राम नवमी विशेष: श्रीराम की कहानी में हर रस मौजूद है, यहां पढ़े पूरी रिपोर्ट

 

Photo Credit : Adipurush The Incarnation Sita Instagram Photos Screenshot

भारतीय सिनेमा के शुरुआती दौर में ज्यादातर फिल्मों का आधार धार्मिक कहानियां और नाटक होते थे। भारतीय सिनेमा के जनक कहे जाने वाले दादा साहेब फाल्के ने साल 1913 में पहली फीचर फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ बनाने के बाद साल 1917 में ‘लंका दहन’ फिल्म बनाई थी।

मुंबई। श्रीरामचरितमानस के बालकांड की चौपाई हरि अनंत, हरि कथा अनंता... आज भी प्रासंगिक है। भगवान श्रीराम का जीवनचरित, उच्च आदर्श, संस्कार व मूल्य हमें अनुप्राणित करते रहे हैं। ये भारतीय सिनेमा की कहानियों का आधार भी रहे हैं। आने वाले दिनों में ‘आदिपुरुष’, ‘द इन्कार्नेशन सीता’, ‘राम सेतु’ समेत कई फिल्मों में श्रीराम के आदर्र्शों की झलक मिलेगी। नितेश तिवारी ने भी रामायण पर फिल्म बनाने की घोषणा की है। श्रीराम के आदर्शों के प्रति सिनेमा के आकर्षण व बड़े पर्दे पर उन्हें दर्शाने की चुनौतियों की पड़ताल कर रहे हैं प्रियंका सिंह व दीपेश पांडेय...भारतीय सिनेमा के शुरुआती दौर में ज्यादातर फिल्मों का आधार धार्मिक कहानियां और नाटक होते थे। ऐसे में शुरुआती दौर से ही श्रीराम की कहानी फिल्मकारों के लिए आकर्षण का केंद्र रही है। भारतीय सिनेमा के जनक कहे जाने वाले दादा साहेब फाल्के ने साल 1913 में पहली फीचर फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ बनाने के बाद साल 1917 में ‘लंका दहन’ फिल्म बनाई थी। वाल्मीकि कृत रामायण पर आधारित इस मूक फिल्म में हनुमान द्वारा लंका दहन को केंद्र में रखा गया था। अन्ना सालुंके ने इस फिल्म में राम और सीता दोनों की भूमिका निभाई थी। उसके बाद अलग-अलग दौर में नियमित अंतराल पर श्रीराम के जीवन और उनकी कहानी के इर्द-गिर्द ‘चंद्रसेन’ (1931), ‘भरत मिलाप’ (1942), ‘राम राज्य’ (1943), ‘रामबाण’ (1948), ‘हनुमान पाताल विजय’ (1951), ‘रामायण’ (1954), ‘संपूर्ण रामायण’ (1961), ‘राम राज्य’ (1967), ‘बजरंग बली’ (1976) और ‘लव कुश’ (1997) समेत कई फिल्में बनीं।

रामायण पर कमर्शियल सिनेमा:

हिंदी के अलावा तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और उड़िया समेत अन्य भारतीय भाषाओं में भी निर्माताओं ने श्रीराम के जीवन पर आधारित फिल्में बनाईं। श्रीराम द्वारा रावण वध और उनका जीवन अनेक हिंदी फिल्मों का आधार रहा, जिनमें असत्य पर सत्य की विजय दिखाई गई। हालांकि रामकथा पर कमर्शियल फिल्में कम ही बनीं। अब एक अर्से के बाद हिंदी सिनेमा में राम, रामायण और उनकी दुनिया पर आधारित कई बड़ी फिल्मों के निर्माण की घोषणाएं हुई हैं। पिछले साल कुणाल कोहली निर्देशित वेब सीरीज ‘राम युग’ रिलीज हुई। फिल्म ‘तान्हाजी- द अनसंग वारियर’ फेम निर्देशक ओम राउत भगवान श्रीराम के जीवन पर फिल्म ‘आदिपुरुष’ बना रहे हैं। कुछ समय पहले अलौकिक देसाई के निर्देशन में बन रही फिल्म ‘द इन्कार्नेशन सीता’ की घोषणा की गई थी, जिसमें कंगना रनोट शीर्षक किरदार में होंगी। फिल्म निर्माता मधु मंटेना और ‘दंगल’ फेम निर्देशक नितेश तिवारी भी रामायण पर फिल्म बनाने की तैयारी में हैं।

हर दौर में प्रासंगिक राम:

