पूर्वी निगम के लोगों को नहीं मिला ब्याज और जुर्माना माफी योजना का लाभ, वजह जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर

 

शुरुआती तीन-चार महीने में 15 फीसद अतिरिक्त छूट की भी योजना चलती है।

दिल्ली नगर निगम एक्ट में बदलाव कर रास्ता निकाला जा सकता है। 31 मार्च तक पूर्वी निगम ने ब्याज और जुर्माना माफी की योजना चलाई हुई थी। इसके साथ शुरुआती तीन-चार महीने में 15 फीसद अतिरिक्त छूट की भी योजना चलती है।

नई दिल्ली,  संवाददाता। करीब सात साल पहले पूर्वी नगर निगम ने तृतीय मूल्यांकन समिति की सिफारिशों को अपने यहां लागू कर दिया था। इससे संपत्तिकर तीन से चार गुणा तक बढ़ गए थे। कुछ मामलों में तो सात गुणा तक बढ़ोतरी दर्ज की जा रही थी। लोगों के विरोध को देखते हुए पूर्वी निगम ने इसकी काट निकाली। हर साल सदन से बढ़ोतरी के बराबर छूट दी जाने लगी। इसके लिए सदन की बैठक जरूरी है, लेकिन निगमों के एकीकरण की प्रक्रिया शुरू होने की वजह से निकट भविष्य में इसके होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं।

नया वित्तीय वर्ष शुरू हो चुका है और एक अप्रैल से संपत्तिकर के शुल्क तीन से चार गुणा बढ़ चुके हैं, क्योंकि तृतीय मूल्यांकन समिति की सिफारिशें लागू हो चुकी हैं। ऐसे में निगम के अधिकारी सलाह दे रहे हैं कि अभी संपत्तिकर जमा न करें। थोड़ा इंतजार कर लें। महापौर श्याम सुंदर अग्रवाल का कहना है कि इस पर आयुक्त से बातचीत कर जल्द इसका समाधान निकाला जाएगा।

नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक बढ़े हुए कर पर छूट देने का अधिकार न तो महापौर और न ही आयुक्त के पास है। इसके लिए सदन से मंजूरी आवश्यक है। दिल्ली नगर निगम एक्ट में बदलाव कर रास्ता निकाला जा सकता है। 31 मार्च तक पूर्वी निगम ने ब्याज और जुर्माना माफी की योजना चलाई हुई थी। इसके साथ शुरुआती तीन-चार महीने में 15 फीसद अतिरिक्त छूट की भी योजना चलती है। ये फैसले विभाग ले सकता है लेकिन मूल्यांकन समिति की सिफारिशों पर बढ़े हुए हर को वापस नहीं लिया जा सकता है।

ऐसे में उन लोगों के सामने दिक्कत आ गई है, जिनके पास संपत्तिकर के नोटिस पहुंचे हुए हैं। संपत्तिकर बकाये पर रिहायशी संपत्तियों पर तो सीलिंग की कार्रवाई नहीं होती है, लेकिन व्यावसायिक संपत्तियों पर कभी भी हो सकती है। इस वजह से लोग डरे हुए हैं। दरअसल तृतीय मूल्यांकन समिति की सिफारिशों की वजह से इलाकों की कैटेगरी बदल जाती है। जो इलाके अभी सी और डी कैटेगरी में हैं वे ए और बी कैटेगरी में आ जाते हैं। इसकी वजह से संपत्तिकर कई गुणा बढ़ जाता है।

  • सात साल के बाद भी पूर्वी नगर निगम ने कोई स्थायी हल नहीं निकाला। इसका खामियाजा इस बार लोगों को भुगतना पड़ सकता है। एकीकृत नगर निगम का क्या स्वरूप होगा। यह कैसे काम करेगा। बढ़े हुए कर वापस लिए जाएंगे या नहीं, यह सब भविष्य की गर्त में छिपा है। लोगों को राहत देने के लिए नगर निगम के नेताओं और अधिकारियों को मिलकर इसका समाधान निकालना चाहिए। बीएस वोहरा, अध्यक्ष, ईस्ट दिल्ली आरडब्ल्यूए ज्वाइंट फोरम