पंजाब में प्रदेश प्रधान और नेता प्रतिपक्ष को लेकर उलझन में कांग्रेस, पढ़ें कौन-कौन नेता हैं दावेदार

 

पंजाब में नेता प्रतिपक्ष व प्रदेश प्रधान का चयन नहीं कर पा रही कांग्रेस। सांकेतिक फोटो

पंजाब में सरकार का गठन भी हो चुका है लेकिन कांग्रेस अभी नेता प्रतिपक्ष का चयन नहीं कर पाई है। वहीं पार्टी में प्रदेश प्रधान का पद भी रिक्त है। इस बार कांग्रेस पंजाब में हिंदू-सिख की परिपाटी से निकलना चाहती है।

 चंडीगढ़। Punjab Congress Crisis: विधान सभा चुनाव में हार के बावजूद कांग्रेस पार्टी फैसला न ले पाने की अपनी पुरानी बीमारी से निपट नहीं पा रही है। एक तरफ कांग्रेस पार्टी में नए प्रदेश प्रधान के बनने को लेकर पूर्व प्रदेश प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू ने लाबिंग करनी शुरू कर दी है तो दूसरी तरफ नेता प्रतिपक्ष बनने के चाह में भी जोरदार लाबिंग चल रही है।

13 दिनों से खाली पड़े प्रदेश प्रधान और नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी को लेकर कांग्रेस में उलझन अभी भी बरकरार है। कांग्रेस इस बार नेताओं के चयन में हिंदू-सिख की पुरानी परिपाटी में नहीं फंसना चाहती है, लेकिन नए प्रदेश प्रधान व नेता प्रतिपक्ष को लेकर फैसला भी नहीं कर पा रही है। इसका मुख्य कारण हाईकमान और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच चल रही आपसी खींचतान है।

संगठन में पुनर्गठन को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने अपनी रिपोर्ट पार्टी की अंतरिम अध्यक्षा सोनिया गांधी को सौंप दी है, जबकि नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में माझा के दो कद्दावर नेता प्रताप सिंह बाजवा और सुखजिंदर सिंह रंधावा आगे चल रहे हैं।

बाजवा वरिष्ठता को लेकर रंधावा पर हावी पड़ रहे हैं, जबकि रंधावा के पास कुछेक पूर्व मंत्री व विधायक का सपोर्ट है। बाजवा के पक्ष में यह बात है कि वह चार बार के विधायक व एक बार लोकसभा व एक बार राज्यसभा सदस्य रहे हैं।

प्रताप सिंह बाजवा ने पंजाब प्रदेश प्रधान की जिम्मेदारी भी संभाली है, जबकि सुखजिंदर सिंह रंधावा चार बार के विधायक हैं। चन्नी सरकार में वह उपमुख्यमंत्री मंत्री रहे हैं। खास बात यह है कि यही दोनों नाम प्रदेश प्रधान की दौड़ में भी हैं। हालांकि बाजवा प्रदेश प्रधान की दौड़ में खुद शामिल नहीं है। उनकी रुचि नेता प्रतिपक्ष में ज्यादा है।

वहीं, अजय माकन ने जो अपनी रिपोर्ट सोनिया गांधी को सौंपी है। उसमें प्रदेश प्रधान के लिए नए चेहरे पर जोर दिया गया है, जिसमें रवनीत बिट्टू और यूथ कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय प्रधान व पूर्व कैबिनेट मंत्री अमरिंदर सिंह राजा वडिंग शामिल हैं।

पार्टी चूंकि इस बार धर्म और जाति में फंसकर नेताओं का चयन नहीं करना चाहती है, इसलिए दोनों प्रमुख सीटों की जिम्मेदारी सिख चेहरे को ही दी जा सकती है। बता दें, अभी तक कांग्रेस धार्मिक संतुलन बनाकर चलती रही है। अगर प्रदेश प्रधान की जिम्मेदारी हिंदू को दी जाती थी तो सरकार में मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सिख चेहरे को दी जाती थी।

महत्वपूर्ण यह है कि पार्टी जहां प्रदेश प्रधान को लेकर नए चेहरे पर दांव खेलना चाहती है, वहीं पूर्व प्रदेश प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू ने फिर प्रदेश प्रधान बनने के लिए लाबिंग करनी शुरू दी है। माना जा रहा है कि अगर कांग्रेस किसी हिंदू चेहरे पर दांव खेलती है तो पूर्व मंत्री भारत भूषण आशु पसंदीदा उम्मीदवार हो सकते हैं। पार्टी के उच्चस्तरीय सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस अभी दोनों सीटों पर नेताओं के चयन में थोड़ा समय ले सकती है।