राजधानी में भगोड़े और दस साल से फरार अपराधियों की संख्या जानकर रह जाएंगे दंग, पुलिस के लिए भी बने हुए हैं सिरदर्द

 

इस साल एक जनवरी से 31 मार्च तक तीन महीने में 129 आरोपितों को कोर्ट ने दिया भगोड़ा करार।

इस वर्ष तीन महीने यानी एक जनवरी से 31 मार्च तक के आंकड़े को देखें तो राजधानी की विभिन्न अदालतों द्वारा संगीन मामलों में फरार चल रहे 20 व गैर संगीन मामलों में फरार चल रहे 109 अन्य आरोपितों को भगोड़ा घोषित किया गया।

नई दिल्ली  surender Aggarwal। राजधानी में 22,308 भगोड़े अपराधी दिल्ली पुलिस के लिए सालों से सिरदर्द बना हुआ है। संगीन व गैर संगीन मामलों में शामिल इनमें अधिकतर भगोड़े दस साल से भी अधिक समय से फरार बताए जा रहे हैं। दैनिक आपराधिक मामलों से जूझती पुलिस के पास इतने समय नहीं होते कि वे लंबे समय से फरार भगोड़े का पता लगा उन्हें पकड़ पाए। यही वजह से भगोड़ों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है।

दिल्ली पुलिस के आंकड़ों को देखें तो पिछले साल दिसंबर तक राजधानी में भेगोड़े अपराधियों की संख्या 22503 थी। इस वर्ष तीन महीने यानी एक जनवरी से 31 मार्च तक के आंकड़े को देखें तो राजधानी की विभिन्न अदालतों द्वारा संगीन मामलों में फरार चल रहे 20 व गैर संगीन मामलों में फरार चल रहे 109 अन्य आरोपितों को भगोड़ा घोषित किया गया। हालांकि इस साल भगोड़े को दबोचने में सभी 15 जिला पुलिस के अलावा स्पेशल सेल, क्राइम ब्रांच व अन्य यूनिटों ने सक्रियता भी दिखाई।

एक जनवरी से 31 मार्च तक तीन महीने के दौरान दिल्ली पुलिस कुल 324 भगोड़े को गिरफ्तार कर चुकी है, जिनमें संगीन मामलों के 54 व गैर संगीन मामलों के 270 भगोड़े शामिल हैं। मुख्यालय सूत्रों की मानें तो हाल के वर्षों में भगोड़े को पकड़ने के लिए पुलिस आयुक्त ने अधिकारियों को निर्देश भी दिए हैं। जिससे कई जिले में डीसीपी के निर्देश पर कुछ थानों में भगोड़े को पकड़ने के लिए अलग टीमें बना दी हैं।

नई दिल्ली जिला के मंदिर मार्ग थाने में तैनात एक एएसआइ की टीम ने कुछ वर्षों में 200 से अधिक भगोड़े को गिरफ्तार कर चुकी है। आयुक्त ने ऐसे पुलिसकर्मियों का हौसला बढाने के लिए उन्हें रिवार्ड भी देना शुरू किया है। पुलिस अधिकारी का कहना है कि नई दिल्ली जिले की तरफ अगर अन्य जिले में भी भगोड़े को पकड़ने के लिए अलग से टीम बनाने की जरूरत है।

जिले की पुलिस को इस मामले में ज्यादा गंभीरता से सोचने की जरूरत है। भगोड़े को नहीं पकड़ने से हर साल कई मामले अनसुलझे ही रह जाते हैं। आरोपित मोबाइल नंबर बदलकर व फर्जी नाम व पते पर फर्जी दस्तावेज बनवा दिल्ली छोड़कर अन्य जिले में नया ठिकाना बना रहने लगते हैं।