
Delhi MCD News तीन निगम में विभागाध्यक्ष से लेकर प्रमुख पद तीन-तीन हैं। ऐसे में इनमें से किसी एक को विभागाध्यक्ष बनाना होगा। अधिकारियों की वरिष्ठता की सूची तैयार करनी होगी जिसके बाद जो अधिकारी सबसे वरिष्ठ होगा उसको विभागाध्यक्ष से लेकर प्रमुख अभियंता तक की नियुक्ति की जाएगी।
नई दिल्ली ,surender aggarwal । राजधानी के तीनों नगर निगमों को एक करने के लिए एक्ट में संशोधन को लेकर कई चर्चाएं चल रही हैं। इसमें सबसे बड़ी चर्चा निगमों को सीधे फंड देने के साथ महापौर के कार्यकाल का समय बढ़ाने की भी है। सूत्रों के मुताबिक महापौर का कार्यकाल एक साल से बढ़ाकर ढाई साल किया जा सकता है। फिलहाल तीनों निगमों में महापौर का कार्यकाल एक वर्ष का होता है। इसमें पहला वर्ष महिला पार्षद के लिए आरक्षित है तो तीसरा कार्यकाल अनुसूचित जाति के पार्षद के लिए आरक्षित है।
इसके चलते प्रत्येक वर्ष में महापौर का कार्यकाल खत्म होने के बाद इसके लिए चुनाव कराए जाते हैं, यह समय प्रशासनिक सुधारों को लागू करने के लिए कम माना जाता है। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार इसी वजह से महापौर का कार्यकाल बढ़ाने पर विचार चल रहा है ताकि निर्णय को लेने और उसके क्रियान्वयन के लिए महापौर को पूरा समय मिल सके। अप्रैल में महापौर का चुनाव होता है। निर्वाचित महापौर को दो से तीन माह प्रशासन को समझने में लगते हैं। बीच के तीन माह में कुछ फैसले लिए जाते हैं, जिसके बाद दिसंबर आते-आते बजट प्रक्रिया शुरू हो जाती है। ऐसे में एक माहपौर को खुले तौर पर काम करने के लिए मात्र चार माह का ही समय मिल पाता है।
आय और व्यय के खातों को किया जाएगा समायोजित
दिल्ली के तीनों नगर निगम (उत्तरी, पूर्वी और दक्षिणी) को एक करने से आय और व्यय के खातों को समायोजित कर दिया जाएगा। साथ ही अधिकारियों की नियुक्ति भी वरिष्ठता की सूची के आधार पर होगी। खातों को समायोजित करने का कार्य करने में एक सप्ताह का समय लगेगा, जबकि वरिष्ठता सूची और नियुक्ति की प्रक्रिया तीन से चार सप्ताह का समय लग जाएगा।
इसके बाद एकीकृत निगम सुचारु रूप से कार्य करेगा। दक्षिणी निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जिस प्रकार वर्ष 2012 से पूर्व दिल्ली नगर निगम था, अगर फिर से उसी स्थिति में तीनों निगमों को लाना है तो इसमें करीब एक माह का समय लगेगा, क्योंकि अभी तीन निगम में विभागाध्यक्ष से लेकर प्रमुख पद तीन-तीन हैं। ऐसे में इनमें से किसी एक को विभागाध्यक्ष बनाना होगा। इसके लिए अधिकारियों की वरिष्ठता की सूची तैयार करनी होगी, जिसके बाद जो अधिकारी सबसे वरिष्ठ होगा उसको विभागाध्यक्ष से लेकर प्रमुख अभियंता तक की नियुक्ति की जाएगी।
क्या सीधे फंड देने का होगा प्रविधान
राजधानी के तीनो निगमों को एक करने के साथ निगमों की आर्थिक समस्या भी खत्म करने की जरूरत है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि तीनों निगमों को एक करने के लिए सीधे फंड देने का प्रविधान हो सकता है। दरअसल, दिल्ली भाजपा ने वर्ष 2017 के चुनाव में वादा किया था कि दिल्ली सरकार अगर फंड नहीं देती है तो केंद्र से फंड लाया जाएगा। बीते तीन वर्ष में दिल्ली के तीनों नगर निगमों ने दिल्ली सरकार पर फंड न देने और फंड में कटौती के आरोप लगाकर इसे मुद्दा बनाने का भी प्रयास किया है।
दिल्ली सरकार से 13 हजार करोड़ रुपये के बकाये फंड को लेकर सदन से लेकर सड़क तक पर आंदोलन किए हैं। इतना ही नहीं तीनों महापौर ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ भूख हड़ताल भी की थी। ऐसे में माना जा रहा है कि सीधे फंड देने का प्रविधान निगम एक्ट में संशोधन से किया जा सकता है। फिलहाल निगमों को 16 हजार करोड़ रुपये की देनदारी खत्म करने की आवश्यकता है। ऐसे में इसके लिए विशेष पैकेज से इसको खत्म करने का कदम भी उठाया जा सकता है।