श्रीराम की कहानी और उनकी दुनिया के प्रति फिल्मकारों के आकर्षण का सबसे बड़ा कारण यह है कि रिश्तों और समाज के प्रति प्रस्तुत किए गए उनके आदर्श हर दौर में प्रासंगिक हैं। काल, किरदार, नजरिया, कलाकार और तकनीक भले ही बदलें, लेकिन फिल्मकारों को वक्त के अनुसार राम की कहानी में कोई बदलाव करने की जरूरत नहीं होती है। फिल्मकार नितेश तिवारी का कहना है, ‘रामायण के प्रति प्रेम के लिए ही हम ‘रामायण’ फिल्म बना रहे हैं। रामायण हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा है। कोरोना काल में धारावाहिक ‘रामायण’ को जो प्यार मिला, वह इस फिल्म को बनाने के संकल्प को और भी दृढ़ कर देता है। रामायण इतनी विस्तृत है कि उसे एक फिल्म में दिखाकर, उसके साथ न्याय नहीं कर पाएंगे, इसलिए मैं ट्रायलाजी फिल्म बनाना चाहता हूं।’

वहीं फिल्म ‘आदिपुरुष’ के निर्देशक ओम राउत कहते हैं, ‘हमारी दादी-नानी जब हमें कहानियां सुनाती थीं तो उदाहरण देती थीं कि प्रभु श्रीराम के आचरण से तुम्हें ये चीजें सीखनी हैं, यह सही रास्ता है। हमारा प्रयास यही रहता है कि अपने पेशे, परिवार, दोस्तों की ओर हमारा बर्ताव अच्छा हो। वह प्रयत्न करने की सीख कहां से आई? वे संस्कार कहां से आए? वे संस्कार प्रभु श्रीराम के जीवन और उनके चरित्र को देखकर आए हैं। पूरे विश्व में जो अच्छाई है, उसका ऊर्जा स्रोत प्रभु श्रीराम का चरित्र है। जितना मुझे समझ आया है, उतना ‘आदिपुरुष’ में दिखाने की कोशिश की है।’

हर रस मौजूद:

श्रीराम की कहानी में श्रृंगार, करुणा, हास्य, रौद्र, वीर, भयानक, वीभत्स, अद्भुत और शांत सहित सभी नौ रस मौजूद हैं। फिल्मकार अपनी रुचि के अनुसार श्रीराम से जुड़े भावों और किरदारों को अपने नजरिए से फिल्मों में प्रस्तुत करते हैं। इस बाबत ‘आदिपुरुष’ और ‘द इन्कार्नेशन सीता’ फिल्मों के संवाद लेखक और गीतकार मनोज मुंतशिर कहते हैं, ‘अगर आपको एक अच्छी प्रेम कहानी चाहिए तो आप भगवान श्रीराम और मां सीता से सीखें। उनकी कहानी बताती है कि विवाह के बाद भी प्रेम में कितनी गहराई हो सकती है। सीता असुर रावण की कैद में थीं, जिसने ग्रह नक्षत्रों को भी अपने कब्जे में रखा था। अपनी पत्नी को छुड़ाने के लिए राम चंद्र जी ने बिना किसी सैन्य शक्ति के ऐसे खलनायक से भी टकराने में कोई परवाह नहीं की। भगवान राम से सिर्फ प्रेम ही नहीं, पराक्रम भी सीखने को भी मिलता है। उनसे ज्यादा शांति प्रिय इस धरती पर और कोई नहीं हुआ। उन्हीं राम ने अन्याय होने पर धनुष उठाने में भी देर नहीं की। रामेश्वरम में उन्होंने समुद्र को चेतावनी दी थी कि अगर तुम मुझे पत्नी को छुड़ाने के लिए रास्ता नहीं दोगे तो मैं अपने बाण से तुम्हें सुखा दूंगा। प्रेम, शांति और शौर्य तीनों में भगवान राम से बड़ा कोई आदर्श नहीं है।’

हर पीढ़ी तक संदेश पहुंचाने की कोशिश:

रामायण और श्रीरामचरितमानस जैसे महाकाव्यों में श्रीराम के जीवन और चरित्र का वर्णन किया गया है। हालांकि, युवा पीढ़ी पढ़ने से ज्यादा देखना पसंद करती है। जो पढ़ना पसंद करते हैं, उनमें भी ज्यादातर युवाओं के लिए इन पुस्तकों की भाषा समझना मुश्किल होता है। ऐसे में फिल्मों के माध्यम से हर वर्ग के लोग आसानी से राम कथा को देख और समझ पाते हैं। मनोज मुंतशिर कहते हैं, ‘जब आप सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में आस्था के प्रतीक मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की कहानी सुनाना चाहते हैं तो सबसे बड़ी चुनौती होती है कि किस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया जाए, जो सभी के लिए सहज हो। संवाद और संदेश का संचार ही सिनेमा की ताकत है। ‘आदिपुरुष’ और ‘द इन्कार्नेशन सीता’ के लिए मेरी कोशिश यही रही कि इसके डायलाग ऐसी शैली में लिखे जाएं, जो सरल हों और सारगर्भित भी। जिनमें गहराई हो और समझने में सहजता भी।’

