
अलीगढ़ धनीपुर मंडी में समस्याओं का अंबार है। 2006 के नगर निगम चुनाव से लेकर अब तक सभी चुनावों की मतगणना इसी मंडी परिसर में हुई है। इस शहर को अब तक तीन मेयर 15 विधायक व दो सांसदों ने जीत का प्रमाण यहीं से लिया है।
अलीगढ़, संवाददाता। मैं धनीपुर मंडी हूं। मेरी पहचान अनाज, फल व सब्जी की खरीद-फरोख्त से ही नहीं, चुनाव से भी है। 2006 के नगर निगम चुनाव से लेकर अब तक सभी चुनावों की मतगणना मेरे परिसर में हुई है। अब तक तीन मेयर, 15 विधायक, दो सांसदों ने यहीं जीत का प्रमाण पत्र लिया। जयकारों की गूंज और विकास की गंगा बहाने के वादे से विदा तो हुए, लेकिन इस क्षेत्र में बिखरी समस्याओं पर किसी की नजर नहीं गईं। जीटी रोड पर लंबा जाम रहता है। घंटों लोग जाम में जूझते हैं। सड़क के फोर लेन का प्रस्ताव लंबे समय से अटका हुआ है। एटा चुंगी पर ओवर ब्रिज का निर्माण होना बाकी है। मंडी परिसर के अंदर कोल्ड स्टोर की मांग चली आ रही है, लेकिन जनप्रतिनिधियों की बेरुखी के चलते किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सका है। 10 मार्च को फिर मतगणना है। इस परिसर से शुरू हुए नारे जिलेभर में जश्न का माहौल बनाएंगे। काश, जीतने के बाद यहां की भी सुध ले लें।
1985 में हुई थी धनीपुर मंडी की स्थापना
धनीपुर मंडी की स्थापना 1985 में हुई थी। यहां पर गेहूं, धान, मक्का, अरहर, सरसों समेत अन्य सभी तरह के अनाज, फल व सब्जी की बिक्री होती है। हर दिन गांव देहात से हजारों लोग यहां अपने सामान की बिक्री करने आते हैं। देश के प्रमुख शहरों के साथ ही विदेशों में भी यहां से फल व अनाज की आपूर्ति होती है। करीब चालीस करोड़ रुपये का हर रोज कारोबार होता है। प्रदेश की बड़ी मंडियों में यह शामिल है, जिसका निरंतर विस्तार हो रहा है। कुल 411 दुकानें हैं। 197 अनाज की आढ़त, 164 सब्जी की और 50 सुपरमार्केट में दुकानें हैं। अब भी मंडी परिसर में काफी क्षेत्रफल खाली पड़ा हुआ है। ऐसे में 2006 के मेयर के चुनाव में पहली बार यहां पर मतों की गिनती हुई। अफसरों को यह प्रयोग काफी सफल लगा। इसके बाद सभी चुनावों में मतगणना यहीं पर प्रस्तावित कर दी गई। अब पोङ्क्षलग पार्टियों की रवानगी भी यहीं से शुरू हो चुकी है। जानकारों के मुताबिक धनीपुर मंडी परिसर में अब तक दो विधानसभा, तीन मेयर, दो लोकसभा व एक बार विधानसभा के इगलास विधानसभा के उपचुनाव की मतगणना हो चुकी है।
पहले पुलिस लाइन व आइटीआइ में होती थी मतगणना
शुरुआत में जिले में चुनावों की मतगणना पुलिस लाइन में होती थी, लेकिन 1991 के बाद इसे आइटीआइ में स्थानांतरित कर दिया गया। 2006 में नगर निगम चुनाव में मेयर पद के लिए पहली बार धनीपुर मंडी में मतगणना हुई। आइटीआइ परिसर में जगह कम होने के चलते अफसरों ने यह फैसला लिया। हालांकि, 2007 के विधानसभा चुनाव में फिर से आइटीआइ परिसर में ही मतगणना हुई। 2012 के विधानसभा चुनाव में पहली बार धनीपुर मंडी में वोट गिने गए। इसी साल मेयर के चुनाव के लिए यहीं पर वोट गिने गए। 2014 के लोकसभा चुनाव, 2017 के विधानसभा व मेयर के चुनाव के लिए भी वोट मंडी में गिने गए। 2019 के लोकसभा व इसी साल इगलास विधानसभा के उपचुनाव के लिए वोटों की गिनती धनीपुर मंडी में हुई।
इनका कहना है
मंडी के सामने सड़क की चौड़ाई काफी कम है। यहां पर जाम की स्थिति रहती है। मंडी में सुरक्षा व्यवस्था के भी कड़े इंतजाम होने चाहिए।
नारायण बाबू, स्थानीय निवासी
--
जनप्रतिनिधियों ने धनीपुर मंडी क्षेत्र की समस्याओं पर कभी ध्यान नहीं दिया। यहां लंबा जाम लगा रहता है। एटा चुंगी पर पुल भी नहीं बना है।
मृगेंद्र ङ्क्षसह, स्थानीय निवासी
--
धनीपुर मंडी क्षेत्र में काफी समस्याएं हैं। एटा चुंगी पर दिन में हर समय जाम लगा रहता है। यहां पर पुल बन जाए तो फिर वाहन रफ्तार भरने लगेंगे।
अरुण चौधरी, स्थानीय निवासी
पिछले कुछ सालों में वैसे तो काफी हद तक समस्याओं का निस्तारण हुआ है, लेकिन मंडी परिसर में काफी समय से कोल्ड स्टोर की मांग की जा रही है।
अंकित कुमार, स्थानीय निवासी