अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की जेएनयू इकाई के अध्यक्ष बने रोहित

 

JNU Politics: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की जेएनयू इकाई के अध्यक्ष बने रोहित

JNU Politics पीएचडी शोधार्थी रोहित कुमार को एबीवीपी की जेएनयू इकाई का अध्यक्ष बनाया गया है जबकि उमेश चंद्र अजमीरा मंत्री बनाए गए हैं। तेलंगाना के रहने वाले उमेश चंद्र अजमीरा के पिता की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी।

नई दिल्ली,  संवाददाता। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने जेएनयू की नई इकाई की घोषणा कर दी है। पीएचडी शोधार्थी रोहित कुमार को अध्यक्ष और उमेश चंद्र अजमीरा को मंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है। नवनिर्वाचित अध्यक्ष रोहित कुमार चंपारण, बिहार के निम्न मध्यम वर्गीय परिवार से आते हैं और जेएनयू के आपदा प्रबंधन संस्थान से पीएचडी कर रहे हैं। उमेश चंद्र जेएनयू के अंतरराष्ट्रीय अध्ययन संस्थान से अमेरिकन स्टडीज में शोध कर रहे हैं। शांत, सौम्य उमेश की जिंदगी संघर्षाें की बानगी हैं।

उमेश बताते हैं कि वो मूलरूप से तेलंगाना के जयशंकर जिला ( पूर्व में करीमनगर) के गाधमपल्ली गांव रहने वाले हैं। पिता सीताराम सामाजिक कार्यकर्ता थे। मां समक्का गृहणी थी। एक दिन नक्सलियों ने गांव पर हमला कर दिया। पिता की नृसंश हत्या कर दी। पिता की हत्या ने परिवार को तोड़ कर रख दिया। मां समक्का शारीरिक और मानसिक रूप से बीमार रहने लगी। जिसका फायदा ईसाई मिशनरियों ने उठाया। गांव में ईसाई मिशनरी सक्रिय हो गई। वो औरों की तरह मां से भी यही कहती कि जब देवताओं को मदद करनी चाहिए थी तो नहीं किया। दरअसल, मिशनरी के सदस्यों ने समक्का से यह बार-बार कहा कि उनका परिवार आदिवासी है, जिस कारण मुश्किल समय में हिंदू देवी देवताओं ने मदद नहीं की। अंत में मिशनरी के प्रभाव में आकर समक्का ने ईसाई धर्म अपना लिया। लेकिन एक साल के अंदर ही उन्होने दोबारा हिंदू धर्म अपना लिया।मेश ने 2015 में जेएनयू में दाखिला लिया। यहां भी वामपंथी ताकतों ने उन्हेें डराया, धमकाया। उनसे यहां तक कहा गया कि आदिवासी हो, एबीवीपी में बराबरी का मौका नहीं मिलेगा। उमेश ने बताया कि उनकी मां ने तेलंगाना के प्रसिद्ध राजा राजेश्वर मंदिर में आखिरी सांस ली। उनके अंतिम वाक्य थे कि हम हिंदू की तरह रहे, हिंदू की तरह मरें, क्यों कि हम हिंदू है। उमेश ने तमिलनाडू में मतांतरण की वजह से खुदकुशी करने वाली छात्रा लावण्या को इंसाफ दिलाने के लिए लंबा संघर्ष किया।