जलवायु परिवर्तन के चलते पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों पर भी खतरा मंडरा रहा है। एक अनुमान के मुताबिक 21वीं सदी में पूरी दुनिया के लोगों को कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझना पड़ेगा। स्थिति पर काबू नहीं पाया गया तो हालात और खराब हो सकते हैं।
जलवायु परितर्वन के असर को समझने के लिए नेपाल, आष्ट्रेलिया, भारत, पाकिस्तान, जर्मनी और बेल्जियम के वैज्ञानिकों ने मिल कर हिंदू कुश हिमालय के अलग अलग हिस्सों पर अध्ययन किया। हिंदू कुश हिमालय (HKH) क्षेत्र एक विशाल विस्तार है जिसमें दुनिया के 18% पर्वतीय क्षेत्र शामिल हैं। 4.3 मिलियन किमी 2 में फैला ये क्षेत्र नेपाल, भूटान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, चीन, भारत, म्यांमार और पाकिस्तान जैसे आठ देशों से हो कर गुजरता है। हिंदू अध्ययन में पाया गया कि कुश हिमालय क्षेत्र वैश्विक औसत से अधिक दर से गर्म हो रहा है। यहां पिछले 6 दशकों में कुछ चरम घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि के साथ वर्षा में भी काफी वृद्धि हुई है। तापमान और भारी बारिश ने कृषि, जैव विविधता और मानव स्वास्थ्य जैसे जलवायु पर निर्भर पहलुओं को प्रभावित किया है। अध्ययन में पाया गया कि जलवायु परितर्वन के चलते हिंदू कुश हिमालय क्षेत्र में, जलवायु परिवर्तन संक्रामक रोगों, गैर-संचारी रोगों (एनसीडी), कुपोषण के मामले बढ़े हैं। ऐसे में इस इलाके में जलवायु परिवर्तन पर लगाम लगाने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने की जरूरत है।
माना जा रहा है कि जलवायु परिवर्तन के चलते 21वीं सदी में पूरी दुनिया के लोगों को कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझना पड़ेगा। हिंदू कुश हिमालय पृथ्वी पर सबसे बड़ी पर्वत प्रणाली और 10 प्रमुख नदी घाटियों से मिल कर बना है। इसके आसपास लगभग बीस लाख लोग रहते हैं। ये इलाका जलवायु में होने वाले बदलाव के प्रभाव के लिए बेहद संवेदनशील है। इस क्षेत्र में गर्मी बढ़ने की दर (वर्ष 2006 से 25 साल पहले फैले आधारभूत डेटा का उपयोग करके अनुमानित ) 0.06 डिग्री सेल्सियस प्रति वर्ष के करीब है। ये वैश्विक औसत वार्मिंग दर से ज्यादा है।
जलवायु परिवर्तन के चलते बढ़ता तापमान संक्रामक रोगों को बढ़ावा देता है। पिछले 4 दशकों में संयुक्त वैश्विक प्रयासों ने पूरी दुनिा में मलेरिया के मामलों को कम किया है, लेकिन अन्य वेक्टर जनित बीमारियों, विशेष रूप से डेंगू होने वाली मौतें बढ़ी हैं। हाल ही में, जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य 2019 पर लैंसेट आयोग ने खुलासा किया कि पिछले कुछ वर्षों में मच्छरों द्वारा होने वाले रोगों (मलेरिया और डेंगू) में वृद्धि हुई है। अध्ययनों से पता चलता है कि दक्षिण एशिया के ऊंचे पहाड़ों में ज्यादा बारिश और बढ़ते तापमान के चलते संक्रामक बीमारियां तेजी से फैली हैं। ज्यादा बारिश के चलते इन पहाड़ी इलाकों मे मच्छरों को प्रजनन में मदद मिली है। साथ ही बढ़ता तापमान इनके जीवन चक्र को तेज कर देता है। पर्यावरणीय कारक जैसे ऊंचे पहाड़ों में तापमान में असमान वृद्धि, कम बर्फबारी, अत्यधिक मौसम की घटनाएं जैसे भारी वर्षा, पहाड़ी ढलानों में कृषि और कृषि गतिविधियों में वृद्धि, और लोगों की पहुंच और गतिशीलता में वृद्धि एचकेएच क्षेत्र में पहले से काफी अधिक बढ़ गए हैं। पिछले कुछ दशकों में एचकेएच क्षेत्र में देखे गए इन परिवर्तनों से संक्रामक रोगों के फैलने का खतरा बढ़ा है।
नेपाल में ऊंचे पहाड़ों के गैर-स्थानिक क्षेत्रों में मच्छर से फैलने वाली बीमारियां तेजी से बढ़ी हैं। इसके लिए जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार माना जा रहा है। वहीं हिंदू कुश हिमालय क्षेत्र में पिछले कुछ दशकों में चिकनगुनिया और डेंगू की बढ़ती घटनाओं को को भी जलवायु परिवर्तन का असर माना जा रहा है। हिमालयी हाइलैंड्स में जापानी एन्सेफलाइटिस के मामले भी तेजी से बढ़े हैं, जो पहले निचले दक्षिणी मैदानों तक ही सीमित थे। इन्हें भी जलवायु परिवर्तन से जोड़ा गया है।