तकनीक का करिश्मा:

मौजूदा दौर में फिल्म निर्माण के लिए कैमरे से लेकर, मेकअप, एक्शन, एडिटिंग और वीएफएक्स हर चीज के लिए उत्तम तकनीक उपलब्ध है। ऐसे में फिल्मकार श्रीराम के पराक्रम और उनकी दुनिया को भव्यता के साथ पर्दे पर प्रस्तुत कर सकते हैं। फिल्म ‘रामायण’ पर काम कर रहे विजुअल इफेक्ट्स और एनीमेशन स्टूडियो डीएनइजी के चेयरमैन और सीईओ नमित मल्होत्रा कहते हैं, ‘रामायण’ बड़ा प्रोजेक्ट होगा। उद्देश्य यही है कि इसे प्यार और मेहनत से बनाया जाए। इसके ग्राफिक्स, विजुअल इफेक्ट्स ऐसे रखे जाएंगे, जिसे देखने के बाद दुनिया की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में इसे शामिल किया जाएगा। कोरोना की वजह से फिल्म में कुछ देरी हुई। अगले साल फिल्म को फ्लोर पर लाया जाएगा।’

जीवन से मेल खाते हैं राम कथा के पात्र :

श्रीराम ने दुनिया के सामने हर उम्र, परिस्थिति और रिश्तों के लिए अलग-अलग भूमिकाओं में आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया है। रामलीला में सीता का किरदार निभाकर अभिनय करियर की शुरुआत करने वाले अभिनेता श्रेयस तलपड़े कहते हैं, ‘रामायण की कहानी और पात्र, हमारे जीवन से मेल खाते हैं। किसी हीरो की बात होती है तो हमारे सामने प्रभु रामजी की छवि आ जाती है। प्रभु राम एक आदर्श बेटे, आदर्श लीडर, उसूलों पर चलने वाले थे। किसी भी आदर्श पुरुष में हम ये गुण ढूंढ़ते हैं। वहीं जब आदर्श महिला की बात होती है तो सीता मइया और आदर्श अनुयायी के तौर पर पवन पुत्र हनुमान की छवि सामने आ जाती है। जब विलेन की बात होती है तो हम कहते हैं यह तो रावण जैसा है, सही इंसान नहीं है। ये बातें बचपन से हमारे डीएनए का हिस्सा बन चुकी हैं। हमारी सोच उसी के मुताबिक चलती है। रामायण के हर अध्याय में एक सीख है कि जीवन में कैसे आगे बढ़ना है, किन मूल्यों के साथ जीना है। हमारी फिल्में भी इसी आधार पर चलती हैं कि बेटा हो तो राम जैसा, भाई हो तो लक्ष्मण जैसा हो। हमारी कहानियां और स्क्रीनप्ले इन्हीं किरदारों का मिश्रण होते हैं।’

टीवी पर भी हिट है राम कथा

श्रीराम की कहानी ने दर्शकों और निर्माताओं को छोटे परदे पर भी खूब आकर्षित किया है। राम कथा पर कई धारावाहिक बने:

’ रामानंद सागर कृत रामायण (1987)

’ उत्तर रामायण/लव कुश (1989)

’ रामायण (2002)

’ रावण (2006)

’ रामायण (2008)

’ रामायण (2012)

’ सिया के राम (2015)

’ राम सिया के लव कुश (2019)

आने वाली फिल्में

आदिपुरुष: प्रभास, सैफ अली खान, कृति सैनन फिल्म में मुख्य भूमिका में हैं।

द इन्कार्नेशन सीता: कंगना रनोट केंद्रीय भूमिका में होंगी

राम सेतु: अक्षय कुमार अभिनीत इस फिल्म में एक पुरातत्वविद के नजरिए से राम सेतु से जुड़ी कहानी प्रस्तुत की जाएगी।

अपराजित अयोध्या: कंगना रनोट के प्रोडक्शन हाउस में बन रही इस फिल्म में श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या के महत्व और उसके इतिहास को दर्शाया जाएगा।