
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सच में डिप्टी स्पीकर का यह कदम असंवैधानिक था। अब क्या देश में आम चुनाव होंगे। पाकिस्तान के इस सियासी घटनाक्रम में फौज का क्या रोल होता है। क्या विपक्ष को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत मिल सकती है।
नई दिल्ली। पाकिस्तान में कई दिनों से चला आ रहा सियासी संकट समाप्त हो गया है। इमरान सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को बिना मतदान के ही खारिज कर दिया गया। इसके साथ ही नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर ने अविश्वास प्रस्ताव को बिना वोटिंग के ही खारित कर दिया। हालांकि, विपक्ष ने सूरी के इस कदम को अवैध और असंवैधानिक करार दिया है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सच में डिप्टी स्पीकर का यह कदम असंवैधानिक था? अब क्या देश में आम चुनाव होंगे? पाकिस्तान के इस सियासी घटनाक्रम में फौज का क्या रोल होता है? क्या विपक्ष को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत मिल सकती है?
1- प्रो हर्ष वी पंत ने कहा कि पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता का दौर अभी समाप्त नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को बिना मतदान के ही खारिज कर दिया गया। दरअसल, इसकी भूमिका पहले से ही बन गई थी। इमरान खान ने राष्ट्र के नाम संबोधन में राष्ट्रपति आरिफ अल्वी से संसद भंग करने की सिफारिश की थी। इसमें कहीं भी संवैधानिक प्रक्रिया का उल्लंघन नहीं किया गया है। संसदीय व्यवस्था में प्रधानमंत्री राष्ट्रपति को संसद भंग करने की सिफारिश कर सकता है। इमरान ने भी वही किया। ऐसे करके इमरान खान अपनी सरकार को बचाने में कामयाब हो गए।
2- नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर कासिम खान सूरी ने पाकिस्तानी संविधान के अनुच्छेद 5 का हवाला देते हुए इस अविश्वास प्रस्ताव को बिना वोटिंग के ही खारिज कर दिया। इस अनुच्छेद के तहत स्पीकर को यह अधिकार हासिल है कि अगर वह समझता है कि सदन में सरकार ने बहुमत खाे दिया है तो वह अपने विवेक से ऐसा कर सकता है। खास बात यह है कि कासिम खान सूरी ने आज सदन की जिम्मेदारी ऐसे वक्त संभाली जब विपक्ष ने नेशनल असेंबली के स्पीकर असद कैसर के खिलाफ ही अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया।
3- प्रो पंत का कहना है कि विपक्ष भले ही सुप्रीम कोर्ट में जाने की बात करे, लेकिन संवैधानिक प्रावधान के अनुसार पाकिस्तान में अब आम चुनाव के बाद ही नई सरकार का गठन होगा। इमरान ने यह संकेत अपने राष्ट्र के नाम भाषण में संंकेत दिया था। अब पाकिस्तान में आम चुनाव के अलावा कोई विकल्प नहीं है। विपक्ष को चुनाव का सामना करना होगा। उन्होंने कहा कि हालांकि, विपक्ष को इस बात का अंदाजा नहीं था कि पाकिस्तान में आम चुनाव की नौबत आएगी। विपक्ष इमरान सरकार को हटाना चाहता था और अपना बहुमत दिखाकर सत्ता पर काबिज होना चाहता था, लेकिन राष्ट्रपति और नेशनल असेंबली अध्यक्ष ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया। उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि विपक्ष के पास बहुमत था, लेकिन संसद भंग होने के बाद सरकार बनाने का विकल्प समाप्त हो जाता है। उन्होंने कहा कि अब बड़ा सवाल यह है कि क्या आम चुनाव के समय में भी विपक्ष इमरान खान के खिलाफ एकजुट रह पाता है।
4- इतना ही नहीं पाकिस्तान के सूचना प्रसारण मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान में अगले 90 दिन के अंदर आम चुनाव होंगे। अब एक लिहाज से देश में राष्टप्रति शासन होगा और इमरान सरकार केयर टेकर के रूप में सरकार का कामकाज देखेगी। उधर, विपक्ष सुप्रीम कोर्ट में संविधान बचाने की गुहार लगा रही है, इस फैसले के खिलाफ विपक्ष का घरना प्रदर्शन शुरू हो गया है। इस बीच इमरान ने कौम से चुनाव की तैयारी के लिए कहा है। ऐसा करके इमरान के गेंद जनता के पाले में डाल दी है।
5- खास बात यह है कि पाकिस्तान की इस सियासी संकट में सेना ने अपने को अलग रखा है। अभी तक सेना का कोई भी बयान इमरान खान या विपक्ष के समर्थन या विरोध में नहीं आया है। ऐसे में यह देखना भी दिलचस्प होगा कि पाकिस्तान की सेना क्या सोच रही है।
भारत की तरह पाकिस्तान में है संसदीय व्यवस्था
प्रो पंत ने कहा कि भारत की तरह पाकिस्तान में संसदीय शासन है। भारत की तरह प्रधानमंत्री, सरकार का प्रमुख होता है और उसको सदन में बहुमत वाली पार्टी अपने नेता के रूप में चयन करती है। संविधान के तहत पाकिस्तान को द्विसदनीय प्रणाली द्वारा शासित किया जाता है। इस प्रणाली में उच्च सदन को सेनेट और निम्न सदन नेशनल असेंबली कहते हैं। भारत की तरह केंद्र सरकार नेशनल असेंबली के प्रति जवाबदेह होती है। संविधान में संशोधन के लिए निचले सदन यानी नेशनल असेंबली में दो तिहाई बहुमत होना चाहिए। भारत की तरह पाकिस्तान की न्यायपालिका स्वतंत्र होती है।
पहले भी चर्चा में हरे कासिम खान
कासिम खान सूरी पहले भी सुर्खियों में रहे हैं। पिछले वर्ष जून में एक ही दिन में 21 बिल पारित करने के चलते वह चर्चा में आए थे। इससे नाराज होकर विपक्षी पार्टियों ने एकजुट होते हुए कासिम सूरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। विपक्षी पार्टियों की मांग थी कि कासिम सूरी को तुरंत प्रभाव से उनके पद से हटाया जाए। विपक्ष का आरोप था कि सभी कानूनों को गलत तरीके से पास करवाया गया। सूरी पीटीआई बलूचिस्तान के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और महासचिव और उप आयोजक का पद भी संभाल चुके हैं। कासीम अप्रैल 2012 को पीटीआई के मंच से बलूचिस्तान के राजनीतिक इतिहास में सबसे बड़ी राजनीतिक सभा आयोजित की थी। कासिम खान सूरी का जन्म जनवरी 1969 में क्वेटा के एक प्रसिद्ध पख्तून जनजाति सूरी में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा क्वेटा इस्लामिया स्कूल से प्राप्त की। इसके बाद तामीर-ए-नौ स्कूल क्वेटा से मैट्रिक पास किया। 1990 में उन्होंने बलूचिस्तान विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की। वह बेहतरीन एथलीटों में से एक रहे हैं।