

काम को मिला सम्मान

बर्मन भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा प्रस्तुत 2017 नारी शक्ति पुरस्कार ( भारतीय महिलाओं के लिए सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार) से नवाजा गईं। इसके अलावा 2017 में, यूनाइटेड किंगडम की राजकुमारी रॉयल ऐनी द्वारा उन्हें एक व्हिटली पुरस्कार (जिसे ग्रीन ऑस्कर भी कहा जाता है) प्रदान किया गया था। इसके अलावा, बर्मन को कंजर्वेशन लीडरशिप प्रोग्राम (सीएलपी) से लीडरशिप अवार्ड 2015, फ्यूचर कंजर्वेशनिस्ट अवार्ड 2009, संयुक्त राष्ट्र से यूएनडीपी इंडिया बायोडायवर्सिटी अवार्ड 2016,मिला है। रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड आरबीएस "अर्थ हीरो अवार्ड" 2016, 2017 में बीएसएनएल से भारत संचार रोल ऑफ़ ऑनर 2017 2016 में बालीपारा फाउंडेशन "ग्रीन गुरु अवार्ड" और 2017 में उत्तर पूर्व से एफआईआईसीआई एफएलओ महिला अचीवर पुरस्कार प्राप्त हुआ है।